उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री माननीया सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में खरीफ विपणन वर्ष 2011-12 में मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत धान क्रय नीति को अनुमोदित किया गया। कृषकों को उनकी उपज का उचित एवं लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराने हेतु भारत सरकार की मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत निर्धारित मूल्यों पर धान के क्रय की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा इस नीति के माध्यम से की जायेगी।
धान क्रय नीति के अनुसार क्रय एजेन्सियों द्वारा काॅमन श्रेणी का धान 1080 रूपये प्रति कुन्टल तथा ग्रेड-ए श्रेणी का धान 1110 रूपये प्रति कुन्टल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सीधे कृषकों से क्रय किया जायेगा। प्रदेश की चावल मिलों से उत्पादित कस्टम चावल की समस्त मात्रा का सम्प्रदान केन्द्रीय पूल हेतु भारतीय खाद्य निगम को किया जायेगा। खरीफ विपणन वर्ष 2011-12 में धान क्रय की अवधि 01 अक्टूबर, 2011 से 28 फरवरी, 2012 तक होगी। 28 फरवरी, 2012 तक क्रय केन्द्रों पर किसानों द्वारा लाए जाने वाले धान की समस्त मात्रा का क्रय किया जायेगा। धान क्रय निर्धारित गुण-विनिर्दिष्टियों के अनुसार क्रय किया जायेगा और इसके लिए केन्द्र प्रभारी उत्तरदायी होंगे।
प्रदेश में धान की बुवाई के क्षेत्रफल एवं उत्पादकता के दृष्टिगत खरीफ वर्ष 2011-12 में 25 लाख मी0टन धान क्रय का कार्यकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निर्धारित अवधि में क्रय केन्द्रों पर यदि किसानों की आवक बनी रहती है तो, किसानों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तावित कार्यकारी लक्ष्य से भी अधिक धान क्रय किया जा सकेगा तथा उससे उत्पादित कस्टम चावल की समस्त मात्रा भारतीय खाद्य निगम में ही भण्डारित की जायेगी। क्रय केन्द्रों पर धान क्रय में किसानों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो, इसके लिए गत वर्षाें की भांति ’प्रथम आवक प्रथम खरीद’ का सिद्धान्त लागू होगा।
इस वर्ष प्रदेश मंे कुल तीन हजार धान क्रय केन्द्र खोले जायेंगे, जिसमें राज्य सरकार की एजेन्सियों के 2950 क्रय केन्द्र सम्मिलित हैं। इन केन्द्रों में खाद्य विभाग के 625, उ0प्र0 सहकारी संघ (पी0सी0एफ0) 1325, उ0प्र0 राज्य कृषि एवं औद्योगिक निगम (यू0पी0 एग्रो) के 225, उ0प्र0 उपभोक्ता सहकारी संघ (यू0पी0एस0एस0) के 375, उ0प्र0 राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम के 150, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नैफेड) के 60, उ0प्र0 राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के 150, भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एन0सी0सी0एफ0) के 40 क्रय केन्द्र शामिल हैं। इनके अलावा भारतीय खाद्य निगम द्वारा 50 क्रय केन्द्र स्थापित किए जायेंगे।
राज्य सरकार की एजेन्सियों द्वारा 23 लाख मी0टन धान क्रय किया जायेगा। इसके तहत खाद्य विभाग द्वारा 7.5 लाख मी0टन, उ0प्र0 सहकारी संघ द्वारा 06 लाख मी0टन, उ0प्र0 राज्य कृषि एवं औद्योगिक निगम द्वारा 2.50 लाख मी0टन, उ0प्र0 उपभोक्ता सहकारी संघ द्वारा 2.25 लाख मी0टन, उ0प्र0 राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम द्वारा 1.25 लाख मी0टन, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी वितरण संघ (नैफेड) द्वारा 1.25 लाख मी0टन, उ0प्र0 राज्य कर्मचारी कल्याण निगम द्वारा 1.25 लाख मी0टन तथा भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एन0सी0सी0एफ0) द्वारा 01 लाख मी0टन धान की खरीद की जायेगी। इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम द्वारा 02 लाख मी0टन धान की खरीद सीधे किसानों से की जायेगी।
