हर समय उठती है दुर्गंध, बिकती हैं प्रतिबन्धित मछलियां
स्टेशन रोड स्थित वर्षों पुराने मंदिर महंत मौजगिरी मंदिर व उसके आस पास मछुआरों ने अपना डेरा डाल रखा हुआ है जहां कोलकाता सहित देश के विभिन्न राज्यों से व आसपास के तालाबों से मछलियां मंगाई जाती है और बेची जाती है प्रातः पूजन के समय इन आढ़तों पर मछुआरों और खरदारों का जमावड़ा रहता है। एक ओर जहां पूजन के लिये आने वाली महिलाओं और युवतियों का इनकी भद्दी बातों से सिर शर्म से झुक जाता हैं वहीं दूसरी ओर सारा दिन मंदिर के आस पास दुर्गंध का वातावरण बना रहता है। जिसकी शिकायत कई बार लोग अक्सर कर चुके । क्योंकि मुछआरे प्रातः मछली काटने के बाद अवशेष वहीं छोड़ कर चले जाते हैं जिसके कारण दिनभर दुर्गध का वातावरण बना रहता है। मना करने के दौरान यह लोग झगड़ा फसाद पर उतर आते है। मोहल्लें वासियों ने मांग की है कि नवरात्र पूजा के दौरान ही नहीं बल्कि हमेंशा के लिये इन मछलियों की आढ़तों को मंदिर की परिधि से कम से 100 मीटर दूर रखा जाये जिससे मंदिर का वातावरण शुद्ध बना रहे।
बताते चलें कि इन आढ़तों पर मरी हुई व प्रतिबन्धित प्रजाति की मछलियांेे जैस मंगुर, चाइना रेहू की बिक्री धड़ल्ले से खुलेआम की जाती है जिसे प्रशासन भी नहीं रोकता है। जबकि विशेषज्ञों ने इन मछलियों के खाने पर विभिन्न प्रकार की बीमारियां होने का खतरा भी बताया है। वही दूसरी ओर प्रशासन एवं मत्स्य पालन विभाग ने भी इन मछलियों की बिक्री एवं पालन पर रोक लगा रखी है लेकिन इन आढ़तों पर इन प्रतिबन्धों का कोई असर होता नहीं दिखता और धड़ल्ले से इनकी बिक्री जारी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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