भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरद्वार दुबे ने आज पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रदेश की बसपा सरकार हार के डर से नगरीय निकाय का चुनाव कराने से भाग रही है। बसपा सरकार का इतना ग्राफ गिर गया है कि अब उसे हार का भय सताने लगा है। बसपा सरकार की सारी चालें राजनीतिक पार्टियों के चुनाव चिन्ह पर चुनाव न लड़ने/मेयर/अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता के द्वारा न कराने के अध्यादेश को मा0 उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त करने के बाद उसका असली चेहरा बेनकाब हो गया।
श्री दुबे ने कहा कि बसपा सरकार यह सोचकर दोनों अध्यादेश लाकर संविधान की धारा 74 के संशोधन की मंसा पर कुठाराघात कर रही थी तथा अपने धनबल तथा सरकारी तंत्र के दबाव में नगरीय निकाय के सभी पदों पर कब्जा करने का कुत्सित प्रयास करने के फिराक में थी परन्तु उच्च न्यायालय ने इस पर पानी फेर दिया। बसपा सरकार की सारे चाले धराशायी हो गई। इस कारण प्रदेश सरकार की मुखिया मायावती आसन्न विधान सभा पर नगर निकाय चुनाव परिणाम प्रभाव न डाल सकें। इस कारण राज्य सरकार नगर निकाय चुनाव टाल रही है। भाजपा मांग करती रही है कि निकाय चुनाव शीघ्रताशीघ्र कराया जायें। राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार को भेजा है फिर भी सरकार चुनाव को टालने पर आमादा है। 15 नवम्बर 2011 के पूर्व नगरीय निकाय का चुनाव हो जाना चाहिए। मा0 उच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार से अधिसूचना जारी करने के संबंध में जानकारी जाननी चाही परन्तु सरकार बहाना बनाकर चुनाव को टालने के प्रयास में है। क्योंकि उसे इस चुनाव में पराजय दिवाल पर लिखी दिख रही है। मा0 उच्च न्यायालय के आदेश के विरूद्ध राज्य सरकार मा0 सर्वोच्च न्यायलय में ए0एस0एल0पी0 दाखिल की परन्तु वहां से कोई स्थगन आदेश न मिल सका। यदि सरकार लोकतंत्र में विश्वास रखती है तो निचले सहभागिता के तंत्र का चुनाव कराने की हिम्मत जुटानी चाहिए।
श्री दुबे ने कहा कि भाजपा सरकार के इस निर्णय का विरोध करती हे। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि सरकार की मंशा है कि कुछ चुनाव टालकर नगर निकाय में प्रशासक बैठाए। भाजपा सरकार के इस कदम का डटकर विरोध करेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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