दो दिवासीय समारोह
8-9 अक्टूबर 2011
विषय- प्रगतिशील लेखन आन्दोलन के पचहत्तर वर्षः परिप्रेक्ष्य और चुनौतियाॅ
प्रगतिशील लेखक संघ के कौस्तुभ जयंती समारोह का उद्घाटन आज नामवर सिंह ने किया। जवाहर लाल नेहरू राष्टीय युवा केंद्र में आयोजित इस सम्मेलन में उद्घाटन भाषण में प्रलेस के राष्टीय अध्यक्ष नामवर सिंह ने कहा कि प्रगतिशील लेखक आंदोलन की उप्लब्धियों को रेखांिकत करते हुये आने वाले समय में आंदोलन के उज्जवल इतिहास के परिप्रेक्ष्य में अपने को निरंतर उपयोगी बनाये रखने की चुनौती को स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रलेस का गठन ही उस दौर में हुआ था जब पूरी दुनिया पर फासीवाद का खतरा छाया था जिसके खिलाफ संगठन ने अपनी जुझारू भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि आज समाज पर फिर से दक्षिणपंथी विचार का प्रभाव बहुत बढता जा रहा है जिसकी अभिव्यक्तियां कई खतरनाक रूपों में हो रही हैं। ऐसे में प्रगतिशील लेखक आंदोलन को अपनी जिम्मेदारियां निभानी होंगी। उन्होंने कहा कि आज दूसरे संगठनों जैसे जलेस और जसम के साथ भी साझेदारी की जरूरत है।
प्रलेस के राष्टीय महासचिव अली जावेद ने कहा कि आज जरूरत है कि लेखक मेहनतकश आवाम के साथ एकाकार हांे। उन्होंने कहा कि प्रलेस के लोगों को अपने शानदार इतिहास से सबक लेना होगा जिन्होंने इसे मजदूरों और श्रमिकों के सवालो से जोड कर उसे अखिल भारतीय स्तर पर उत्पीड़ित जनता की आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति का मंच बनाया। आज के साम्राज्यवादी चुनौतियों के दौर में संगठन की जिम्मेदारी और बढ जाती है। वरिष्ठ लेखक खगेंद्र ठाकुर ने प्रलेस के इतिहास पर रौशनी डालते हुये कहा कि इसका सम्बंध पूरी दुनिया भर के प्रगतिशाील आंदोलनों से रहा है जिसने इसे विश्वदृष्टि दी। उन्होंने कहा कि संगठन से जुडे लेेखकों ने साहित्य की जिस जनपक्षधरता को सींचा है उसे और उंचाइयों पर ले जाना नयी पीढी की जिम्मेदारी है। इस सत्र में प्रलेस की स्मारिका समेत कई पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। सत्र का संचालन पलेस के प्रदेश महासचिव संजय श्रीवास्तव ने किया।
सम्मेलन का दूसरा सत्र ‘प्रगतिशील आंदोलन के परिप्रेेेेेेक्ष्य और चुनौतियां’ पर हुआ। इस सत्र का आधार वक्तव्य देते हुये आशीष त्रिपाठी ने इस बात पर जोर दिया कि प्रलेस में युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जोेडना होगा। अभिनव कदम के सम्पादक जय प्रकाश धूमकेतु ने कहा कि आज फिर से 1936 जैसी चुनौतियां हमारे सामने हैं जब प्रलेस का गठन हुआ था। उन्हांेेेने कहा कि आज फिर से औपनिवेशिक और साम्राज्यवादी ताकतें नये स्वरूपों मंे हमारे सामने हैं। जिससे प्रलेस को एक बार फिर माक्र्सवादी समाजवाद के विकल्प को प्रस्तुत करना होगा। दूसरे दिन का आयोजन कैफी आजमी एकेडमी सभागार, निशातगंज में होगा। जिसका विषय ‘प्रगतिशील आंदोेलन की विरासत-पक्षधरता के जोखिम’ है।
इस दो दिवसीय आयोजन के पहले दिन अतुल कुमार अंजान, मु शोएब, रूपरेखा वर्मा, काशीनाथ सिंह, चैथी राम यादव, गया सिंह, आशुतोष तिवारी, राजेश मिश्र, फारूख शेख, कौशल किशोर, राजेश कुमार, रणधीर सिंह सुमन, अनिल यादव, विरेंद्र यादव, नरेश, रवि शेखर, एकता सिंह, शाहनवाज आलम इत्यादि उपस्थि थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com