देर रात तक खुलता है डीआईओएस कार्यालय
शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत हो चुकी हैं कि अब विभाग अनियमितता करने पर स्कूल अथवा कोचिंग सेन्टर के खिलाफ की गई कार्यवाही पर जश्न मनाया जाता है। विभाग के कर्मचारी व अधिकारी स्कूल अथवा कोचिंग संचालकों के खिलाफ कार्रवाई कर स्वयं पर इतराते नजर आते हैं और म नही मन खुश होकर सोचते हैं कि एक और मछली जाल में फंसी। घटना कल रात आठ बजे की है जब जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में अधिकारी व कर्मचारी डटे हुये थे। कभी मिठाई, कभी चाय की चुस्कियां तो कभी मिल्क बादाम। खुशी एक कोचिंग सेन्टर के संचालक को जेल भिजवाने की। शायद जिविनि की पारदर्शी आंखों में यही सेन्टर चढ़ गया, बाकी स्कूल काॅलेजों के शिक्षक इनकी नजर मंे आज तक नहीं चढ़े। प्रश्न उठता है कि जिविनि महाशय काॅलेजों स्कूलों के शिक्षकों पर क्लास रूम में बेहतर अध्ययन देने के लिए लगाम क्यों नहीं कसते। शहर भर मंे स्कूल काॅलेजों के शिक्षक कहां-कहां कोचिंग चला रहे हैं यह जिविनि को भली भांति पता है, पर उनकी नजर में केवल एक कोचिंग सेन्टर ही चढ़ा, क्यों चढ़ा केवल इसी सेन्टर के संचालक को जेल क्यों भिजवाया गया, इस प्रश्न का जबाव स्वयं जिविनि के पास नहीं है। ना ही उनके पास इस बात का कोई जबाव है कि वह देर रात कार्यालय मंे कुछ खास लोगों से क्यांे घिरे बैठे थे। वनगवां के एक इण्टर काॅलेजों के लोग उनके इर्द गिर्द क्या कर रहे थे, वह भी कार्यालय समय के बाद। जब इस बाबत जिविनि श्यामा कुमार से पूछा गया तो वह भभक उठे, बोले मेरा कार्यालय हैं, मैं चाहें रात भर खोलूं आपसे क्या। शायद श्यामा कुमार जी को यह पता नहीं है कि रात के अंधेरे मंे काला-सफेद ही किया जाता है, बाकी के काम तो दिन के उजाले में होते हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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