- भूमि विकास एवं जल संसाधन विभाग के 374 कार्मिकों को सूचना प्रबन्धन प्रणाली का प्रशिक्षण दिया गया
- समेकित जल संग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम में भूमिहीनों के विकास के लिए 10 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था
- इन्ट्री प्वाइंट पर कराएं जाने वाले कार्यों का चयन ग्राम की खुली बैठक में होना चाहिए
- सूचना प्रबन्धन की आॅन लाइन व्यवस्था से कोई भी व्यक्ति कार्यों की गुणवत्ता देख सकता है
उत्तर प्रदेश के भूमि विकास एवं जल संसाधन विभाग द्वारा पर्यटन भवन सभागार गोमती नगर में दो दिवसीय कार्यशाला व प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कल से किया गया। जिसका उद्घाटन माननीय मंत्री भूमि विकास एवं जल संसाधन तथा पंचायती राज श्री स्वामी प्रसाद मौर्या जी द्वारा किया गया। माननीय मंत्री जी का स्वागत करते हुए प्रमुख सचिव भूमि विकास एवं जल संसाधन विभाग श्री योगेश कुमार द्वारा योजना के बारे में विस्तृत प्रकाश डालते हुऐ बताया गया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य वर्षा सिंचित क्षेत्रों मे वर्षा जल का संरक्षण कर भूमि मे नमी को बढाना तथा सूखे की स्थिति को यथा सम्भव कम करके वर्षा आधारित फसलों विशेष कर दलहन व तिलहन की पैदावार बढाना है। इसके लिये जल संरक्षण के उपचार जैसे-कन्टूर बंडिग, चेक डैम व जल संचय बांधों का निर्माण कर अधिक से अधिक वर्षा जल को बेकार बहने से रोक कर सतही तथा भूमिगत जल भण्डारण को बढावा देना है। जिससे इस भण्डारित जल का उपयोग स्पमि Life Saving Irrigation के लिए किया जा सके।
श्री मौर्य ने अपने संबोधन में बताया कि हमारा प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है जिसकी 70 प्रतिशत आबादी खेती पर ही निर्भर है प्रदेश में नहर प्रणालियों तथा अन्य सिंचाई के अन्य साधनों से सिंचित क्षेत्र के बावजूद लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र असिंचित रह जाता है जिसमें इस कार्यक्रम के अंतर्गत वर्षा जल के संचय से भूमि में नमी तथा सिंचाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होगी जिससे दलहन, तिलहन तथा खाद्यान का अतरिक्त उत्पादन सुनिश्चित होगा जिससे बढ़ती हुई जनसंख्या का समुचित भरण-पोषण हो सकेगा।
इस कार्यशाला मे भूमि संसाधन विभाग ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के निदेशक वाटर शेड मैनेजमेन्ट श्री वी0एम0 अरोड़ा ने अपने संबोधन में कहा कि आई0डब्ल्यू0एम0पी0 योजना पूर्व संचालित सूखोन्मुख क्षेत्र विकास कार्यक्रम (डी0पी0ए0पी0) तथा आई0डब्ल्यू0डी0पी0 व डी0डी0पी0 को मिलाकर नए सिरे वर्ष 2008 से संचालित की जा रही है जिसकी विशेषता यह है कि इसमें भूमि धारकों के साथ-साथ भूमिहीन तथा साधन हीन ग्रामीण परिवारों को जीविकोपार्जन एवं उनकी आमदनी में बढ़ात्तरी हेतु योजना व्यय का दस प्रतिशत धनराशि मात्राकृत की गयी जिसका पूर्व के वाटर शेड विकास कार्यक्रमों में अभाव था। इस प्रकार योजनातर्गत समस्त ग्रामीणों को योजना का लाभ दिलाये जाने का प्राविधान किया गया है। उन्होने यह भी बताया कि इस योजनातर्गत चेकडैम व अन्य जल संभरण संरचनाओं के निमार्ण का प्राविधान है जिससे भूमि सतह तथा भूमिगत पानी का भण्डारण बढ़ेगा और कृषि उपज में बढ़ोत्तरी होगी।
इस कार्यशाला में प्रिन्सपल सिस्टम एनालिस्ट एन0आई0सी0 श्री नवीन अग्रवाल द्वारा एम0आई0एस0 सिस्टम संबंधी विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण में भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग, उ0प्र0 के भूमि विकास एवं जल संसाधन विभाग, स्टेट लेविल नोडल एजेंसी (एस0एल0एन0ए0)/स्टेट लेविल डाटा सेल जनपद स्तर पर डी0आर0डी0ए0/वाटर शेड एवं डेटा सेल तथा प्रोजक्ट इम्प्लीमेंटेशन एजेंसी (पी0आइ्र्र0ए0) तक सूचनाएं तथा प्रगति रिपोर्ट एम0आई0एस0 साफ्टवेयर में फीड करने के संबंध में विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया तथा साथ ही साथ निदेशक भारत सरकार द्वारा प्रतिभागियों के प्रश्नों का निराकरण भी मौके पर ही किया जाता रहा।
प्रशिक्षण में आई0डब्ल्यू0एम0पी0 कार्यक्रम से संबंधित भूमि एवं जल संसाधन विभाग तथा कृषि विभाग के उप निदेशक, भूमि संरक्षण अधिकारी, जिला वाटर शेड डेटा सेल के विशेषज्ञ लेखाकार, कम्प्यूटर/डेटा इन्ट्री आपरेटर तथा कार्यक्रम से संबंधित प्रदेश सरकार तथा एस0एल0एन0ए0 के अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में श्रीमती सन्ध्या तिवारी विशेष सचिव तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्री संजय कृष्ण संयुक्त सचिव, श्री हरिलाल पासी आयुक्त एवं प्रशासक शारदा सहायक तथा श्री एल0बी0 पाण्डेय आयुक्त एवं प्रशासक रामगंगा कमांड डा0 जे0एम0 त्रिपाठी प्राविधिक विशेषज्ञ एवं अन्य उच्चाधिकारी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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