वर्ष 2011-12 में जैव उर्वरकों का वितरण 75 प्रतिशत अनुदान पर किया जायेगा
राज्य सरकार के इस निर्णय से लाखों किसान लाभान्वित होंगे
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2011-2012 में जैव उर्वरक उत्पादन प्रयोगशालाओं का सुदृढ़ीकरण/जैव उर्वरकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के कार्यक्रम के अन्तर्गत कुल 30 लाख जैव उर्वरक पैकेटों का वितरण करने का निर्णय लिया है। इसमें से 9.37 लाख जैव उर्वरक पैकेट राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अन्तर्गत दलहनी फसलों हेतु सभी जनपदों में वितरित किए जायेंगे। इसमें 25 प्रतिशत लाभार्थी अनुसूचित जाति/जनजाति के होंगे। सरकार के इस निर्णय से लाखों किसान लाभान्वित होंगे।
इसमें केन्द्रीय योजना से 50 प्रतिशत (उपलब्ध धनराशि 60 लाख रूपये) तथा राज्य सेक्टर की योजना से 25 प्रतिशत धनराशि (15 लाख रूपये) अनुदान के रूप में किया जायेगा। शेष 20.625 लाख जैव उर्वरक पैकेट का वितरण राज्य सेक्टर की योजना से 75 प्रतिशत अनुदान की दर से 165 लाख की धनराशि का व्यय की जायेगी। इस प्रकार केन्द्रीय योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन द्वारा 60 लाख रूपये तथा राज्य सेक्टर की प्रस्तावित योजना से 180 लाख रूपये व्यय किये जायेंगे। राज्य सेक्टर से होने वाले व्यय के लिए बजट में व्यवस्था है।
इस आशय के प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री माननीया सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में आज सम्पन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में अनुमोदित किया गया।
जैव उर्वरकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करने का कार्यक्रम सम्पूर्ण प्रदेश में संचालित किया जायेगा। कार्यक्रम के अन्तर्गत जैव उर्वरक पैकेटों का वितरण लघु/सीमान्त कृषकों को किया जायेगा, जिसमें 25 प्रतिशत अनुसूचित जाति/जनजाति के कृषक होंगे तथा कुल लाभार्थी कृषकों में अनुसूचित जाति/जनजाति कृषकों में कृषक बड़े किसान भी हो सकते हैं। किसानों का चयन निर्धारित मापदण्डों के अन्तर्गत पारदर्शिता के साथ किया जायेगा और अनुदान के वितरण में भी ऐसी व्यवस्था की जायेगी कि पात्र कृषकों को सरकार द्वारा दिए जा रहे अनुदान की धनराशि का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।
वर्तमान वर्ष 2011-12 में जैव उर्वरकों का वितरण 75 प्रतिशत अनुदान पर कृषकों में किए जाने का निर्णय लिया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के अन्तर्गत जैव उर्वरकों के वितरण पर 50 प्रतिशत की सीमा तक अनुदान अनुमन्य है। शेष 25 प्रतिशत अनुदान राज्य सेक्टर की योजना से लिया जायेगा। इस प्रकार किसानों को जैव उर्वरकों पर 75 प्रतिशत का अनुदान प्राप्त होगा।
जैव उर्वरकों के प्रयोग से भूमि में उर्वरा शक्ति में वृद्धि के साथ-साथ फसल उत्पादन में भी वृद्धि होती है। कार्यक्रम के क्रियान्वयन से प्रदेश में 6.45 लाख हे0 क्षेत्र उपचारित होगा तथा उत्पादन में भी 02 कुन्टल प्रति हे0 अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त होगा। जैव उर्वरक से उपचारित क्षेत्र में लगभग 10 हजार मै0 टन नत्रजन की बचत होगी तथा जमीन में अनुपलब्ध फास्फारस की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी एवं पर्यावरण की भी सुरक्षा होगी।
जैव उर्वरकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करने हेतु विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के अन्तर्गत कार्यक्रमों तथा मृदा स्वास्थ्य कार्ड, दलहनी फसलों के लाभार्थी तथा बीज वितरण कार्यक्रम के लाभार्थियों को प्राथमिकता के आधार पर जैव उर्वरकों के पैकेट अनुदान पर वितरित किए जायेंगे।
उल्लेखनीय है कि फसलों द्वारा मृदा से प्राप्त होने वाले मुख्य पोषक तत्वों में नत्रजन एवं फास्फोरस की उपलब्धता में जैव उर्वरकों (राइजोवियम एजोवेक्टर एवं पी0एस0बी0 कल्चर) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि इनके द्वारा नत्रजन और फास्फोरस की उपलब्धता फसलों को अधिक सुगमता से होती है। जैव उर्वरक सूक्ष्म जीवियों का चारकोल में मिश्रण है, जो पौधों को मुख्य पोषक तत्वों के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता को भी बढ़ाता है। वैज्ञानिक खेती में रासायनिक उर्वरकों, कम्पोस्ट खादो के साथ-साथ जैव उर्वरकों का प्रयोग सभी फसलों में आवश्यक है, किन्तु दलहनी फसलों के लिए यह ज्यादा जरूरी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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