क्रय केन्द्रों पर किसानों द्वारा धान खरीद में जोतबही व खसरा-खतौनी लाए जाने की अनिवार्यता होगी। चकबन्दी अन्तर्गत ग्रामों में चकबन्दी सम्बन्धी संगत भू-लेख व वास्तविक किसान की पहचान हेतु फोटोयुक्त पहचान पत्र के आधार पर भी धान क्रय किए जाने की व्यवस्था की गयी है। धान बिक्री के उपरान्त केन्द्र प्रभारी द्वारा जोतबही के अंतिम पृष्ठ पर धान बिक्री का दिनांक, बिक्री की मात्रा और केन्द्र का नाम अनिवार्य रूप से अंकित किया जायेगा।
जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक गांव को निकटतम दूरी के धान क्रय केन्द्र से सम्बद्ध किया जायेगा और इस मामले में यथासम्भव यह ध्यान रखा जायेगा कि किसानों को अपने धान के विक्रय के लिए 07 किलोमीटर से अधिक दूरी तय न करनी पड़े। मण्डी परिसर में स्थापित सभी धान क्रय केन्द्र असम्बद्ध रहेंगे। समस्त जनपदों में धान खरीद के कार्य को प्रभावी रूप से सम्पादित करने हेतु जिलाधिकारी द्वारा एक जिला खरीद अधिकारी, जो अपर जिलाधिकारी के समकक्ष स्तर के हों, नामित किया जायेगा। यह अधिकारी धान खरीद के कार्य को प्रभावी रूप से संचालित करने हेतु उत्तरदायी होगा।
क्रय केन्द्रों के स्थान का चयन इस प्रकार किया जायेगा कि उससे सम्बद्ध गांव के किसान कम से कम दूरी तय करके, सुगमता से अपना धान विक्रय हेतु ला सकें। वहीं इस तथ्य को भी ध्यान में रखा जायेगा कि क्रय केन्द्रों पर खरीदे गये धान का, यदि कुछ समय के लिए अस्थाई संग्रह करना पड़े, तो क्रय की गई धान की मात्रा सुरक्षित रह सके। क्रय केन्द्रों तक वाहन के आने-जाने का मार्ग भी ठीक होना चाहिए।
धान क्रय केन्द्र पर एक दिन में एक कांटे पर 300 कुन्तल (750 बोरे) धान खरीद की मात्रा निर्धारित की गयी है तथा अधिक धान की आवक के दृष्टिगत आवश्यकतानुसार क्रय केन्द्र पर एक से अधिक कांटों की व्यवस्था जिलाधिकारी की अनुमति से की जायेगी। क्रय केन्द्रों पर धान की तौल अधिक सुविधाजनक और त्वरित गति से हो, इसके लिए साधारण कांटे के साथ-साथ इलेक्ट्रानिक कांटे की भी व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी।
प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी द्वारा जनपद की परिस्थितियों एवं क्षेत्र में धान की आवक की स्थिति का आकलन करते हुए क्रय केन्द्रों का निर्धारिण किया जायेगा। इस सम्बन्ध में यथावश्यक जन प्रतिनिधियों का भी परामर्श प्राप्त किया जायेगा। अतिरिक्त क्रय केन्द्र खोले जाने की आवश्यकता पाये जाने पर मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति अपेक्षित निर्णय लेगी। क्रय केन्द्रो के स्थल चयन में सार्वजनिक स्थानों जैसे सामुदायिक विकास केन्द्र, मण्डी स्थल, पंचायत घर, सहकारी समितियों के कार्यालय/गोदाम एवं सरकारी भवनों को यथासम्भव प्राथमिकता दी जायेगी। भारतीय खाद्य निगम के क्रय केन्द्र उनके भण्डारण डिपों पर नहीं, वरन् मण्डियों अथवा अन्य उपयुक्त स्थान पर खोले जायेंगे।
धान क्रय केन्द्र सामान्यतः प्रातः 08 बजे से सायं 05 बजे तक खोले रखे जायेंगे, परन्तु जिलाधिकारी स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार क्रय केन्द्र के खुलने व बन्द होने के समय में परिवर्तन करने हेतु अधिकृत होंगे। किसानों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से रविवार एवं राजपत्रित अवकाशों को छोड़कर, धान क्रय केन्द्र सामान्य कार्यदिवसों की भांति द्वितीय शनिवार एवं अन्य कार्यदिवसों में भी खुले रहेंगे। धान के मूल्य के भुगतान के सम्बन्ध में क्रय एजेन्सियां यह सुनिश्चित करेंगे कि किसानों को तत्परतापूर्वक सुगमता से भुगतान मिल सके।
राज्य मण्डी परिषद अपनी प्रमुख मण्डियों में उचित प्रतिस्पर्धा पूर्ण ढंग से नीलामी के माध्यम से धान विक्रय की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करायेगी। क्रय एजेन्सियों द्वारा खरीदे गये धान की कुटाई करायी जायेगी तथा निर्मित चावल का सम्प्रदान सेन्ट्रल पूल हेतु भारतीय खाद्य निगम के डिपो पर किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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