बेसिक शिक्षा विभाग को 50 लाख रूपए का बंदरवाट बडे़ से लेकर छोटे सभी अधिकारियों को तो बचा लिया गया परंतु घपले का घड़ा निर्माण प्रभारी शिक्षक के सिर फोड़ दिया गया। विभाग की तरफ से होने वाले निर्माण कार्य में एबीएसए, एबीआरसी, डिप्टी बीएसए खुद बीएसए, जेई, तथा उनके एई सभी जिम्मेदार बनते है जिसमें मासिक निर्माण प्रगति रिपोर्ट आला अधिकारियों का भेजी जाती है। उन जांचो पर क्यों कोई ध्यान नहीं दिया गया और जब भांडा फूट गया। तो बीएसए सियाराम निर्मल दो हजार पांच के शिक्षाविभाग में पचास लाख के घपले की बात स्वीकार कर रहे है। प्रस्तावित भवन निर्माण बाउण्ड्रीवाल, शौचालय, किचनशेड के निर्माण के घपलों की बात स्वीकार कर रहे है। शिक्षा विभाग की संस्तुति पर डीएम एके सिंह राठौर ने पूरे मामलें की जांच का आदेश दे दिया है। परंतु शिक्षा विभाग स्वयं और अपने जिम्मेदार अधिकारियों को बचाकरके निर्माण प्रभारी शिक्षक को जिम्मेदार मान रहा है जबकि नियमानुसार मासिक जांच आख्या की व्यवस्था है। तो केवल निर्माण प्रभारी शिक्षक कैसे दोषी हो सकता है। मासिक रिपोर्ट पर अगली धनराशि स्वीकृत करने का प्राविधान है। इससे स्पष्ट है कि पूरे घपले में अधिकारी शामिल है। सबसे मजेदार बात है कि वार्षिक रिपोर्ट भी बिल्कुल साफ थी कोई घपला नही था। मामलेे का खुलासा एक शिक्षक संघ के एक पदाधिकारी ने नाराज होकरके पूरे मामलें को खोल दिया। तब विभाग ने अधिकारियों को बचाकर शिक्षकों के प्रति जंाच शुरू करवा दी। बीएसए सियाराम निर्मल निर्माण में सभी की संलिप्तता के अब स्वीकार कर रहे है और दोबारा जांच की बात करने लगे है। बताया जा रहा है निर्धारण पुरान रैट पर ही किया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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