ऽ बसपा की सीट पक्का करने में प्रत्याशी ने झांेकी पूरी ताकत
मिशन 2011 में जनपद का इसौली विधान सभा सीट राजनैतिक दलांें की प्रतिष्ठा से जुड गया है। जहॅा प्रमुख राजनैतिक दल सपा,भाजपा,कांग्रेेस अपनी खोई प्रतिष्ठा पाने केा बेताब हैं और इसी के चलते सतरंजी गोटें विछाना प्रारम्भ कर दिया है। वहीं सत्ताधारी दल बसपा यथा स्थित बरकरार करने केा प्रयासरत,कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहती।
गौरतलब हो कि इसौली विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके प्रमुख राजनैतिक दल सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ रखा है। नये परिसीमन के उपरान्त समीकरणों में जातीयता के आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया जा रहा है। सपा में जातिगत समीकरणों के अनुसार शकील अहमद खां को अपना उम्मीद्वार बनाया है। वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी दल बसपा ने अपने इसौली विधानसभा के विधायक चन्द्रभद्र सिंह उर्फ सोनू का टिकट काटकर ब्रम्हण नेता पूर्व विधायक पवन पाण्डेय को मैदान में उतार दिया और वहीं कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशियों के चयन को लेकर दोनों पार्टिया को ेंकडी मसक्कत करनी पड रही है। जहंा पार्टी में अन्र्तकलह का भय है, इसौली विधानसभा क्षेत्र में लगभग सार्वाधिक आबादी दलित पिछडे व अल्पसंख्य समुदाय के मतदाता हंै। सपा ने अपना अल्पसंख्य कार्ड खेालते हुए पार्टी के परम्परागत मतो के सहारे शकील अहमद खां केा प्रत्याशी घोषित कर इसौली सीट अपनी झोली मंे डालने केा बेताब है । जबकि बसपा ने वोेट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिये दलित व ब्राम्हण गठजोड़ के सहारे पूर्व विधायक कद्दावर नेता पवन पाण्डेय को अपना सम्भावित उम्मीदवार बना कर सभी दलो की नींद हराम कर दिया है। विश्वस्त सूत्रों के द्वारा सभी दलों के ब्राम्हण नेता पवन पाण्डेय के आगे अपने केा बौना पा रहे हैं। ऐसे में सूत्रों के अनुसार ब्राम्हण कार्ड खोलने केा उत्सुक भाजपा इरादा बदलते हुए बैकवर्ड कार्ड भुनाने की तरफ उन्मुख जान पड़ रही है। ऐेसी स्थित में कांगे्रस के पास सदर सांसद डा0 संजय सिंह व अन्य वरिष्ठ नेताओ की लम्बी फेहरिस्त हेाने के बाद भी जातिगत प्रत्याशियों का टोटा है। बताते चले कि काग्रेंस के पूर्व मंत्री मोईद अहमद, नव बार चुनाव हारने के उपरान्त सभी दावेदारों पर आज भी सब पर भारी हैं जिन्हे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी का आशीर्बाद प्राप्त है। जबकि दूसरे पायदान पर रणविजय सिंह, शिवकुमार सिंह सशक्त समर्थकों के साथ कह रहे कि किसी दल ने क्षत्रिय उम्मीदवार नही उतारा है जिसका लाभ कांग्रेस को मिलेगा। वहीं पिछले चुनाव में दूध की जली भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। क्यूं कि बीते चुनाव के प्रत्याशी राम चन्द्र मिश्र को पार्टी की शाख बचाने को कौन कहे अपनी जमानत बचाने के लाले पड गये थे, जिन्हे लगभग 22 सौ मतो से ही सन्तोष करना पड़ा़। ऐसे मे भाजपा दावेदार रहे ओम प्रकाश पाण्डेय बजरंग दल के स्थान पर पूर्व मंत्री रामदुलार यादव के भतीजे अशोक यादव केा मैदान में उतार कर अन्य राजनैतिक दलों के समीकरण केा विगाडने के प्रयास में है। देखा जाय तो ब्रम्हण मतदाताओ के समकक्ष यादव विरादरी के प्रत्याशी होने से यादव लाम बन्द होगा, वही पार्टी के परम्परागत मतो के साथ कायस्थ व वैैश्य मत भी पार्टी के साथ होगा। इस प्रकार के वोटों के बिखराव से इसोली विधान सभा चुनाव किसके पक्ष मे जायेगा या ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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