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गाँधी जयन्ती पर सी.एम.एस. शिक्षकों ने निकाला विशाल ‘अहिंसा मार्च’

Posted on 03 October 2011 by admin

‘ईश्वर-अल्लाह तेरे नाम’ का उद्घोष करते हुए
‘सर्वधर्म समभाव’ का संदेश दिया सी.एम.एस. शिक्षकों ने

‘ईश्वर अल्लाह तेरे नाम, सबको सन्मति दे भगवान’ एवं ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’ की मधुर स्वर लहरियों पर गीत गाते एवं धुग्ल धवल खादी वस्त्रों में सुसज्जित सिटी मोन्टेसरी स्कूल के 3000 से अधिक शिक्षक/शिक्षिकाओं व कार्यकर्ताओं ने गाँधी जयन्ती के पावन अवसर पर विशाल ‘अहिंसा मार्च’ निकालकर ‘सर्वधर्म समभाव’ का अभूतपूर्व संदेश दिया। इस भव्य मार्च के माध्यम से सी.एम.एस. शिक्षकों ने न सिर्फ लखनऊवासियों को अपितु सम्पूर्ण विश्व को यह संदेश दिया कि मानवता की रक्षा के लिए धार्मिक एकता एवं विश्व एकता ही एकमात्र विकल्प है और विश्व एकता का सपना राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सर्व-धर्म समभाव एवं अहिंसा के सिद्धान्त से ही साकार किया जा सकता है। सी.एम.एस. शिक्षकों के इस विशाल मार्च का नेतृत्व पूर्व लोकायुक्त एवं इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एस. सी. वर्मा ने किया। इससे पहले सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी व डा. (श्रीमती) भारती गाँधी के मार्गदर्शन में सी.एम.एस. के 3000 से अधिक शिक्षकों का यह विशाल मार्च प्रातः 8.00 बजे कानपुर रोड स्थित पुरानी चुंगी से प्रारम्भ हुआ एवं सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम पहुँचकर एक विशाल सभा में परिवर्तित हो गया। इस अवसर पर शिक्षा, साहित्य, पत्रकारिता व अन्य अनेक क्षेत्रों की प्रख्यात हस्तियों एवं सी.एम.एस. के सभी कैम्पस की प्रधानाचार्याओं ने अहिंसा मार्च में शामिल होकर बापू के विचारों को आत्मसात करने का संदेश दिया।
सफेद खादी वस्त्रों में बापू के प्रिय भजन ‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान’ गाते हुए सी.एम.एस. कानपुर रोड की ओर बढ़ रहा सी.एम.एस. शिक्षकों का सैलाब ‘महात्मा गाँधी अमर रहें’, ‘धार्मिक एकता जिन्दाबाद’, ‘विश्व एकता जिन्दाबाद’, आदि नारे लगाता हुआ एक अत्यन्त मनोहारी दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। सी.एम.एस. की प्रधानाचार्याऐं इस विशाल मार्च में अपने अपने शिक्षक दल के साथ आगे-आगे चल रही थीं तो वहीं सी.एम.एस. शिक्षक-शिक्षिकाएं हाथों में ग्लोब लेकर सत्य व अहिंसा का संदेश दे रहे थे। इसके अलावा इस विशाल अहिंसा मार्च में विभिन्न प्रकार नारे व स्लोगन लिखे तख्तियाँ, बैनर व पोस्टर, विभिन्न देशों के झण्डे व ग्लोब के माध्यम से चरित्र निर्माण, सत्य, अहिंसा एवं वसुधैव कुटुम्बकम की सीख देते सी.एम.एस. शिक्षकों का पंक्तिबद्ध दृश्य देखने लायक था। राष्ट्रपिता के संदेशों से ओतप्रोत स्लोगन लिखे सैकड़ों रिक्शें, गाड़ियों आदि ने भी अहिंसा मार्च की शोभा में चार-चांद लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिन्होंने सामाजिक सौहार्द, धार्मिक एकता व भावी पीढी के चरित्र निर्माण का अभूतपूर्व दृश्य उपस्थित किया। लखनऊ के जनमानस ने भी सी.एम.एस. शिक्षकों के अहिंसा मार्च का पुरजोर समर्थन किया एवं सड़क के दोनों किनारों पर खड़े विशाल जन-समूह ने तालियां बजाकर सी.एम.एस. शिक्षकों की हौसला अफजाई की। सी.एम.एस. कानपुर रोड पहुँचने पर सी.एम.एस. शिक्षकों का यह मार्च एक विशाल सभा में परिवर्तित हो गया, जिसे विभिन्न शिक्षाविद्ों ने सम्बोधित किया।
‘अहिंसा मार्च’ के उपरान्त सी.एम.एस. शिक्षकों ने बड़े ही हर्षोल्लास से अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया।  सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित इस भव्य समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में पधारे इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री श्रीनाथ सहाय ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व लोकायुक्त एवं इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एस. सी. वर्मा एवं डिप्टी रजिस्ट्रार, यू.पी., श्री उमा शंकर सिंह भी उपस्थित थे। