सिटी मोन्टेसरी स्कूल, इनोवेशन विंग के तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन ‘एड लीडरशिप-2011’ का भव्य उद्घाटन आज प्रातः सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। सी.एम.एस. के विभिन्न कैम्पस के संगीत शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना व गीत-संगीत के बीच विभिन्न देशों से पधारे शिक्षाविदों डा. राॅबर्ट जे. साण्डर्स, सह-संस्थापक, काउन्सिल फाॅर ग्लोबल एजुकेशन, अमेरिका, सुश्री किम इंस्ले, यूनिवर्सिटी आॅफ लन्दन, यू.के., सुश्री लिन लाॅरेन्स, ऐक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, एसोसिएशन माॅण्टेसरी एजुकेशन, नीदरलैण्ड एवं सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी व डा. (श्रीमती) भारती गाँधी ने दीप प्रज्वलित कर ‘एड लीडरशिप-2011’ का विधिवत उद्घाटन किया। इसके अलावा ‘एड लीडरशिप-2011’ में प्रतिभाग हेतु विश्व के 10 देशों से पधारे प्रख्यात शिक्षाविदों के सम्मान में सी.एम.एस. छात्रों ने सायंकालीन सत्र में रंगारंग शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुति से विभिन्न देशों से पधारे शिक्षाविदों को गद्गद् कर दिया तथापि श्री प्रदीप शुक्ला, आई.ए.एस., मेम्बर, बोर्ड आॅफ रेवेन्यू, उ.प्र. मुख्य अतिथि के रूप में पधार कर समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में श्री शुक्ला ने कहा कि शिक्षा को सार्थक व उपयोगी बनाने के लिए हमें मानवीय गुणों की शिक्षा को महत्ता देनी होगी एवं बालकों में विश्वव्यापी सोच बढ़ानी होगी, साथ बालकों को प्रसन्न व ऊर्जावान बनाये रखना भी बहुत जरूरी है। श्री शुक्ला ने इस अभूतपूर्व आयोजन हेतु सी.एम.एस. की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
ज्ञातव्य हो कि 14 से 17 अक्टूबर तक सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय राउण्टटेबल कान्फ्रेन्स में बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैण्ड, अर्जेन्टीना, फिनलैंड, सिंगापुर, नीदरलैण्ड व भारत के विभिन्न राज्यों से पधारे लगभग 500 प्रधानाचार्य, स्कूल प्रबन्धक, शिक्षक व शिक्षाविद् प्रतिभाग कर रहे हैं। लखनऊ की सरजमीं पर लगातार पाँचवी बार आयोजित हो रहे इस अन्तर्राष्ट्रीय राउण्डटेबल कान्फ्रेन्स में देश-विदेश से पधारे प्रख्यात शिक्षाविद् एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर ‘मेटामाॅरफोसिस इन एजुकेशन: फ्राम कैटरपिलर टु अ बटरफ्लाई’ बनाने पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा कर रहे हैं।
इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में ‘रि-डिफाइनिंग द रोल आॅफ एजुकेशन फाॅर अ मोर मीनिंगफुल टुमारो’ एवं ‘फाइन्डिंग आॅफ इण्टरनेशनल रिसर्च आन स्कूल क्वालिटी’ आदि विषयों पर सारगर्भित चर्चा हुई जिसमें डा. सुनीता गाँधी एवं डा. राबर्ट जे. साॅण्डर्स, सह-संस्थापक, काउन्सिल फाॅर ग्लोबल एजुकेशन, अमेरिका एवं प्रो. गीता किंगडन, प्रेसीडेन्ट, सी.एम.एस. ने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए। अपने सम्बोधन में प्रो. गीता किंगडन ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए केवल संसाधन होना ही काफी नहीं है अपितु शिक्षकों को प्रोत्साहन भी बहुत जरूरी है।
