पसमांदा मुस्लिम समाज ने लखनऊ में अपनी ताकत दिखाई
पसमांदा मुसलमानों की बदतर स्थिति के लिए मुस्लिम बड़े नेता और तथाकथित सियासी उलेमा जिम्मेदार है। इन लोगों ने अपने निजी स्वार्थ के चलते कभी भी पसमांदा मुसलमानों की आवाज नही उठायी जिसका नतीजा है पसमांदा समाज के लोगों की हालत बद से बदतर होती चली गयी।
यह विचार पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने राजधानी लखनऊ के झूलेलाल पार्क में जुटी हजारों की भीड़ को सम्बोधित करते हुए कही। श्री मंसूरी ने कहा कि मुझे खुशी है कि इतनी बड़ी संख्या में लखनऊ पहुंचकर आज पसमांदा समाज ने यह बता दिया कि यह समाज अब जाग चुका है और जागरूक होकर अब यह समाज अपना शोषण नही होने देगा, अब पसमांदा समाज ‘‘वोट हमारा राज तुम्हारा’’ की तर्ज पर नही चलेगा। पसमांदा समाज का वोट वही लेगा जो पसमांदा समाज का काम करेगा उसका हक व सभी क्षेत्रों में भागीदारी उसे देगा। अनीस मंसूरी ने कहा कि रंगनाथ मिश्र और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट वास्तव में पसमांदा मुसलमानों का सच बया करती है, इसके लिए उन्होने विभिन्न राजनैतिक दलों को जिम्मेदार ठहराया उन्होने कहा कि सत्तारूढ़ दलों में कथित बड़े मुस्लिम नेताओं ने साजिश करके मुसलमानों की समस्याओं को नही रखा, उन्होने कहा कि मुसलमानों में कुल 40 बिरादरिाया है। जिनमें से 36 पिछड़ी बिरादरिया है, और भी मुसलमान पसमांदा तबका है। यही 36 बिरादरिया आज अपना हक और सत्ता में हिस्सेदारी के लिए आज लखनऊ में इकट्ठा होकर अपना हक मांगने आई है, उन्होने कहा कि पसमांदा समाज विभिन्न राजनैतिक दलों में बैठे समाज के शत्रुओं को छलावरण समझ चुका है, और अगले विधानसभा चुनाव में वह इसका जवाब देगा, उन्होने कहा कि मुसलमानों की कुल आबादी का 85 प्रतिशत पिछड़ा और पसमांदा मुसलमानों को छला गया है जबकि शेष 15 प्रतिशत इसका लाभ उठाता रहा है, भीड़ से गदगद अनीस मंसूरी ने कहा के केन्द्र सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 341 पर लगे धार्मिक प्रतिबंध को समाप्त कर वर्ष 1950 से पूर्व की स्थिति बहाल की जाये ताकि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012 में होेने वाले विधान सभा चुनावों में पसमांदा मुसलमान प्रत्याशी भी सुरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ सकें। उन्होने कहा कि जिस प्रकार बिहार में पसमांदा मुसलमानों ने काम किया है उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश में अब पसमांदा काम करेगा और उसके साथ छल करने वालों को करारा जवाब देगा। उन्होने कहा कि मुस्लिम बड़े नेता और सियासी तथाकथित उलेमा पसमांदा के इस हालात के जिम्मेदार है इन्होने मजबूती से हमारी बात सरकार के सामने नही रखी। अनीस मंसूरी ने कहा कि जब तक सरकारी योजनाओं का सीधा पसमांदा मुसलमानों तक नही पहंुचेगा, तब तक पसमांदा मुसलमानों के उत्थान व विकास की बात करना बेईमानी होगी। केन्द्र सरकार को बारहवीं पंच बनाने होंगे। उन्होने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा जिला स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक चलाई जा रही जमीनी योजनाओं में पसमांदा मुसलमानों की हिस्सेदारी तय करने की जरूरत है। उन्होने कहा कि जब सच्च कमेटी यह प्रमाणपत्र दे चुकी है कि देश के मुसलमानों की स्थिति दलितों से भी बदतर है, तो यूपीए सरकार पसमांदा मुसलमानों के उत्थान के लिए किस मुहुर्त का इंतजार कर रही है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह दलितों से बदतर जिन्दगी जी रहे पसमांदा मुलसमानों के विकास के लिए दलितों की तर्ज पर विकास योजनाएं बनाये और उन पर अमल में कोताही करने बरतने या आनाकानी करने वाले अधिकारियों के खिलाक कठोर कार्यवाही का प्रावधान करें।
प्रदेश अध्यक्ष, वसीम राईनी ने कहा कि 36 बिरादरियों के सभी नेताओं में अनीस मंसूरी ने निष्ठा जताई और उनके साथ हमेशा संघर्ष करने की बात कही। कार्यक्रम में लन्दन से शिरकत करने पहंुचे मौलाना ईसा मंसूरी ने कहा कि मौजूद दौर में तरक्की के लिए सियासी बेदारी बहुत जरूरी है, और पसमांदा समाज के साथ हक तलफी की गयी है, यह पूरी तरह इंसानियत की गैर पसंदीदा बात है। सम्मेलन में प्रदेश भर से आये लाखों पसमांदा मुलसमानों ने शिरकत की। इस अवसर पर राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुख्तार मंसूरी (आवंला वाले) अब्दुल नईम इदरीसी व एहरार कुरैशी सहित पसमांदा बिरादरी के अन्य नेताओं ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन हाजी अंजुम अली एडवोकेट ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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