श्रीमती शंकर ने बिना अवकाश स्वीकृत कराये विदेश यात्राएं कर अखिल भारतीय सेवायें (आचरण) की नियमावली-1968 का उल्लंघन किया
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने वरिष्ठ आई0ए0एस0 अधिकारी श्रीमती प्रोमिला शंकर द्वारा आज मीडिया में अपने निलम्बन को लेकर राज्य सरकार पर लगाये गये आरोपोें पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि श्रीमती शंकर ने राज्य सरकार पर भ्रामक एवं आधारहीन आरोप लगाकर सेवा नियमावली/आचरण नियमावली के प्राविधानों का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा की अति वरिष्ठ अधिकारी से इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए था।
प्रवक्ता ने श्रीमती प्रोमिला शंकर के निलम्बन के औचित्य के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए कहा कि 1976 बैच की आई0ए0एस0 अधिकारी श्रीमती शंकर द्वारा 02 सितम्बर, 2011 को प्रेषित पत्र के माध्यम से आकस्मिक अवकाश पर रहने की सूचना देते हुए 05 व 06 सितम्बर, 2011 को कोलम्बो (श्रीलंका) की विदेश यात्रा की गयी। इसी प्रकार उन्होंने 03 फरवरी, 2011 को प्रेषित पत्र के माध्यम से दिनांक 07 फरवरी, 2011 से 05 दिन के लिए आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करने के आवेदन के साथ निजी यात्रा पर दक्षिण अफ्रीका गयीं। इसके अलावा उन्होंने दिनांक रहित पत्र द्वारा प्रेषित आवेदन पत्र में आकस्मिक अवकाश की सूचना देते हुए 20 जून, 2011 से 24 जून, 2011 तक स्वीडन की यात्रा की।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि श्रीमती शंकर ने 03 मार्च, 2011 को प्रेषित पत्र द्वारा आकस्मिक अवकाश पर रहने की सूचना देते हुए 05 एवं 06 जून, 2011 को ढाका (बंगलादेश) तथा 09 सितम्बर, 2010 को प्रेषित पत्र द्वारा आकस्मिक अवकाश पर रहने की सूचना देते हुए 14 से 20 सितम्बर, 2010 तक कनाडा की विदेश यात्रा पर गईं।
सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि श्रीमती शंकर द्वारा बिना अवकाश स्वीकृत कराये की गयी विदेश यात्रा के आरोप में उन्हें 09 सितम्बर, 2011 को निलम्बित करते हुए विभागीय कार्यवाही का निर्णय लिया गया और उन्हें 23 सितम्बर, 2011 के पत्र द्वारा आरोप पत्र भी दिया गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि बिना अवकाश स्वीकृत कराये विदेश यात्रा किया जाना अखिल भारतीय सेवाएं (अवकाश) नियमावली-1955 के अन्तर्गत बनाये गये सुसंगत नियमांे का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इस नियम में भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय द्वारा प्राविधान किया गया है कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को निजी विदेश यात्राओं के लिए विदेश प्रस्थान करने से पूर्व सम्बन्धित राज्य सरकार से अवकाश स्वीकृत कराना आवश्यक है।
शासकीय प्रवक्ता ने कहा कि इस प्रकार श्रीमती शंकर द्वारा बिना अवकाश स्वीकृत कराये विदेश यात्राएं कर अखिल भारतीय सेवायें (आचरण) की नियमावली-1968 के नियम-3 का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि इस नियमावली में यह प्राविधान है कि “Every member of the service shall at all times maintain absolute integrity and devotion to duty and shall do nothing which is unbecoming of a member of the Service.” उन्हांेने कहा कि श्रीमती प्रोमिला शंकर (निलम्बित) उत्तर प्रदेश कैडर की वरिष्ठ आई0ए0एस0 अधिकारी हैं। उनके द्वारा की गयी अनुशासनहीनता से उत्तर प्रदेश कैडर के अन्य आई0ए0एस0 अधिकारियों के ऊपर भी कुप्रभाव पड़ेगा।
प्रवक्ता ने कहा कि विदेश यात्रा के यह नियम अखिल भारतीय सेवा के सभी अधिकारियों पर लागू होते हैं और अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे इन नियमों का कड़ाई से अनुपालन करेंगे। उन्होंने कहा कि श्रीमती शंकर को एक वरिष्ठ अधिकारी की तरह व्यवहार करते हुए इनका अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए था। वह इन नियमों के लिए अपवाद नहीं थीं। उन्होंने मीडिया में बयान देकर गलत परम्परा स्थापित की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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