शिक्षक दिवस के रूप में मनाया गया डा0 राधाकृष्णन का का जन्म दिवस
शिक्षक केवल व्यक्ति नहीं वह आध्यात्मिक व्यक्तित्व का स्वामी होता है। जो अपनी आत्मा के प्रकाश से शिष्य के अन्तःकरण को उसी प्रकार प्रकाशित करता है जैसे एक दीप से दूसरा दीप आलोकित किया जाता है।
उक्त वक्त्व्य एम.जे.पी. रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय बरेली के शिक्षा संकाय के डीन प्रो. एन. पी. सिंह ने व्यक्त किए। प्रो. सिंह आज एस.एस. कालेज में डाॅ. राधाकृष्णन शोध संस्थान द्वारा शिक्षक दिवस पर आयोजित व्याख्यान माला में मुख्य अतिथि के रूप में ‘‘डाॅ. राधाकृष्णन की शैक्षिक दृष्टि’’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि डाॅ. राधाकृष्णन के व्यक्तित्व में धर्म और शिक्षा का अनूठा संयोग था। उनकी ये दोनो विशेषताएं उन्हें एक दार्शनिक के साथ शिक्षा शास्त्री के रूप में स्थापित करती हैं। भारतीय ज्ञान और दर्शन की विशेषताएं उनमें दिखाई देती हैं। भारतीय संस्कृति में धर्म जोकि परलोक से जुड़ा है और विज्ञान जोकि संसार के ज्ञान और समझ पर आधारित है वह दोनों दूसरों के कल्याण के लिए इस प्रकार समन्वित हो जाते हैं कि विज्ञान संयमित आचरण करता है और धर्म तार्किक। डाॅ. राधाकृष्णन शिक्षा की पूरी प्रक्रिया को भारतीय आधारों पर आधारित करना चाहते थे। वे चाहते थे कि भले ही शिक्षा का शरीर नवीन विज्ञान और भौतिकता पर आधारित हो परन्तु उसकी आत्मा हर हालत में भारतीय होनी चाहिए। राधाकृष्णन की दृष्टि में शिक्षा का सर्वाधिक मजबूत स्तम्भ आध्यात्म है। उन्होंने आत्मपरीक्षण को आवश्यक मानते हुए श्रद्धा, संयम और समप्रण को मनुष्य के विकास के लिये आवश्यक बताया।
मनुष्य के विकास में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है उसे चरित्रवान होने के साथ रोल माॅडल भी होना चाहिए। उसमें उचित अनुचित, सत् असत् और धर्म अधर्म के बीच अन्तर करने की सामथ्र्य होनी चाहिए।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि किसान पी.जी. कालेज, बहराइच के बी.एड. विभाग प्रमुख डाॅ. ओ.पी. सोनी ने कहा कि डाॅ. राधाकृष्णन के विचारों में जहां वैचारिक विविधता है वहीं उनका सांस्कृतिक बोध भारतीय संस्कृति और सभ्यता की आत्मा को शिक्षा के शरीर में स्थापित करता है। राधाकृष्णन के अनुसार जबतक भारतीय शिक्षा और शैक्षिक परिसरों में भारत की आत्मा प्रविष्ट नहीं होगी तब तक गहन ज्ञान के लक्ष्यों, चिन्तन के नवीन लक्ष्यों और मानव कल्याण की ओर उन्मुख शिक्षा का परिवेश निर्मित करना सम्भव नहीं होगा। अगर हम दुनिया के इतिहास को देखें तो पायेंगे कि सभ्यता का निर्माण उन महान ऋषियों और वैज्ञानिकों के हाथों से हुआ है जो स्वयं विचार करने की सामथ्र्य रखते हैं, देश और काल की गहराइयों में प्रवेश करते हैं, उनके रहस्यों का पता लगाते हैं और इस तरह से प्राप्त ज्ञान का उपयोग विश्वश्रेय या लोक कल्याण के लिए करते हैं। राधाकृष्णन की दृष्टि में विश्वविद्यालयों की आस्था मनुष्य की अज्ञेय आत्मा में होनी चाहिए। विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे विद्वानों और साहित्यकारों को बिना बाधा के अध्ययन-अनुशीलन की पूरी सुविधा दें। उन्हें चाहिए कि वे प्रत्येक विद्याध्ययन करने वाले अभ्यासी को अपने मानदण्ड के अनुसार अपने सत्यान्वेषण को वहाँ तक ले जाने का पूरा अवसर दें जहाँ तक उनकी बुद्धि, कल्पना और ईमानदारी उसे ले जा सकती है। कोई भी आजादी तब तक सच्ची न प्राप्त हो। किसी भी धार्मिक विश्वास या राजनीतिक सिद्धान्त को सत्य की खोज में बाधा नहीं देनी चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला स्काउट मुख्यायुक्त एवं दैवीय सम्पद इण्टर कालेज के प्रबन्धक सन्तोष कुमार पाण्डेय ने कहा कि डाॅ. राधाकृष्णन का भारतीय शिक्षा से लगाव जीवन पर्यन्त था। वे शिक्षा की स्वायत्ता कट्टर समर्थक थे। अपने भाषणों में शिक्षा संस्थाओं को मनुष्य के निर्माण और उपकरण मानते हुए कहते थे कि विद्यालयों को समाज के भविष्य को महान बनाने के लिए भारतीय की प्राचीन समृद्ध संस्कृति का उपयोग करना चाहिए। वे चाहते थे कि विश्वविद्यालय मानवातवाद, सहिष्णुता और सत्य की साहसिक खोज के अनवरत कार्य में लगें।