‘एड लीडरशिप’ के भव्य उद्घाटन समारोह के उपरान्त अपरान्हः सत्र में विश्व के 10 देशों से पधारे प्रख्यात शिक्षाविद् आज यहाँ आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों से भी रूबरू हुए एवं दिल खोलकर सम्मेलन के उद्देश्य एवं उपयोगिता पर विस्तृत चर्चा की। सम्मेलन में पधारे लगभग सभी शिक्षविदों ने पत्रकारों के समक्ष एक स्वर से कहा कि वर्तमान की एकांगी शिक्षा इक्कीसवीं सदी की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं है और इसके लिए शिक्षा को व्यापक परिवेश में समझना होगा जिसमें भौतिक, सामाजिक, चारित्रिक व आध्यात्मिक शिक्षा का भी समावेश हो। देश-विदेश से पधारे शिक्षाविदों ने सी.एम.एस. की शिक्षा पद्धति की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि सी.एम.एस. छात्रों को भौतिक, सामाजिक व चारित्रिक शिक्षा प्रदान कर सही मायने में ‘टोटल क्वालिटी पर्सन’ बना रहा है और बड़ी बात यह है कि सी.एम.एस. न सिर्फ अपने छात्रों को अपितु पूरे विश्व के छात्रों व शिक्षकों में विश्व एकता, विश्व शान्ति व वसुधैव कुटुम्बकम की भावना का विकास करने में महती भूमिका निभा रहा है।
प्रेस कान्फ्रेन्स में अपने विचार व्यक्त करते हुए अमेरिका से पधारे जाने-माने शिक्षाविद् व काउन्सिल फाॅर ग्लोबल एजूकेशन, यूएसए के सह-संस्थापक डा. राबर्ट साॅण्डर्स ने कहा कि आज शिक्षा में नवीनीकरण की बेहद आवश्यकता है। हमें उत्कृष्टता तो लानी ही है, साथ ही भविष्य में आने वाली समस्याओं के समाधान अभी से सोचकर निकालने होंगे। श्री साण्डर्स ने सुझाव दिया कि शिक्षा जगत में क्रान्ति के लिए विश्व भर के शिक्षाविदों का समय-समय पर एकजुट होकर विचार विमर्श करना एक अच्छा माध्यम साबित हो सकता है। सिंगापुर से प्रधारी प्रख्यात शिक्षाविद् सुश्री स्टेला फर्नांडिज ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य यही है कि बच्चों में ऐसा ज्ञान व आत्मिक शक्ति प्रवाहित की जाए कि उनमें मानवमात्र की सेवा की इच्दा जागृत हो और वे अपना सम्पूर्ण ज्ञान व शक्ति मानवता के उत्थान में लगा दें। शिक्षा जितनी बाँटी जायेगी उतनी ही बढ़ेगी और इसके प्रकाश से सारी मानवता को लाभ होगा। राॅयल इण्टरनेशनल स्कूल, श्रीलंका के डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन श्री सुनील टेनाकून ने कहा कि शिक्षकों के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आने वाली पीढ़ियों को कैसे उच्च आदर्शों से परिपूर्ण एक आदर्श नागरिक बनाएं? केवल भौतिक शिक्षा मनुष्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती है, इसलिए छात्रों के पाठ्यक्रमों में नैतिक, चारित्रिक व आध्यात्मिक शिक्षा को अनिवार्य बनाना आवश्यक हो गया है। इसी प्रकार देश के विभिन्न राज्यों से पधारे शिक्षाविदों ने भी शिक्षा पद्धति में बदलाव की वकालत करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि इक्कीसवीं सदी की जरूरत के अनुसार एक सार्थक व नवीन शिक्षा पद्धति का निर्माण किया जाए जिससे उद्देश्यपूर्ण शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
