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उच्च शिक्षण संस्थानों में दलित तथा पिछड़े छात्रों के साथ भेदभाव पर राज्यसभा में बी.एस.पी.का विरोध प्रदर्शन

Posted on 07 September 2011 by admin

इन्सटीट्यूट आॅफ टेक्नालाॅजी, बी.एच.यू. को तोड़कर आई.आई.टी. बनाने के पक्ष में भी बी.एस.पी. नहीं

उच्च शिक्षण संस्थानों में दलित और पिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव पर बहुजन समाज पार्टी ने आज काफी समय तक राज्य सभा की कार्यवाही नहीं चलने दी। राज्यसभा में पार्टी नेता श्री सतीश चन्द्र मिश्र के नेतृत्व में बी.एस.पी. के सभी सदस्यों ने इस भेदभाव के खिलाफ जमकर हंगामा किया। बाद में उप सभापति के चैम्बर में हुई सर्वदलीय बैठक में भी बी.एस.पी.ने जोरदार तरीके से दलितों व पिछड़ों के विरूद्ध उच्च शिक्षण संस्थानों में सभी स्तरों पर किये जा रहे भेदभाव पर रोष प्रकट किया। इसी बैठक में पार्टी ने केन्द्र सरकार को आगाह किया कि जब तक दलितों व पिछड़ों के हितों की रक्षा के संबंध में सरकार तथा विशेषकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कोई ठोस नीति सामने नहीं लाता तब तक बी.एस.पी. उनके हितों के लिए इसी तरह अपना विरोध प्रकट करती रहेगी।
राज्यसभा में बुधवार को हंगामा उस समय शुरू हुआ जब मानव संसाधन विकास मंत्री श्री कपिल सिब्बल द्वारा इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नालाॅजी, कांजीपुरम से संबंधित एक बिल पेश किया गया। बिल पेश किये जाने पर बी.एस.पी.के सदस्यों ने खड़े होकर इस बिल तथा अन्य शिक्षण संस्थानों जैसे-आई.आई.टी. आदि में दलितों व पिछड़ों के आरक्षण का कोटा पूरा न किये जाने के संबंध में तर्कपूर्ण तरीके से विरोध प्रकट किया।
राज्यसभा में बी.एस.पी. सांसदों ने इस विषय पर बोलते हुए कहा कि आई.आई.टी. दिल्ली में कुल 478 शिक्षकों में से मात्र एक शिक्षक अनुसूचित जाति तथा एक ही शिक्षक पिछड़ा वर्ग का कार्यरत है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि आई.आई.टी. तथा अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति में भेदभाव बरता जा रहा है। यही नहीं बल्कि आधिकारिक तौर पर सूचना के अधिकार के माध्यम से प्राप्त की गयी जानकारी के मुताबिक 1995 से लेकर 2010 तक यानि की पिछले 15 वर्षों में 2 हजार से अधिक  अनुसूचित जाति/जन जाति तथा पिछड़े वर्गों के छात्रों को फेल करके इन संस्थानों से बाहर निकाल दिया गया। इन आंकड़ों से यह भी साबित हो जाता है कि दलितों और पिछड़ों के प्रति किस तरीके से भेदभाव किया जा रहा है। इसी दुर्भावना के चलते कई छात्र-छात्राएं आत्महत्या तक के लिए मजबूर हो चुके हैं।
पार्टी के सदस्यों ने इस मामले पर करीब 15 मिनट तक राज्यसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी। सांसदों ने कहा कि केन्द्र सरकार तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आॅटोनाॅमी (स्वायत्तता) के नाम पर कुछ शिक्षण संस्थानों को मनमानी करने की छूट दी जा रही है जिससे सर्वाधिक नुकसान दलित, पिछड़े व धार्मिक अल्पसंख्यक वर्गों के छात्रों को होगा। पार्टी के सदस्यों ने राज्यसभा में कहा कि इस तथाकथित स्वायत्तता की वजह से इन संस्थानों के मैनेजमेन्ट तथा शिक्षकों को बड़े पैमाने पर दलित तथा पिछड़े वर्ग के छात्रों के खिलाफ अन्यायपूर्वक व्यवहार करने का लाइसेन्स भी मिल जायेगा। बी.एस.पी.इसका हर स्तर पर विरोध करेगी। पार्टी ने राज्यसभा में इन्सटीट्यूट आॅफ टेक्नालाॅजी (अमेंडमेंट) बिल 2011, नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नालाॅजी (अमेंडमेंट) बिल 2010, केन्द्रीय शिक्षण संस्थान आरक्षण (अमेंडमेंट) बिल के अलावा इन्सटीट्यूट आॅफ टेक्नालाॅजी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को तोड़कर अलग से आई.आई.टी. बनाने का भी पुरजोर विरोध किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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