- 5,000 रूपये तक की मासिक आय वाले ई0डल्यू0एस0 तथा 5,001 से 10,000 रूपये तक मासिक आय वाले एल0आई0जी0 लाभार्थी होंगे
- योजना का कम्पलीशन सर्टीफिकेट तभी जब विकासकर्ता द्वारा ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 भवनों का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री माननीया सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में सार्वजनिक, निजी एवं सहकारी क्षेत्र की नई आवासीय योजनाओं में आर्थिक दृष्टि से दुर्बल (ई0डल्यू0एस0) एवं अल्पआय वर्गाें (एल0आई0जी0) के व्यक्तियों के लिए आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने सम्बन्धी नीति को मंजूरी प्रदान कर दी गई है।
अनुमोदित नीति में 5,000 रूपये तक की मासिक आय परिवारो को ई0डल्यू0एस0 लाभार्थी तथा 5,001 से 10,000 रूपये तक मासिक आय वाले परिवारों को एल0आई0जी0 लाभार्थी माना गया है। इन दोनों वर्गांे की आय सीमा को यथा सम्भव प्रत्येक वर्ष परन्तु अधिकतम दो वर्षाें में ‘कास्ट इंडेक्स’ के आधार पर पुनरीक्षित किया जायेगा। ई0डल्यू0एस0 आय वर्ग के लिए प्लाटेड डेवलपमेन्ट (भूखण्ड का क्षेत्रफल) न्यूनतम 30 वर्ग मीटर तथा ग्रुप हाउसिंग (प्लिन्थ एरिया) न्यूनतम 25 वर्ग मीटर निर्धारित किया गया है, जबकि एल0आई0जी0 आय वर्ग के लाभार्थियों के लिए प्लाटेड डेवलपमेन्ट न्यूनतम 40 वर्ग मीटर तथा गु्रप हाउसिंग न्यूनतम 35 वर्ग मीटर निर्धारित की गई है।
अनुमोदित नीति के अनुसार आवासीय योजनाओं के अन्तर्गत ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 भवनों का प्रतिशत/संख्या निर्धारित की गयी है। इसके अनुसार 3,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल की आवासीय योजनाओं अन्तर्गत प्रस्तावित आवासीय इकाईयों का ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 के लिए न्यूनतम 10-10 प्रतिशत अर्थात कुल 20 प्रतिशत इकाईयों के निर्माण की अनिवार्यता इस शर्त के अधीन होगी कि उक्त इकाईयों की संख्या योजना के ग्राॅस एरिया पर 05 इकाईयां प्रति एकड़ से कम नहीं होंगी। प्रस्तावित योजना प्लाटेड डेवलपमेन्ट/ग्रुप हाउसिंग अथवा किसी भी पद्धति के अनुसार नियोजित होने पर आवासीय इकाईयों का निर्माण करना अनिवार्य होगा। यदि 3000 वर्ग मीटर से लेकर 01 हैक्टेयर तक योजना में उसी स्थल पर ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 इकाईयों का निर्माण सम्भव न हो तो उस स्थल के लगभग 01 किलोमीटर के अर्द्धव्यास में स्थित आवासीय भू-उपयोग की भूमि पर इसी अपेक्षा अनुरूप आवासीय इकाईयों का निर्माण करना होगा।
योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रस्तावित नीति में विस्तार उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 के भवनों की लागत जिसमें भूमि की लागत (जिलाधिकारी का अद्यतन सर्किल रेट) तथा भवन के निर्माण लागत की गणना विकास प्राधिकरण/आवास परिषद द्वारा की जायेगी। योजना के ले-आउट प्लान की स्वीकृति के समय संबंधित योजना में ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 भवनों का जितना दायित्व बनता है उनका भी मानचित्र साथ में स्वीकृत कराना अनिवार्य होगा।
योजना के ले-आउट प्लान की स्वीकृति के समय विकासकर्ता द्वारा विकास प्राधिकरण/आवास एवं विकास परिषद के पक्ष में नियमानुसार देय ‘परफार्मेन्स गारण्टी’ के अतिरिक्त ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 भवनों के लिए भूमि एवं भवनों के निर्माण की आंकलित लागत के समतुल्य शत-प्रतिशत बैंक गारण्टी देय होगी, जो भवन निर्माण के साथ-साथ अनुपातिक रूप से अवमुक्त की जायेगी। विकास प्राधिकरण/आवास एवं विकास परिषद द्वारा योजना का कम्पलीशन सर्टीफिकेट तभी जारी किया जायेगा, जब विकासकर्ता द्वारा ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 भवनों का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा।
प्रस्तावित नीति में विकासकर्ताओं इन्सेन्टिव भी देने का प्रावधान किया गया है। विकासकर्ता द्वारा ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 लाभार्थियों के लिए निर्मित किये जाने वाले भवनों की लागत को अपनी योजनान्तर्गत अन्य उच्च उपयोगों/एच0आई0जी0 के भूखण्डों से क्रास-सब्सिडाइज किया जायेगा। इसके लिए विकासकर्ता को ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 भवनों के तल क्षेत्रफल के समतुल्य आवासीय उपयोग का निःशुल्क एफ0ए0आर0 जो बेसिक एफ0ए0आर0 क्रय योग एफ0ए0आर0 के अतिरिक्त होगा, ट्रान्सफरेबल के आधार पर अनुमन्य होगा जिसके सापेक्ष समानुपातिक रूप से इकाईयां भी अनुमन्य होंगी। विकासकर्ता द्वारा अतिरिक्त एफ0ए0आर0 के अनुसार ले-आउट प्लान/भवनों का डिजाइन तैयार किया जा सकेगा जो सशर्त अनुमोदित किया जायेगा, परन्तु अतिरिक्त एफ0ए0आर0 का उपयोग ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 भवनों का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने की शर्त के अधीन अनुमन्य होगा।
नीति में भवनों का मूल्य निर्धारण करने के लिए आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय भारत सरकार/हडको द्वारा वर्ष 2010 में जारी मानकों के अनुसार ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 भवनों का सीलिंग मूल्य क्रमशः 02 लाख एवं 4.25 लाख रूपये प्रति इकाई तय किया गया है जिसका पुनरीक्षण यथासम्भव प्रत्येक वर्ष, परन्तु अधिकतम 02 वर्षाें में कास्ट इन्डेक्स के आधार पर किया जायेगा। इन भवनों का आवंटन ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 आय वर्ग के लाभार्थियों को उपाध्यक्ष/आवास आयुक्त की अध्यक्षता में शासन द्वारा गठित समिति जिसमें जिलाधिकारी तथा विकासकर्ता के प्रतिनिधि भी सदस्य होंगे के माध्यम से किया जायेगा। ई0डल्यू0एस0 एवं एल0आई0जी0 भवनों को लाभार्थी द्वारा विक्रय/हस्तान्तरण पर रोक लगाने हेतु सुसंगत अधिनियमों में व्यवस्था की जायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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