रसोई गैस व उर्वरक की काला बाजारी जोरों पर होने का समाचार मिला है। उपभोक्ता परेशान निरन्तर शोषण के शिकार हैं। प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी आॅखे मूंदे हुए है तथा उसे किसानों की सुध लेने की फुर्शत नहीं है। दैनिक उपयोगी वस्तुओं के निरन्तर बढ़ते दाम आम आदमी के पहुॅच से दूर होते जा रहे हैं। शासन द्वारा आगंटित दुकाने भी भ्रष्टाचार की चपेट में है। सूत्रों के अनेसार किसानों को उपलब्ध करायी जाने वाली डीएपी व यूरिया खाद साकारी गोदामों से गसयब है। किसान खुली बाजारों से घटिया किस्म के उर्वरक दोगुने दामों में खरीदने को मजबूर हैं। गौरतलब हो कि रू0 295 की यूरिया खाद बाजारों में रू0375 से लेकर 400 रू0 में बेचे जा रहे हैं। यही यथा स्थित रसोई गैस की है जहाॅ रसोई गैस एजेन्सी के द्वारा उपभोक्ताओं को एक निश्चित समय सीमा में लम्बी कतार का सामना करता पड़ता है और उन्हें गैस उपलब्ध नहीं हो पाती है वहीं रेस्टोरेन्टो, होटलों व कस्बों में अवैधानिक ढंग से गैस रिफलिंग करने वालों को आसानी से उपलब्ध कराये जा रहे हैं। कुड़वार बाजार में गैस रिफलिंग का कारोबार से जुड़े आघा दर्जन दुकानें हैं जहाॅ गैस रिफलिंग की जाती है जि सकी कुड़वार पुलिस को पूरी जानकारी हैं परन्तु प्रति माह एक बॅधी रकम मिल जाने से हो रहे अवैध व्यापार से मुॅह मोड़ लिए हैं। रसोई गैस की काला बाजारी से जुड़े कई दुकानदारों ने जन चर्चा में बताया कि दर्जनों ऐसे चार पहिया वाहन हैं जो घरेलू गैस से चलाए जा रहे हैं। ऐसे में एक गैस सिलेण्डर की कीमत छः सौ रू0 तक मिल जाते हैं। उपभेक्ताओं ने समाचार पत्र के माध्यम से जिलाधिकारी का ध्यान क्षेत्र में हो रहे काला बाजारी को रोकने की तरफ आकर्षित किया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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