मिशन 2012 को लेकर चुनावी सर्गमिया, सियासत पार्टियों में खूब देखने को मिली। भाजपा को छोड़ राजनैतिक पार्टिंयों ने इस पवित्र माह को भीे सियासती दाॅव-पेंच में लाकर रख दिया। बसपा, सपा व कांग्रेस पार्टिंयों ने रोजा आफतार पर क्षेत्र में अपनी पैंठ बनाने का खूब प्रयास किया। गरीबों भूखें रोजदारों को लोग अपने आवास पर उनका रोजा खुलवाकर कुछ पुण्य अर्जित करने की परम्परा को अब इन राजनीतिज्ञों ने खूब निभायां। इसी को मद्दे नजर इसौली विधान सभा के कई प्रत्याशियों ने हजारों की भीड़ इकट्ठा कर अपने- अपने क्षेत्रों में रोजा आफ्तार कराया ।
परन्तु मिली जानकारी के मुताबिक उस भीड़ में रोजदार कम सियासती लोग ज्यादा देखने को मिले। नगर में भी सियासी पार्टियों ने भी रोजा आफ्तार के बहाने अपनी पकड़ जनता में बनाने की कोशिश की गयी। कुछ रोजदारों पर इस तरह के हो रहे आयोजनों पर जानकारी ली गयी तो उनका कहना था कि सच्चे मन से ख्ुादा के प्रेमिओं को शाम को रोजा तुड़वाना तो बहुत अच्छी बात है परन्तु अब सियासतदारों ने इस पवित्र कार्य को भी राजनैतिक दृष्टि कोण से देखना शुरू कर दिए हैं जो गलत है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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