प्रेस कान्फ्रेन्स में उपस्थित ‘एड लीडरशिप-2011’ की संयोजिका डा. सुनीता गाँधी ने कहा कि इस एजुकेशन सम्मेलन का उद्देश्य बाल एवं युवा पीढ़ी को वल्र्ड लीडर बनाना है एवं इसके लिए विद्यालय ही भावी पीढ़ी को तैयार करेगा। डा. सुनीता गाँधी ने आगे कहा शिक्षा में ज्ञान, बुद्धिमत्ता, प्रभावशाली अभिव्यक्ति और आध्यात्मिक दृष्टिकोण का सुन्दर समावेश होना आवश्यक है तभी शिक्षा परिपूर्ण बनती है साथ ही हमें छात्रों में सार्वभौमिक जीवन मूल्य और वैश्विक सोच उत्पन्न करनी चाहिए। उन्होंने देश-विदेश से पधारे शिक्षाविदों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह असीम प्रसन्नता है कि सी.एम.एस. की पहल पर देश दुनिया के शिक्षाविद भावी पीढ़ी को उत्कृष्ट शिक्षा उपलब्ध कराने के प्रयासों के तहत एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर एकत्रित हुए हैं। ‘एड लीडरशिप-2011’ की आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी सुश्री सुस्मिता बासु, हेड, क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन विंग ने बताया कि यह राउण्डटेबिल सम्मेलन दो भागों भी आयोजित किया जा रहा है जिसमें पहला भाग है - ‘डिसीजन मेकर्स फोरम’ तथा दूसरा है ‘प्रैक्टिसनर्स फोरम’। डिसीजन मेकर्स फोरम के अन्तर्गत स्कूल मैनेजर्स, डायरेक्टर्स, स्कूल बोर्ड मेम्बर्स, प्रिन्सिपल्स एण्ड हैडमिस्ट्रेस आदि ‘री-डिफाइनिंग द रोल आॅफ एजुकेशन फाॅर मीनिंगफुल टुमारो’ विषय पर चर्चा करेंगे जबकि प्रेक्टिसनर्स फोरम के अन्तर्गत शिक्षा प्रणालियों, कक्षा प्रबन्धन एवं बहुवर्षीय कक्षाओं पर सारगर्भित चर्चा होगी।
प्रेस कान्फ्रेन्स में उपस्थित प्रख्यात शिक्षाविद् व सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि शिक्षा द्वारा हम समाज में ऐतिहासिक परिवर्तन ला सकते हैं। वर्तमान संदर्भ में सामाजिक विषमताओं से मुक्ति के लिए वसुधैव कुटुम्बकम् के मूलमंत्र पर आधारित शिक्षा व्यवस्था को विश्वव्यापी बनाना अब अनिवार्य हो गया है। डा. गाँधी ने विश्वास व्यक्त किया कि यह आयोजन शिक्षकों, छात्रों व अभिभावकों के अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होगा। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस प्रयास को देश-दुनिया के शिक्षाविदों का भरपूर समर्थन व सहयोग मिल रहा है।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि ‘एड लीडरशिप-2011’ के पहले दिन देश-विदेश के शिक्षाविदों ने नई शिक्षण पद्धतियों पर व्यापक विचार-विमर्श किया एवं शिक्षकों को नई प्रणाली से शिक्षा देने के तरीके सुझाए। श्री शर्मा ने बताया कि ‘एड लीडरशिप-2011’ के दूसरे दिन कल 15 अक्टूबर को देश-विदेश के शिक्षाविद् ‘ब्राडर एण्ड बोल्डर एजुकेशन’ एवं ‘स्कूल पाॅलिसी एण्ड मैनेजमेन्ट’ पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा करेंगे, जिसके अन्तर्गत
डा. राॅबर्ट जे. साण्डर्स, सह-संस्थापक, काउन्सिल फाॅर ग्लोबल एजुकेशन, सिंगापुर से पधारी शिक्षाविद् सुश्री स्टेला फर्नांडीज, इंग्लैण्ड से पधारे शिक्षाविद् श्री एण्डी हार्वे एवं सुश्री ली लाॅट्स, फिनलैंड से पधारी शिक्षाविद् डा. एजा कपीनेन, अर्जेन्टीना से पधारे शिक्षाविद् श्री ओस्कार मरानो आदि के सारगर्भित अभिभाषण होंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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