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बसपा अति पिछड़ों, अति पिछड़े मुस्लिमों को वास्तवकि आरक्षण की पक्षधर कभी नहीं रही

Posted on 19 September 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने मुस्लिम आरक्षण के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री मायावती द्वारा प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह को  लिखे गये पत्र को वोट बैंक तुष्टीकरण की संज्ञा देते हुए कहा कि बसपा सरकार ने उ0प्र0 लोक सेवा (अनु0 जातियों, अनु0 जन जातियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन अधिनियम में 2002 पारित करवाकर मुस्लिम समाज की लगभग 35 कमजोर पिछड़ी जातियों के वास्तविक आरक्षण अधिकार को छीन लिया था। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं सदस्य विधान परिषद हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि श्री राजनाथ सिंह सरकार ने सन् 2000 में उ0प्र0 लोक सेवा (अनु0 जातियों, अनु0 जन जातियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन अधिनियम पारित करवाकर पिछड़े वर्गों की तीन सूचियां बनाई थीं। इनमें कुल 27 प्रतिशत आरक्षण में से पहली सूची को 5 प्रतिशत, दूसरी सूची को 9 प्रतिशत व तीसरी सूची को सबसे ज्यादा 14 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। इसी तीसरी सूची में मुसलमानों की कसगर, कुजड़ा या राईन, घोसी, चक, छीपा, जोगी, झोजा, डफाली, अर्राक, फकीर, रंकी, सैफी, भड़ियारा, लोहार-सैफी, सलमानी, सक्का-भिश्ती, नानबाई, भीरशिकार, शेख सरवारी, मेव, कोष्टा, मनिहार, मुस्लिम कायस्थ, मिरासी, नद्दाफ (धुनिया) आदि लगभग 35 मुस्लिम जातियां शामिल की गई थी। राजनाथ सिंह सरकार द्वारा पारित कराए गए अधिनियम में पिछड़े मुस्लिमों को आरक्षण की गारंटी थी।
श्री दीक्षित ने कहा कि वोट के लिए मजहबी आरक्षण की मांग करने वाली बसपा व मजहबी आरक्षण की मांग को लगातार तूल देने वाली कांग्रेस में गुप्त समझौता है। संविधान सभा में पं. नेहरू, सरदार पटेल व डा0 अम्बेडकर आदि महानुभावों ने मजहबी आधारित आरक्षण के सिद्धांत को सर्व सम्मति से खारिज कर दिया था। लेकिन कांग्रेस पं. नेहरू व सरदार पटेल को नहीं मानती, बसपा अम्बेडकर का सिद्धांत कतई नहीं स्वीकार करती।
श्री दीक्षित ने कहा कि बसपा ने राजनाथ सिंह सरकार के वास्तविक आरक्षण सिद्धांत को कोर्ट के एक मुकदमें के बहाने पलट दिया था। सरकारी गजट 31 अगस्त 2002 की उक्त विषयक सूचना (पृष्ठ 5) में वास्तविक आरक्षण सिद्धांत से जुड़े विधेयक को पलटने का कारण केवल न्यायालय के स्टे बताया गया है। मुकदमा खत्म हो गया तो भी सरकार ने पुराने प्राविधानों की बहाली क्यों नहीं की? बसपा अति पिछड़ों, अति पिछड़े मुस्लिमों को वास्तवकि आरक्षण की पक्षधर कभी नहीं रही। उसने अति पिछड़ी जातियों और पिछड़े मुस्लिमों के हितों पर डाका डाला है।
श्री दीक्षित ने मांग की कि मुख्यमंत्री चिट्ठी लिखने के बजाय अति पिछड़ों व पिछड़े मुस्लिमों को वास्तवकि आरक्षण देने के लिए भाजपा सरकार द्वारा पारित कराए। भाजपा इस सवाल को लेकर जन अभियान पर निकल चुकी है। भाजपा की सरकार बनते ही वही प्राविधान फिर से लागू किए जाएंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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