समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री द्वारा सत्ता का भीषण दुरूपयेाग होने से संविधान सम्मत राजकाज चलना असंभव हो गया है। घोर अराजकता की स्थिति है। कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है और संवैधानिक संस्थाओं की हर स्तर पर अवहेलना की जा रही है। जनता का हर वर्ग बुरी तरह त्रस्त है। यदि मुख्यमंत्री के निरंकुश आचरण पर तत्काल चुनाव आयोग द्वारा रोक नहीं लगाई गई तो प्रदेश में आगामी विधान सभा के निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव महज मजाक बनकर रह जाएगे। लोकतंत्र सरकारी कूट चालों का शिकार होकर दम तोड़ देगा।
मुख्यमंत्री जनता को बरगलाने के लिए प्रदेश के समक्ष उपस्थित मुख्य मुद्दो से मुंह चुरा रही हैं और अप्रासंगिक मुद्दे उठा रही है। प्रदेश का विकास ठप्प है। किसान, खाद, बीज, बिजली, पानी के संकट से जूझ रहा है। इस पर मंहगाई और कर्ज की दुहरी मार पड रही है। राज्य की बसपा सरकार अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने के बजाए नए जिलों की घोषणा, हर जाति को आरक्षण का झाॅसा देने और शिलान्यास उद्घाटन के पत्थर लगवाकर प्रदेश की जनता को भरमा रही है। आए दिन व्यापारियों की लूट और हत्याएं हो रही है, बच्चियों तक से बलात्कार हो रहा है और प्राकृतिक संसाधनों की लूट हो रही है। नौजवान मंहगी शिक्षा और बेकारी से कंुठित है। अस्पतालों में मरीजों को न दवाइयां मिल रही है न इलाज। किसान की जमीन जबरन छीनकर मुख्यमंत्री द्वारा बड़े बिल्डरों को मोटा कमीशन लेकर बांटी जा रही है।
उत्तर प्रदेश का दुर्भाग्य है कि उसे ऐसी मुख्यमंत्री मिली है जिनके मन में आम जनता की तकलीफों के प्रति जरा भी संवेदना नहीं है। उन्हें सिर्फ, अपनी सम्पत्ति और अपनी सुरक्षा की ही चिन्ता सताती रहती है। इसके लिए सरकारी खजाना लुटाने में उन्हें कतई संकोच नहीं होता है। एक संवैधानिक पद पर बैठी महिला का ऐसा असंवैधानिक आचरण आश्चर्यजनक और निन्दनीय भी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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