नारी जीवन के विभिन्न पहलुओं को छुआ ‘आह्वान’’ बैले ने
तबले की थाप, घुंघरुओं की खनक पर झूम उठे कला प्रेमी
नृत्यांगना आकांक्षा श्रीवास्तव के घुंघरुओं ने दिया तबले की हर थाप का जवाब
एक लंबे अन्तराल के बाद जनपद में एक ऐसे कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसको देखकर कला प्रेमियों का मनमयूर नाच उठा। जिसकी महक कला प्रेमियों के जेहन में काफी समय तक महसूस की जाएगी।
राष्ट्रीय कथक संस्थान की पहल पर लखनऊ घराने की प्रख्यात नृत्यांगना आकांक्षा श्रीवास्तव के शास्त्रीय संगीत पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन यहां स्थित गांधी भवन सभागार में किया गया। बाहर मौसम खुशगवार था तो सभागार में तबला और घुंघरुओं की झंकार तालियां बटोर रही थीं। हल्की बूंदाबांदी के बीच जुटे संगीत प्रेमी सांसें थामें कथक की अदा को देखते, समझते और महसूस करते रहे। लगभग डेढ़ घंटे की शानदार प्रस्तुति से दर्शक पहले कथक पर आधारित बैले नृत्य और बाद में ठेठ कथक से सराबोर होते रहे।
घरों में पति-पत्नी के बीच तकरार सभी ने देखी और सुनी है, लेकिन शनिवार की रात जो तकरार विकास मिश्रा और उनकी पत्नी के बीच हुई वह अनूठी ही थी। विकास के तबले की थाप ने जो प्रश्न छोड़े उसे उनकी पत्नी आकांक्षा ने अपने घुंघरुओं के माध्यम से करारे जवाब दिए। हर सवाल का जवाब था आकांक्षा के घुंघरुओं के पास। शास्त्रीय संगीत की धारा अविरल रूप से बहती रही और दर्शक मंत्रमुग्ध होकर तालियां बजाते रहे। आकांक्षा ने कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान शंकर की स्तुति से की। इसके बाद लखनऊ घराने की प्रख्यात थाप, जुगलबंदी और सावन के गीतों का समावेश लोगों को अंदर तक झकझोरता रहा। संगत में पंडित धर्मनाथ मिश्र ने जहां अपने गले का जादू चलाया वहीं विकास मिश्रा ने तबले पर अमिट छाप छोड़ी, दीपक मिश्र ने वायलन पर कमाल दिखाया।
राष्ट्रीय कथक संस्थान लखनऊ के बैनर तले हुए कार्यक्रम के आरंभ में सरिता श्रीवास्तव के कुशल निर्देशन में नारी सशक्तिकरण पर आधारित बैले प्रस्तुति ने संगीत प्रेमियों को झझोड़कर रख दिया। लगभग डेढ़ दर्जन महिला कलाकारों ने कथक पर आधारित इस प्रस्तुति के माध्यम से नारी के जन्म से लेकर हर पहलू का रोचक चित्रण मंच पर उतारा। कभी तालियों से सभागार गूंजता तो कभी दर्शक इतना भावुक हो जाते कि वह भूल जाते कि कलाकारों का उत्साहवर्धन भी करना है।
जनम लियो है कन्या घरों में खुशियां आईं, मोरा सइयां मोसे बोले न, मेरे मौला करम हो करम, अब जो कियो दाता ऐसो न कीजो, अबकी बरस मोहे बिटिया न कीजो जैसे गीतों पर ठिठक कर रह गए कला प्रेमी। पुरुष प्रधान समाज में नारी की दुर्दशा और पग-पग पर दुख, व्याकुलता, तड़प, तिरस्कार आदि का सामना करने वाली नारी की पीड़ा उजागर करता बैले लोगों के सिर चढ़कर बोला। इसका समापन एक समाज सुधार और नारी के सशक्त बनने के संकल्प के साथ किया गया।
कार्यक्रम में जिलाधिकारी नवदीप रिणवा, पुलिस अधीक्षक रमित शर्मा, एसडीएम इंद्रमणि त्रिपाठी समेत बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी मौजूद रहे। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभांरभ व्यापारी नेता चंद्रवीर गंगू और युवा रंगकर्मी आलोक सक्सेना ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। संचालन विजेता श्रीवास्तव ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com