मनरेगा मजदूरों ने तहसील दिवस मंे की शिकायत
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना के तहत केन्द्र सरकार द्वारा गांव-गांव में श्रमिकों को मजदूरी देकर उनको जीविकोपार्जन का एक मुहिक चलाया गया और इसको सफल बनाने एवं श्रमिकों को आसानी से पूरा रुपया दिलाने की योजना अपनाते हुए सरकार ने प्रत्येक मजदूर के शून्ये वैलेंस से बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक मंे खाते खुलवाने के प्रशासन को निर्देश दिये, परन्तु प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही व रिश्वतखोरी के चलते श्रमिक आज भी अपने खाते खुलवाने एवं रुपये लेने के लिए दर-दर भटक रहे हैं पर उनकी समस्या को सुनने वाला कोई भी नहीं हैं क्योंकि उधर से लेकर नीचे तक हर विभाग भ्रष्टाचार की दलदल में डूबा हुआ है।
इसी भ्रष्टता से तंग आकर पुवायां क्षेत्र के ग्राम हरना नगला के मजदूरों ने एक फरवरी 2011 को तहसील दिवस में बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक ताकिया पुवायां के शाखा प्रबंधक पर मनरेगा के खाते खोलने के बदले में एक-एक हजार रुपये रिश्वत के तौर पर मांगने का आरोप लगाया था। जिसको एसडीएम पुवायां ने जांच कराकर कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया परन्तु सात माह गुजर जाने के उपरान्त भी श्रमिकों के मनरेगा खाते को खोला गया और न ही शाखा प्रबंधक के ऊपर लगाये गये आरोप पत्र की जांच कराकर कोई कार्रवाई की गयी। जबकि मनरेगा मंे सैकड़ों मजदूरों ने काम किया जिसमें पचासों मजदूरों के खाते न खुले होने के कारण वह अपनी-अपनी मजदूरी से वंचित रहकर अपने परिवारों का पालन पोषण नहंी कर पा रहे हैं। जिसका कारण है कि काम तो वह मनरेगा योजना में करते हैं और खाता न खुलने के कारण पैसा बैंक से नहीं मिलता है। आज आठ माह से यह मजदूर बैंक व ब्लाक के चक्कर काट रहे हैं। पर इनकी सुनने वाला कोई भी नहीं नजर आ रहा है। शाखा प्रबंधक पर रिश्वत का आरोप लगाने वाले राम भरोसे लाल, सत्यदेव, रमेश चन्द्र, मुनीम, अतीक खां, जितेन्द्र कुमार, सुरेन्द्र कुमार आदि लोग शामिल हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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