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री श्रीनाथ सहाय ने कहा कि हम सभी मनुष्य एक दिव्य परिवार के सदस्य हैं और विश्व की प्रगति व उत्थान के लिए धार्मिक एकता तथा विश्व एकता आज की अनिवार्य आवश्यकता है जिसकी शिक्षा बच्चों को बाल्यावस्था से देने की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक एकता से ही आध्यात्मिकता के दरवाजे खुलेंगे क्योंकि धर्म ही मनुष्य को आध्यात्मिकता तक ले जाने वाला उपकरण है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति श्री एस.सी. वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अपने आदर्शो से आजादी दिलाई थी और उसी का प्रतिफल है कि हम एक सुरक्षित समाज में रह रहे हैं और हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है। लेकिन हमारी सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि हम उन नैतिक मूल्यों को भूल रहे हैं जिस पर चलकर बापू ने अहिंसक क्रान्ति का बिगुल फूंका था और उन्हीं नैतिक मूल्यों के कारण ही हमारे देश को ‘जगत गुरू’ माना गया था। आज हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य बच्चों की चेतना का विकास करना है, ताकि हम उन नैतिक मूल्यों को फिर से स्थापित कर भारत को गौरव प्रदान कर सकें। विशिष्ट अतिथि श्री उमा शंकर सिंह ने कहा कि गांधी जी ने हमें एक मंत्र दिया था ‘सत्य’ का, जिसे यदि हम आत्मसात कर लें तो अपना व दूसरों का जीवन सुधार सकते हैं।
इस अवसर पर ‘अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के उपलक्ष्य में सी.एम.एस. शिक्षकों ने विश्व एकता व विश्व शान्ति का संदेश देते अनेक शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर अहिंसा की भावना को सारे विश्व में प्रवाहित प्रचारित किया। समारोह की शुरुआत सी.एम.एस. कानपुर रोड के कैम्पस के शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा प्रस्तुत स्कूल प्रार्थना ‘हे मेरे परमात्मा’ से हुई तथापि सी.एम.एस. के शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत विशेष कोरियोग्राफी कार्यक्रम ‘परमेश्वर की सच्ची सेवा’ ने बापू के व्यक्तित्व व कृतित्व को जीवंत कर दिया एवं सम्पूर्ण आॅडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। इस अवसर पर सी.एम.एस. की शिक्षा पद्धति, फिलाॅसफी एवं प्रत्येक बालक को समाज का प्रकाश बनाने वाली सी.एम.एस. विचारधारा को उजागर करते हुए मल्टीमीडिया प्रजेन्टेशन, सी.एम.एस. महानगर के शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत सर्व-धर्म प्रार्थना, संगीत शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत भजन ‘वैष्णव जन तो…’ एवं ‘रघुपति राघव राजा राम…’ आदि ने भी अभूतपूर्व समां बांधा।
समारोह में बोलते हुए सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि ईश्वर ने महात्मा गाँधी को संसार में एक विशेष मसीहा के रूप में भेजा था। उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी के आदर्शों पर चलकर हम विश्व एकता स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए शुरू से ही बच्चों को नैतिक शिक्षा व सार्वभौमिक जीवन मूल्यों की शिक्षा देकर उन्हें विश्व नागरिक बनाना होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पूरे विश्व को विनाश से बचाने के लिए आज धार्मिक एकता तथा विश्व एकता की शिक्षा बच्चों को बाल्यावस्था से देने की बहुत आवश्यकता है। डा. गाँधी ने आगे कहा कि इस ‘अहिंसा मार्च’ के माध्यम से एकता का संदेश जो पूरे विश्व में प्रसारित हुआ है, उसकी गूँज संसार के सभी शिक्षाविदों, विद्वानों, मुख्य न्यायविदों व राष्ट्राध्यक्षों तक अवश्य पहुँचेगी और सम्पूर्ण मानवता को अपने कर्तव्यों प्रति झकझोर कर रख देगी। उन्होंने सम्पूर्ण विश्व ने अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी को ‘शान्ति दूत’ स्वीकार किया है। महात्मा गाँधी के विचारों व उपदेशों की जितनी जरूरत आज महसूस की जा रही है, उतनी पहले कभी नहीं रही। अन्त में विद्यालय की संस्थापिका-निदेशिका डा. (श्रीमती) भारती गाँधी ने ‘अहिंसा मार्च’ के अत्यन्त सफल आयोजन के लिए सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आध्यात्मिक शिक्षा का आज के परिप्रेक्ष्य में विशेष महत्व है क्योंकि इसी के माध्यम से भावी पीढ़ी का चरित्र निर्माण संभव है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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