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सरस्वती सम्मान एवं शिक्षक श्री पुरस्कार की धनराशि दोगुनी होगी -डाॅ. राकेशधर त्रिपाठी

Posted on 05 September 2011 by admin

  • विश्वविख्यात वैज्ञानिक एम.जी.के. मेनन के हाथों  सरस्वती सम्मान एवं शिक्षक श्री पुरस्कार से 13 विद्वान अलंकृत
  • शिक्षा का उद्देश्य व्यापक होना चाहिए-एम.जी.के. मेनन
  • उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा का अगले कुछ वर्षो में दोगुना विस्तार होगा -सचिव उच्च शिक्षा

उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. राकेशधर त्रिपाठी ने आज शिक्षक दिवस के अवसर पर घोषणा की है कि राज्य के अत्यन्त प्रतिष्ठापूर्ण और प्रेरणास्पद सरस्वती सम्मान एवं शिक्षक श्री पुरस्कार की धनराशि को दोगुना किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरस्वती सम्मान की धनराशि वर्तमान एक लाख रु0 से बढ़ा कर दो लाख रु0 तथा शिक्षक श्री की धनराशि 50,000 रु0 से बढ़ा कर एक लाख रु0 किये जाने के आदेश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि इन पुरस्कारों के माध्यम से राज्य सरकार उत्कृष्ट योगदान करने वाले शिक्षकों के प्रति जनता की भावनाओं के अनुरूप आदर और सम्मान व्यक्त करती है।
डाॅ. त्रिपाठी ने यह घोषणा आज शिक्षक दिवस के अवसर पर स्थानीय डाॅ. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित सरस्वती सम्मान एवं शिक्षक श्री पुरस्कार वितरण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में की। उन्होंने कहा कि हम सभी उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री सुश्री मायावती के कुशल नेतृत्व के आभारी हैं, जिन्होंने शिक्षकों के सम्मान में उत्कृष्ट पुरस्कार वितरण परम्परा को वर्ष 2008 से शुरू कराया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक श्री एवं सरस्वती सम्मान पुरस्कार शिक्षकों के सामने एक चुनौती भी रखते हैं कि वे अधिक से अधिक श्रेष्ठता हासिल करेें और समाज में गुरुपरम्परा को मजबूत बनाये।
मुख्य अतिथि प्रो. एम.जी.के. मेनन, जो भारत सरकार में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के सलाहकार हैं और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के परमाणु वैज्ञानिक हैं, ने तीन विद्वानों प्रो. रमेश चन्द्र सारस्वत, डाॅ. उपेन्द्र नाथ द्विवेदी और डाॅ. मो0 मुजम्मिल को सरस्वती सम्मान तथा प्रो. पी.सी. श्रीवास्तव, प्रो. राम मोहन पाठक, प्रो. यदुनाथ प्रसाद दुबे, डाॅ. शरीफ अहमद कुरैशी, डाॅ. श्याम सुन्दर सिंह चैहान, डाॅ. श्रीमती धर्म कौर, डाॅ. कुलदीप भार्गव, डाॅ. के.के. शर्मा, डाॅ. अनिल कुमार सिंह तथा डाॅ. श्रीमती महाश्वेता चतुर्वेदी को पुरस्कार राशि, सरस्वती प्रतिमा, सर्टिफिकेट और पुष्पगुच्छ भेंट कर तथा शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
अपने सम्बोधन में डाॅ. मेनन ने कहा कि भारत में गुरुपरम्परा अत्यन्त प्राचीन काल से चली आ रही है और ऋषियों तथा आश्रमों से निकली यह आदरणीय परम्परा आज के जमाने में विवेकानन्द, मदन मोहन मालवीय, सर्वपल्ली डाॅ. राधाकृष्णन, गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर और डाॅ. जाकिर हुसैन के माध्यम से जीवन्त हुई है। उन्होंने कहा कि हमारी    संस्कृति के प्रवाह में लोग जुड़ने चाहिए, लोग संस्कृति के प्रवाह से अलग न होने पायें। उन्होंने प्रख्यात परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा का जिक्र करते हुए कहा कि आज भारत उनके कारण परमाणु वैज्ञानिकों के मामले में आत्मनिर्भर हैं। हमें बाहर से परमाणु क्षेत्र में दक्ष कार्यकर्ताओं को बुलाने की आवश्यकता नहीं है।
डाॅ. मेनन ने शिक्षा की व्यापकता पर जोर देते हुए कहा कि उसका मुख्य उद्देश्य सूचना और ज्ञान से आगे बढ़ते हुए व्यक्तित्व निर्माण होना चाहिए और शिक्षा के कारण व्यक्ति के नजरिए में व्यापकता आनी चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद दो साल के बच्चे और प्राइमरी राइम (ट्विंकल-ट्विंकल लिटल स्टार हाऊ आई वन्डर व्हाट यू आर) का उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षा को बच्चों के मन में जिज्ञासायें जगाने और उनका उत्तर पाने की क्षमता पैदा करना होना चाहिए। उन्होंने अपने भाषण में डाॅ. डी.एस.कोठारी का भी उल्लेख किया और कहा कि वह एक तपस्वी की तरह रहे हैं और उन्होंने बहुत प्रेरणा दी है। इसी तरह डाॅ. राधाकृष्णन ने भी हमें ज्ञान के चरम तक पहुंचने और जीवन में उतनी ही ज्यादा विनम्रता तथा सहजता लाने का संदेश दिया है।
इसके पूर्व सचिव उच्च शिक्षा श्री अवनीश कुमार अवस्थी ने उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले तीन-चार सालों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है और इस वित्तीय वर्ष के समाप्त होते-होते राज्य में एक हजार नये काॅलेज स्थापित होे जायेंगे। उन्होंने कहा कि अभी राज्य में सकल नामांकन दर 11 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत 20 प्रतिशत से कम है। इसे प्राप्त करने के लिए हम अपना प्रयास तेज कर रहे हैं, जिसकी वजह से अगले कुछ वर्षो में उच्च शिक्षा का विस्तार दोगुना होगा। उन्होंने कहा कि हम राज्य में प्रशिक्षित एवं सुयोग्य अध्यापकों की कमी को दूर करते हुए विश्वविद्यालयों और काॅलेजों की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
इस अवसर पर आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में उर्दू-अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अनीस अन्सारी आई.ए.एस., कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय प्रो. मनोज मिश्रा, कुलपति डाॅ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, प्रो. बलराज चैहान और कुलपति रोहेल खण्ड विश्वविद्यालय बरेली, प्रो. सत्यपाल गौतम, सलाहकार उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. चन्द्र विजय चतुर्वेदी सहित बड़ी संख्या में वरिष्ठ अधिकारी, गणमान्य शिक्षक एवं नागरिक उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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