इस कदम से समाज के गरीब और कमजोर तबके सीधे प्रभावित होंगे और वे विभिन्न जनहित कार्यक्रमों से वंचित हो जायेंगे
माननीया मुख्यमंत्री जी ने गरीबी में कमी लाने की रणनीति पर पुनर्विचार हेतु प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री माननीया सुश्री मायावती जी ने भारत सरकार द्वारा गरीबी रेखा के आकलन के लिए प्रस्तावित नये मापदण्डों पर चिन्ता व्यक्त की है। उन्होंने इस बारे में मा0 प्रधानमंत्री डाॅ0 मनमोहन सिंह जी को एक पत्र लिखकर अपनी चिन्ता से अवगत कराते हुए कहा है कि शहरी गरीबों के लिए 32 रु0 प्रति व्यक्ति प्रतिदिन गुजर-बसर तथा ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों के लिए 26 रु0 प्रति व्यक्ति प्रतिदिन में गुजर-बसर करना लगभग असम्भव है। उन्होंने इस सीमा को बढ़ाये जाने की मांग की है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने अपने पत्र में हाल ही में प्रेस में आयी रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि गरीबी निर्धारण हमेशा एक चुनौतीपूर्ण एवं दुरूह प्रक्रिया रही है, किन्तु इस प्रक्रिया का उद्देश्य बनावटी तस्वीर पेश करना नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गरीबों को सम्पन्न लोगों से अलग करने के लिए तेन्दुलकर समिति द्वारा पारिवारिक उपभोग वाली गरीबी रेखा से सम्बन्धित घरेलू वस्तुओं तथा सेवाओं में काफी बदलाव किया गया है। इस प्रयास से ऐसा प्रतीत होता है कि शहरी क्षेत्रों के लिए निर्धारित 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2499 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मापदण्ड को काफी घटाया गया है, यद्यपि इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा तथा फुटवियर इत्यादि जैसे-नये आकलनों को सम्मिलित किया गया है। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों पर होने वाले खर्चे को छिपाने से भारत के गरीबों का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित हो जायेगा, जोकि उनके प्रति अनुचित और अन्यायपूर्ण होगा।
माननीया सुश्री मायावती जी ने अपने पत्र में लिखा है कि इस कदम का सीधा प्रभाव समाज के गरीब और कमजोर तबकों पर पड़ेगा और वे राज्य द्वारा चलाये जाने वाले ऐसे विभिन्न कार्यक्रमों के लाभों से वंचित हो जायेंगे, जिनका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन तथा इन तबकों की सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने अपनी सरकार द्वारा शुरू की गयी उ0प्र0 मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि यद्यपि प्रदेश सरकार के पास संसाधनों की कमी है, तथापि इस योजना के माध्यम से प्रदेश के 25 लाख गरीब परिवारों को 400 रु0 प्रति परिवार प्रतिमाह नकद धनराशि उपलब्ध करायी जा रही है। ये ऐसे परिवार हैं, जिन्हें वर्तमान में भारत सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत शामिल नहीं किया गया है और इन्हें इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसा गरीबी सूचकांक के गलत अनुमानों की वजह से हो रहा है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि यह आवश्यक है कि भारत सरकार इस दिशा में पुनर्विचार करे और ऐसे उपाय करे कि वर्ष 2015 तक गरीबों की संख्या आधी हो जाये, जैसा कि सहस्राब्दि विकास लक्ष्य (मिलेनियम डेवलप्मेण्ट गोल्स) है। उन्होंने कहा कि ऐसे वैकल्पिक उपाय तथा कार्य-प्रणालियां अपनायी जायंे, जो उपभोक्ता आवश्यकताओं तथा सामाजिक अभावों का उचित आंकलन कर सकें और समस्या का समाधान दे सकें।
माननीया सुश्री मायावती जी ने कहा कि भारत सरकार गरीबी रेखा को निर्धारित करने वाले सभी मापदण्डों पर शहरी एवं ग्रामीण गरीबों की आवश्यकताओं के मददेनजर, पूरी गम्भीरता से पुनर्विचार करे तथा इस सम्बन्ध में वह राज्यों से भी विचार-विमर्श करे, ताकि गरीबी उन्मूलन की सभी रणनीतियां समाज में आर्थिक रूप से वंचित तबकांे के लिए प्रासंगिक रहें। माननीया मुख्यमंत्री जी ने आशा व्यक्त की कि इस गम्भीर मुददे पर प्रधानमंत्री जी के हस्तक्षेप से इस समस्या के त्वरित निदान में मदद मिलेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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