कार्यक्रम के शुभारम्भ पर अतिथियों को अंगवस्त्र व स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मान महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के सचिव सुरेश सिंघल ने किया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पांजलि अर्पित कर किया। एस.एस.एम.वी. की छात्राओं ने सरस्वती वन्दना तथा गुरूवन्दना की। स्वागत भाषण प्राचार्य डाॅ. अवनीश मिश्र ने दिया। व्याख्यान माला में विषय का प्रवर्तन एम.एड. की छात्रा कु. नेहा मिश्रा द्वारा किया गया। इस अवसर पर डाॅ. के.के. शुक्ल, प्रादेशिक स्काउट संगठन कमिश्नर श्रीमती कामिनी श्रीवास्तव, डाॅ. रंजना प्रियदर्शिनी, डाॅ. रेनू शर्मा, डाॅ. सतेन्द्र पाठक, आर.डी. अग्रवाल, अनिल मालवीय, डाॅ. अनुराग अग्रवाल, डाॅ. एम.एस. शुक्ल, डाॅ. एम.के. वर्मा, डाॅ. प्रभात शुक्ल, शोध संस्थान की निदेशक डाॅ. मीना शर्मा, डाॅ. आदर्श पाण्डेय, डाॅ. रमेश चन्द्रा, डाॅ. हरिचरण यादव, अरविन्द शुक्ल, बलराम बाजपेई सहित मुमुक्षु शिक्षा संकुल की पांचों शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक, छात्र एवं कर्मचारी उपस्थिति रहे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. प्रशान्त अग्निहोत्री ने किया तथा आभार सुरेश सिंघल ने व्यक्त किया।
वहीं शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर विभिन्न संगठनों ने शिक्षकों का सम्मान किया। इस दौरान समाज में शिक्षकों के योगदान पर चर्चा हुई।
रोटरी क्लब और इनरव्हील सिटी ने शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन एक स्थानीय होटल में किया। मुख्य अतिथि शहर विधायक सुरेश कुमार खन्ना का स्वागत रोटेरियन अमिताभ बेरी ने माल्यार्पण करके किया। विशिष्ट अतिथि जिला विद्यालय निरीक्षक श्यामा कुमार मौजूद रहे। इस मौके टीचर्स सुरेश चंद्र गुप्ता, सुषमा गुलहरी, आशाकिरन यदुवंशी व परमेश्वरी देवी लाहोरी का सम्मान किया गया। माल्यार्पण के बाद इन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। वहीं पूजा वर्मा, पूनमरानी, पूजा भार्गव, अकील अहमद, सुषमा सक्सेना भी सम्मानित हुए। संयोजक रोटेरियन पंकज भार्गव, अध्यक्ष निर्मल कुमार, सचिव केपी सक्सेना, नवनीत पाठक, अमिताभ बेरी, रमेश, राजीव भारती आदि उपस्थित रहे।
उधर इनरव्हील क्लब द्वारा सदस्य रीमा खन्ना के आवास पर आयोजित समारोह में दो शिक्षिकाओं को सम्मानित किया गया। क्लब सदस्यों ने अध्यापिका श्रीमती साइमन व मधुरिमा श्रीवास्तव को शॉल ओढ़ाकर व साड़ी भेंटकर उनका सम्मान किया। इसके बाद क्लब के सदस्यों ने अध्यापिकाओं के व्यक्तित्व पर रौशनी डाली। कार्यक्रम में रागिनी कपूर, अलका अरोरा, रेनू अरोरा, आदर्श सक्सेना, मंजू गर्ग, मिथला अंचल सीमा वर्मा आदि उपस्थित थीं।
इसके अलावा जीआईसी में लायंस क्लब ‘श्रेष्ठ’ ने शिक्षिकाओं का सम्मान किया। प्रधानाचार्या वंदना यादव, उपप्रधानाचार्या कुसुमलता सारस्वत, दर्शन कपूर, पीडी लाहौरी को उनकी सेवाओं के लिए सम्मान से नवाजा गया। इसके साथ ही पांच बच्चों को उनकी सालभर की फीस व ड्रेस प्रदान की गई। इस अवसर पर डा.अमित सिंह, डा.नमिता सिंह, मधु कपूर, राहुल वर्मा, अलका वर्मा, धर्मपाल रैना, प्रिया रैना, आशा सहगल आदि उपस्थित रहे। भारत विकास परिषद की मैत्री शाखा द्वारा एसएस कालेज के शिक्षक कृष्ण कुमार वर्मा व सुदामा इंटर कालेज की प्रधानाचार्या शशि खरे को सम्मानित किया गया। इस मौके पर सुनीता तुली, वंदना गुप्ता, नेहा बहल, अपर्णा सक्सेना, ज्योति ग्रोवर, रुचि गुप्ता, अनिल बहल , अमृतलाल आदि उपस्थित थे। भारत विकास परिषद की महिला शाखा ने डा.सारिका अग्रवाल व सुरैया खान अध्यापिकाओं का सम्मान किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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