मुख्यमंत्री ने अपने शासनकाल में उपलब्धियों से ज्यादा होर्डिगें लगवाई है और विज्ञापन छपवाएं है। करोड़ो रूपए फूंककर कर अपनी पत्थर की प्रतिमाएं लगवाई है। अपनी तारीफ अपने मुंह करने में उनका कोई सानी नहीं। साढ़े चार साल तक कुछ न करने के बावजूद वे ढिंढोरा पीट रही है कि उनसा कोई और नहीं। लेकिन लोकायुक्त के यहां उनके मंत्रियों, विधायकों और अफसरों के यहां दर्ज शिकायतों की बढ़ती सख्या जताती है कि उनके भ्रष्ट कुशासन से हर वर्ग कितना त्रस्त है।
लोकायुक्त की सिफारिश पर, सीबीआई जांच के घेरे में आने पर, कई मंत्री हटे या हटाए गए। हत्या, लूट, अपहरण और बलात्कार के मामलों में अब तक आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री विधायक जेल जा चुके हैं। इसलिए केन्द्र सरकार को नियम 356 का इस्तेमाल कर अब पूरी राज्य सरकार को ही बर्खास्त कर देना चाहिए क्योंकि यह सरकार पूरी तरह भ्रष्टाचारियो, बलात्कारियों एवं अत्याचारियों से भरी पड़ी है। मुख्यमंत्री की यह खासियत है कि वे स्वयं तो वसूली निर्ममतासे करती है किन्तु जांच की आंच अपनी चैखट तक आते देखकर तुरन्त दूसरों को बलि का बकरा बना देती है। स्वास्थ्य मिशन के घ् ाोटाले और सीएमओ हत्याकाण्ड में दो मंत्रियों का इस्तीफा हुआ। प्रदेश के शिक्षामंत्री रंगनाथ मिश्र भी अब लोकायुक्त की जांच में आय से अधिक सम्पत्ति बटोरने के दोषी पाए गए हैं। इससे पहले अवैध कब्जे और पद के दुरूपयोग में अवधपाल सिंह, राजेश त्रिपाठी हटाए जा चुके हैं। श्रममंत्री भी निबटने वाले हैं। लूट तथा वसूली का ही करोबार सरकारी स्तर पर चल रहा है। बसपा सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में समाज के हर वर्ग को अपमानित किया है। दमन का सहारा लेकर हर विरोधी आवाज को लाठी गोली से कुचलने का काम किया है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न में इस सरकार ने कुछ उठा नहीं रखा है। जितने झूठे मुकदमे इस सरकार ने बनाए हैं उतने शायद ही दुनिया से कहीं दर्ज हुए हो। तानाशाही का आलम यह है कि धरना प्रदर्शन के लिए भी सरकार से अनुमति लेने का शासनादेश जारी किया गया है। लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर यह चोट निन्दनीय है। अब इस सरकार के थोड़े ही दिन बचे हैं। जाते-जाते यह झूठ और लूट का प्रचंड तांडव करने से नहीं चूकेगी। प्रदेश की स्थिति और न बिगड़े तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हों, इसके लिए इस सरकार का जाना जरूरी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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