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उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री माननीया सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्न महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये

Posted on 06 September 2011 by admin

केन्द्र सरकार/उ0प्र0 से भिन्न राज्यों के कार्मिकों द्वारा 01 अप्रैल, 2005 को अथवा इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार की सेवा में प्रवेश करने पर पेंशन योजना से आच्छादित करने का निर्णय

उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद ने राज्य सरकार के अधीन सरकारी सेवा में अथवा राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित शिक्षण संस्थाओं/स्वायत्तशासी संस्थाओं में दिनांक 01 अप्रैल, 2005 को अथवा इसके उपरान्त नियुक्त नए कार्मिक जो पूर्व में केन्द्र सरकार अथवा किसी अन्य राज्य सरकार के अधीन अथवा उनके द्वारा वित्त पोषित स्वायत्तशासी संस्थाओं में सेवारत थे, ऐसे कर्मियों के बारे में निम्नानुसार पेंशन योजना के तहत आच्छादित करने का निर्णय लिया है।
मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार केन्द्र सरकार अथवा मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमांचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल तथा गुजरात की राज्य सरकारों के ऐसे कर्मचारी जो केन्द्र सरकार/सम्बन्धित राज्य सरकार के अधीन पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित थे तथा उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन किसी पेंशनयुक्त अधिष्ठान में 01 अप्रैल, 2005 को अथवा इसके पश्चात नियुक्त हुए हैं, तो वे दिनांक 01 अप्रैल, 2005 के पूर्व प्रभावी पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित माने जायेंगे। केन्द्र सरकार की अनुदानित संस्थाओं/स्वायत्तशासी संस्थाओं, जिनमें केन्द्र सरकार की पुरानी पेंशन योजना के समान पंेशन योजना लागू रही हो, के कार्मिक जो राज्य सरकार के अधीन नियुक्त होते हैं, वे भी इस व्यवस्था से आच्छादित होंगे, परन्तु विभिन्न राज्य सरकारों की अनुदानित/स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारी जो उ0प्र0 सरकार के अधीन नियुक्त होते हैं, इस व्यवस्था से आच्छादित नहीं होंगे।
निर्णय के अनुसार यदि केन्द्र सरकार/उपरोक्त छः राज्य सरकारों के अधीन कोई कर्मचारी पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण की नई पेंशन संरचना के अधीन कार्यरत था तथा उत्तर प्रदेश के अधीन 01 अप्रैल, 2005 को अथवा उसके उपरान्त कार्यभार ग्रहण करता है, तो वह नई पेंशन योजना से आच्छादित माना जायेगा। इसके अलावा यदि केन्द्र सरकार/उपरोक्त छः राज्य सरकारों के अधीन कोई कार्मिक नई पेंशन योजना से आच्छादित था तथा उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन नई पेंशन योजना के लागू होने की तिथि 01 अप्रैल, 2005  के पूर्व कार्यभार ग्रहण करता है, तो उसे 01 अप्रैल, 2005 के पूर्व उत्तर प्रदेश में लागू पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित माना जायेगा। इसके अतिरिक्त उसके पास यह नई पेंशन योजना से निकासी करने का भी विकल्प होगा।
मंत्रिपरिषद ने यह भी निर्णय लिया कि उपरोक्त छः राज्य सरकारों के अतिरिक्त अन्य राज्य सरकारों के अधीन कार्यरत कर्मचारी चाहे वे पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित रहे हों अथवा नई पेंशन योजना से यदि उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन किसी पेंशनयुक्त अधिष्ठान में दिनांक 01 अप्रैल, 2005 को अथवा उसके बाद नियुक्त होते हैं, तो उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार की सेवा मंे ग्रहण करने की तिथि से दिनांक 01 अप्रैल, 2005 से लागू नई पेंशन योजना से आच्छादित माना जायेगा तथा सम्बन्धित राज्य सरकार के अधीन की गयी सेवा पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा में नहीं जोड़ी जायेगी।

