दैवीय आपदा को यह कटियारी का क्षेत्र यहां के वाशिंदे मानकर यूं ही आबाद और बरबाद होना अपनी नियत समझ लें। समझ भी लें मगर कैसे उन्हें पता चले कि यह पानी कहां से आता है जो बाढ़ की यह विभिषिका उन्हें तबाह कर रही है। केवल वह सुनते है पानी बांधों से छोड़ा जाता है यह पहाड़ पर गिरने से यहां पर बाढ़ आती हैं। जिसका इतना विकट स्वरूप उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था ग्रामीण हैरान और परेशान अपनी निर्जीव आंखों से यहां के किसान बस यहीं सवाल विधायक सहित जनप्रतिनिधियों से पूंछते है कि बताईएं हमारा दोष क्या है। यहां के विधायकों ने जनप्रतिनिधियों ने एक प्रस्ताव शासन को दिया था। उस पर कार्यवाही भी की गई। विधायक से यहां के वाशिंदों ने प्रस्ताव दिया था जिस पर कार्यवाही भी हुई और जिला प्रशासन ने एक अरब रूपए के नुकसान की बात स्वीकार की। जबकि सरकारी खजानें से कुछ सौ करोड़ दिए गए। तिनका तिनका बटोर कर फिर गृहस्थी बनाई और फिर बरबाद हो गए। 40 हेक्टेअर खड़ी फसल तबाह हो गई। मौजूदा विधायक रजनी तिवारी तथा पूर्व विधायक धर्मज्ञ मिश्रा सहित तमाम स्थानीय नेताओं ने इसे बाढ़ ग्रस्त घोषित करने और स्थायी समाधान करने की मांग की पुरजोर ढंग से उठाई। मांग जब काफी जोर पकड़ी तब उत्तर प्रदेश शासन ने सिचाई विभाग को कार्य योजना बनाने की योजना पर अमल करने की कोशिश की। परंतु सिचाई विभाग के अफसरों ने कहा कि मैदानी भाग में तटबंध योजना को ही नकार दिया। और अपने निर्णय से शासन को अवगत करा दिया। तो क्या कटियारी की यह जनता इन आपदाओं को ऐसे ही झेलेगी। यह आपदा के संकट से निजात उसे कम मिलेगी। यह शासन को सोचना होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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