महिला चिकित्सालय में लाखों की हेराफेरी, जिम्मेदार अधिकारी मौन

Posted on 15 October 2011 by admin

महिला सी0एम0एस0 के संरक्षण में हो रहा खेल

जनपद का महिला चिकित्सालय  अव्यवस्था का शिकार है। महिला मरीजों की जितना अनदेखी यहाॅ होती है इतना शायद और कहीं नहीं होता है।  अव्यवस्था का आलम यह है कि महिलाओं का प्रसव भी बेड  की अनुपलब्धता  के चलते बरामदे में  ही हो जाता है।  कुछ महलिा मरीजों के तीमार दारों ने यह बताया कि वहाॅ पर उपस्थित कर्मचारी महिला को भर्ती करने के लिए  सुविधा शुल्क कह माॅग करते हैं, तो उन्हे सुविधा शुल्क दे देता है उपके मरीजों को तुरन्त भर्ती कर लिया जाता है।  इस कार्य में मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका  की मौन सहमति से इन्कार नहीं किया जा सकता । भ्रष्टाचार का आलम यह है कि  ग्रामीणांचल व शहरी गरीजों को सारी की सारी दवाइयाॅ बाजार से खरीदनी पड़ती है।  मरीजों का आर्थिक शोषण  खुले आम किया जा रहा है।
गौरतलब हो कि सी0एम0एस0 द्वारा प्रतिमाह लाखों की दवायें व काटन बैन्डेज की सरकारी खरीद कागजों पर की जा रही है, जबकि महिला मरीजों को अस्पताल से न दवा मिलती है, न ही रक्त श्राव के समय काटन व बैण्डेज ही मिलता है। यहां तक कि ग्लूकोज बोतल (डी0एन0एस0) व एनीमा भी मरीजों का बाहर से खरीदना पड़ रहा है। इसके विपरीत इस महिला चिकित्सालय में कीमती-कीमती दवायें जैसे ओ-फ्लाक्साटिस 200, नीयोमो सलाईड, पैरासिटामाल, आयरन, कैल्शियम तक बाहर से खरीदना पड़ता है। और तो और डिस्पोजल सिरिंज, स्प्रिट, कैथेटर, बीगों सेट तक मरीजों के परिजनों को खरीदना पड़ता है। जबकि महिला सी0एम0एस0 ने मार्च में लगभग 14 लाख रूपये की दवा, पट्टी की खरीद की थी। वहीं दूसरे माह 6 लाख रूपये की दवा पट्टी खरीदी की गई। मगर मरीजों को नहीं दी जाती, आखिर लाखों की काटन व बैण्डेज कहां जा रही है। अगर सप्लाई आई है, तो अस्पताल के स्टाक बोर्ड पर लगना चाहिए। मगर न तो पूरे कैम्पस में स्टाक बोर्ड है, न ही दिवारों पर उपलब्धता दिखाई जाती है। यानि की सारी कीमती दवाओं की खरीद केवल पर्चे बिल्टी पर ही हो रही है। वहीं मरीजों से भर्ती शुल्क के अतिरिक्त मेहनताना वसूला जाता है। अस्पताल में प्रतिवर्ष गद्दा, चादर, कम्बल आदि की खरीद की जाती है। जिसमें लाखों रूपये का सरकारी व्यय होता है। मगर कभी भी बेडों पर दिखाई नहीं पड़ती है। अब तो ज्यादातर नार्मल केसों में भी उपर की कमाई के चक्कर में ड्यूटी की डाक्टर महिला मरीज का आप्रेशन कर डाल रही है। उसमें भी आपे्रशन से सम्बन्धित सामान बाहर से ही तीमारदारों को लाना पड़ता है। और तो और विभिन्न प्रकार की जांचें भी कमीशन सेट पैथोलाॅजी से कराई जाती है। यह सब कुछ मुख्य चिकित्सा अधीक्षीका की संरक्षण में चल रहा है। डाॅक्टर ओ0टी0 मंे न बैठकर अपने सरकारी आवास पर प्राईवेट प्रेक्टिस करती है। सी0एम0एस0 तो प्रतिदिन ड्यूटी टाईम में भी सरकार को आम ग्रामीण मरीजों में बुरी तरह बदनाम किया जा रहा है। सरकार द्वारा चलाई जा रही जननी सुरक्षा योजना के फर्जी चेक वो भी प्रतिचेक 400रू0 एडवांस लेकर दिये जाते है। न ही मरीज की कोई पहचान, न फोटो, सिर्फ पैसा देकर फर्जी पर्चा बनवाया और 20रू0 का डिस्चार्ज कार्ड बनवाकर योजना का चेक दलालों के माध्यम से बांटा जा रहा है। उसमें पूर्व में पारदर्शिता के चलते मरीजों की फोटो लगाई जाती थी। उसे मुख्य चिकित्सा अधीक्षीका व डाॅक्टर प्रभावित करती थी। मगर अब सब कुछ भ्रष्टाचार की भंेट चढ़ चुका हैं। यहां तक कि टीका कर, टांका कटाई, दवा प्ट्टी का भी पैसा वसूला जा रहा है। उस पर भी घाघ कर्मचारी खुलेआम कहते है कि ‘‘माया सरकार है भईया सब कुंछ जायज है’’ सोचा जा सकता है कि सरकार किस हद तक बदनाम हो रही है। मरीजों के तीमारदारों ने, नगर की शोषण  की शिकार महिलाओं और निवासियों ने स्वास्थ्य सचिव व मुख्यमंत्री से जांच कर कठोर कार्यवाही करने की मांग की है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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