शाहजहांपुर-हरदोई-लखनऊ मार्ग के उच्चीकरण/अनुरक्षण हेतु विकासकर्ता के चयन के लिए आर0एफ0पी0 व डी0सी0ए0 अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने शाहजहांपुर-हरदोई-लखनऊ मार्ग (राज्य राजमार्ग संख्या 25) का उच्चीकरण/अनुरक्षण सार्वजनिक-निजी-सहभागिता से कराने हेतु विकासकर्ता के चयन के लिए रिक्वेस्ट फाॅर प्रपोजल (आर0एफ0पी0) एवं ड्राफ्ट कंसेशन एग्रीमेन्ट (डी0सी0ए0) का अनुमोदन कर दिया है।
निर्णय के अनुसार आर0एफ0पी0 एवं डी0सी0ए0 के अनुमोदन के उपरान्त समस्त अपेक्षित अग्रेतर कार्यवाही परियोजना से संबंधित नोडल अधिकारी द्वारा की जायेगी। इस संबंध में शासनादेश भी नोडल अधिकारी द्वारा ही जारी किया जायेगा। परियोजना के क्रियान्वयन में यदि किसी बिन्दु पर किसी विभाग की संगत नियमावली/अधिनियम/विनियम आदि के अन्तर्गत कोई अनुमोदन अपेक्षित है तो उस बिन्दु पर सक्षम स्तर का अनुमोदन प्राप्त किया जायेगा।

मेरठ-करनाल मार्ग के उच्चीकरण/अनुरक्षण हेतु विकासकर्ता के चयन के लिए आर0एफ0पी0 एवं डी0सी0ए0 का अनुमोदन

मंत्रिपरिषद ने मेरठ-करनाल मार्ग (राज्य राजमार्ग संख्या-82) का उच्चीकरण/अनुरक्षण सार्वजनिक-निजी-सहभागिता से कराने हेतु विकासकर्ता के चयन के लिए रिक्वेस्ट फाॅर प्रपोजल (आर0एफ0पी0) एवं ड्राफ्ट कंसेशन एग्रीमेन्ट (डी0सी0ए0) का अनुमोदन कर दिया है।
निर्णय के अनुसार आर0एफ0पी0 एवं डी0सी0ए0 के अिनुमोदन के उपरान्त समस्त अपेक्षित अग्रेतर कार्यवाही परियोजना से संबंधित नोडल अधिकारी द्वारा की जायेगी। इस संबंध में शासनादेश भी नोडल अधिकारी द्वारा ही जारी किया जायेगा। परियोजना के क्रियान्वयन में यदि किसी बिन्दु पर किसी विभाग की संगत नियमावली/अधिनियम/ विनियम आदि के अन्तर्गत कोई अनुमोदन अपेक्षित है तो उस बिन्दु पर सक्षम स्तर का अनुमोदन प्राप्त किया जायगा।

रोजा ताप विद्युत परियोजना से 300 मेगावाट अतिरिक्त विद्युत क्रय करने की अनुमति

मंत्रिपरिषद ने रोजा ताप विद्युत परियोजना के द्वितीय चरण से 300 मेगावाट अतिरिक्त विद्युत उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा अनुमोदित दरों एवं शर्ताें पर क्रय करने हेतु मंजूरी प्रदान कर दी है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन द्वारा रोजा पावर कम्पनी के साथ विद्युत क्रय अनुबंधन राज्य सरकार की सहमति से उसी प्रकार किया जायेगा जिस प्रकार द्वितीय चरण की प्रथम 50 प्रतिशत विद्युत क्रय के संबंध में अनुबंधन किये जाने का निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया है।

सचिवालय के समूह-’ग’ के कार्मिकों को मोबाइल सिम उपलब्ध कराये जाने का प्रस्ताव मंजूर

मंत्रिपरिषद ने सचिवालय के समूह-’ग’ के अन्तर्गत आने वाले कार्मिकों को बी0एस0एन0एल0 के सी0यू0जी0 प्लान के अन्तर्गत मोबाइल सिम उपलब्ध कराये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से लगभग 1493 कर्मचारी लाभान्वित होंगे। इन कर्मचारियों में सचिवालय के समूह-ग के सहायक समीक्षा अधिकारी, सहायक लेखाकार (सहायक समीक्षा अधिकारी, लेखा), कम्प्यूटर सहायक, कनिष्ठ श्रेणी लिपिक, प्रतिसार निरीक्षक, उप निरीक्षक, मुख्य रक्षक, विधानभवन रक्षक, अग्निशमन अधिकारी, द्वितीय अग्निशमन अधिकारी, लीडिंग फायरमैन, अग्निरक्षक, मोटर साइकिल चालक तथा पुस्तकालय संवर्ग सम्मिलित है। इन कर्मचारियों को बाहरी काल के लिये 50 रूपये प्रतिमाह की धनराशि प्रस्तावित की गयी है।
मंत्रिपरिषद ने इस व्यवस्था के अन्तर्गत निहित व्यय भार में समय-समय पर कमी अथवा वृद्धि हो जाने की स्थिति में कालान्तर में आवश्यकतानुसार कोई परिवर्तन/संशोधन किये जाने हेतु माननीया मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
चूंकि सचिवालय की कार्यप्रणाली पूर्णतः अनुभाग आधारित है, जिसमें समूह-’ग’ के कार्मिकों की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अतः यह उचित पाया गया कि सचिवालय में समूह-ग के कार्मिकों को भी बी0एस0एन0एल0 के सी0यू0जी0 प्लान के अन्तर्गत मोबाइल सिम कतिपय शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अधीन शासकीय व्यय पर उपलब्ध करा दिया जाए। इनके अन्तर्गत सम्बन्धित कार्मिकों को मोबाइल सेट स्वयं के व्यय पर लेना होगा और इस सम्बन्ध में सचिवालय प्रशासन विभाग का कोई दायित्व नहीं होगा। सी0यू0जी0 मोबाइल कनेक्शन का प्रयोग सरकारी कार्यों के लिये किया जायेगा और स्वीकृत वित्तीय सीमा के अन्तर्गत इस हेतु आउटगोइंग काल्स भी अनुमन्य होंगी। यदि कोई कार्मिक अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिये इसका उपयोग करना चाहे तो अपने निजी व्यय पर इसमें कूपन भरवाकर यह रिचार्ज कराकर ऐसा करने के लिये स्वतंत्र होगा। ग्रुप के अन्तर्गत उपभोक्ता अपने-अपने मोबाइल सेट को खुला रखेंगे, ताकि सरकारी कार्यों में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो।


उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली-2011 मंजूर

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली-2011 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस नियमावली के प्रवृत्त हो जाने से सरकारी कार्मिकों, पेंशनरों एवं उनके आश्रितों की चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया अत्यन्त सरल एवं सुगम हो जायेगी।
निर्णय के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली-2011 के मुख्य प्रावधानों के अन्तर्गत सरकारी कार्मिकों द्वारा सरकारी चिकित्सालयों के साथ-साथ निजी चिकित्सालयों में उपचार कराने पर भी चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति की जाएगी अर्थात् प्रदेश के अन्दर उपचार कराने पर संजय गाॅधी पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ की दरों पर तथा प्रदेश के बाहर उपचार कराने पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली की दरों पर प्रतिपूर्ति अनुमन्य होगी।
इसी प्रकार सेवा निवृत्त कार्मिकों की कठिनाई को दृष्टिगत रखते हुए उक्त नियमावली के प्रख्यापन से सेवा निवृत्त सरकारी कार्मिकों को चिकित्सा परिषद के समक्ष उपस्थित होने की बाध्यता समाप्त हो जायेगी।
निर्णय के अनुसार चिकित्सा पर आने वाले भारी व्यय के दृष्टिगत चिकित्सा प्रतिपूर्ति की धनराशि की स्वीकृति प्रदान करने वाले अधिकारियों की वित्तीय अधिकार सीमा में वृद्धि करते हुए कार्यालयाध्यक्ष की सीमा 40,000 रूपये से बढ़ाकर 1,00,000 रूपये तक, विभागाध्यक्ष की सीमा 40,001-1,00,000 रूपये को बढ़ाकर 1,00,001-3,50,000 रूपये तक, प्रशासकीय विभाग की सीमा 1,00,001-2,00,000 रूपये को बढ़ाकर 3,50,001-5,00,000 रूपये तक तथा 5,00,000 रूपये से ऊपर की चिकित्सा प्रतिपूर्ति की धनराशि चिकित्सा विभाग की संस्तुति पर वित्त विभाग की पूर्व स्वीकृति से प्रशासकीय विभाग द्वारा स्वीकृत करने की व्यवस्था की गयी है।
नियमावली में राजकीय चिकित्सालय अथवा मेडिकल कालेज में उपचार करने की स्थिति में चिकित्सक के संदर्भण की आवश्यकता नहीं होगी तथा इस नियमावली में राजकीय कर्मचारी/पेंशनर एवं इनके आश्रितों की पहचान के लिए ‘‘हेल्थ कार्ड’’ का प्राविधान किया गया है।
नियमावली में औषधियों, जांचों तथा जीवनोपयोगी अंगों अलारोपण आदि के सम्बन्ध में की जाने वाली प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। प्रदेश के अन्दर राजकीय चिकित्सालयों, राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों एवं सुपर स्पेशिलियटी संस्थानों में जिन बीमारियों के उपचार की समुचित व्यवस्था नहीं है उनके उपचार हेतु अनुमन्य धनराशि की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की गयी है।
नियमावली में ऐलोपैथिक पद्धति की तरह आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक एवं यूनानी पद्धति से करायी गयी चिकित्सा व्यय के प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की गयी है। नियमावली में प्रतिपूर्ति दावा प्रस्तुत करने के तीन माह के अन्दर लाभार्थी को भुगतान सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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