आज दिनांक 21.08.2011 दिन-रविवार को प्रदेषीय जनजाति विकास मंच, उ0प्र0 के तत्वावधान में ”उत्तर प्रदेष जनजातियों के विकास एवं संवर्धन“ पर विषाल कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन दारूलषफा, बी-ब्लाक, कामनहाल, लखनऊ में आयोजन किया गया।
बैठक की अध्यक्षता श्री राम विलास आर्य, संरक्षक, जनजाति विकास मंच, उ0प्र0 द्वारा किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अनिल चमड़िया, वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया सलाहकार, राज्य सभा, भारत सरकार, नई दिल्ली थे। विषिष्ट अतिथि श्री अक्षयबर लाल गोंड, पूर्व मंत्री/विधायक, उत्तर प्रदेष थे। कार्यक्रम का संचालन श्री उमेष गोंड, मीडिया प्रभारी द्वारा किया गया। इस बैठक मे प्रदेष के कोने-कोने से जनजातीय समुदाय (थारू, बुक्सा, भोटिया, राजी व जौनसारी, गोंड, खरवार, चेरो, पंखा, पनिका, भुईया, भूनिया, अगरिया, परहिया व सहरिया आदि) के लोगों ने भारी संख्या में उपस्थित हुए थे।
सर्वप्रथम प्रदेषीय जनजाति विकास मंच, उ0प्र0, के प्रदेष अध्यक्ष-श्री मुन्षी प्रसाद गोंड ने जनजातीय समस्याओं पर प्रकाष डालते हुए यह बताया कि वर्ष 2002 के पूर्व उत्तर प्रदेष में मात्र 05 जनजातियां (थारू, बुक्सा, भोटिया, राजी व जौनसारी) पंजीकृत थीं किन्तु भारत सरकार के गजट अधिनियम-2002 दिनांक 07.01.2003 द्वारा कुल 10 (गोंड, खरवार, चेरो, पंखा, पनिका, भुईया, भूनिया, अगरिया, परहिया व सहरिया आदि) जातियों को अनुसूचित जाति की सूची से निकालकर अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मिलित कर ली गयीं किन्तु उनका आरक्षण प्रतिषत नहीं बढ़ाया गया तथा पूर्व की भाॅति ही मात्र 02 प्रतिषत ही रखा गया। जनजातियों की संख्या में वृद्धि होने के बावजूद उनकी समस्याओं पर उत्तर प्रदेष सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। पंचायती चुनावों मे भी जनजातियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। उनको मिलने वाली सुविधाओं से आज भी उन्हें वंचित किया जा रहा है।
सभा को सम्बोधित करते हुए श्री अक्षयबर लाल गोंड, पूर्व मंत्री ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि अपने हक के लिए जनजातीय समुदाय को सड़कों पर उतरने की जरूरत है। एकजूट होकर अपनी ताकत को प्रदर्षित करने की जरूरत है। अब अपने हक के लिए हाथ फैलाने के बजाय हक छिनने का समय आ गया है। उहोंने अह्वान किया कि ऐ जनजाति समुदाय के लोगों जागो और अपने हक लिए आगे बढ़ो।
मुख्य अतिथि श्री अनिल चमड़िया, वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया सलाहकार, राज्य सभा, भारत सरकार, नई दिल्ली ने जनजाति समुदाय के प्रति अपनी सहानुभूति रखते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया तथा आष्वस्त किया कि जनजाति समुदाय के लोगों की मांगों को अपने पत्र/पत्रिका के माध्यम से भारत सरकार का ध्यान आकृष्ट करूंगा एवं व्यक्तिगत रूप से भी जनजातीय समस्याओ को भारत सरकार के उच्चाधिकारियों व लोक सभा/ राज्य सभा व मा0 मंत्रियों के समक्ष रखुंगा ताकि जनजाति समुदाय को षतप्रतिषत लाभ प्राप्त हो सके। मुख्य अतिथि द्वारा अपने उद्बोधन में यह भी कहा गया कि जनजाति समुदाय को अपने हक/मांगों के लिए एकजूट होकर लड़ाई लड़ने की आवष्यकता है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से चेरो समुदाय के राष्ट्रीय अध्यक्ष-श्री हरिराम चेरो-सोनभद्र, थारू समुदाय के अध्यक्ष-श्री राज किषोर चैधरी-महराजगंज, पनिका समुदाय की अध्यक्षा-श्रीमती बसन्ती देवी-लखिमपुर खीरी, सहरिया समुदाय के अध्यक्ष-श्री विरेन्द्र सहरिया-ललितपुर, प्रदेष अध्यक्ष-आदिवासी महासभा-श्री रामजी नेताम, श्री बैजनाथ गोंड, श्री रामधनी गोड, श्री रमेष चन्द्र उर्फ पप्पू गोंड-देवरिया, श्री गुरू प्रसाद व श्री रामसूरत प्रसाद-लखनऊ, श्री फागू गोड-आजमगढ़, श्री सुरेष चन्द्र गोड-मऊ, श्री कपूर चन्द्र सहरिया-ललितपुर, श्री बाकेलाल धुरिया, श्रीमती किरन-जौनपुर आदि वक्तागणों ने अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम के अन्त में श्री राम विलास आर्य अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रदेष के कोने-कोने से आये हुए जनजाति कार्यकर्ताओं का सदधन्यवाद ज्ञापित करते हुए संगठन को मजबूत बनाने एवं योजनाओं का लाभ लेने, कमजोर जनजातियों के स्तर को उॅचा उठाने हेतु एक संकल्प पारित किया तथा अपने अस्तित्व की रक्षा हेतु आपसी भेदभाव को मिटाकर एकजूट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया।
सभा में सभी प्रस्ताव निर्विरोध पारित किये गये, जिसके तहत श्री मुन्षी प्रसाद गोंड को पुनः प्रदेष अध्यक्ष नामित किया गया।
मांग-पत्र
1- पंचायती राज अधिनियम के अन्तर्गत पंचायत चुनावों में आरक्षण सम्बन्धी रोस्टर
प्रणाली में प्रथम क्रमांक पर अनुसूचित जनजाति को रखा गया है। कृपया सरकारी
नौकरियों के नियुक्तियों/ पदोन्नतियों में भी अनुसूचित जनजाति को प्रथम स्थान
पर रखा जाय।
2- बैकलाग के अन्तर्गत अनुसूचित जनजातियों हेतु विज्ञापित पदों को अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों से ही भरा जाय। यदि सीट रिक्त रह जाती है तो उसे कम से कम तीन बार विज्ञापित करके जनजाति के अभ्यर्थियों से ही भरने का प्रयास किया जाय।
3- उत्तर प्रदेष राज्य में अनुसूचित जनजातियों हेतु मात्र 02 प्रतिषत आरक्षण प्राप्त है, जबकि वर्ष 2003 के पष्चात् 10 जातियों को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित कर लिये जाने के फलस्वरूप इनकी जनसंख्या लगभग एक करोड़ हो गयी है किन्तु इनका आरक्षण प्रतिषत पूर्व की भाॅति 02 प्रतिषत ही है। कृपया अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण 02 प्रतिषत से बढ़ाकर केन्द्र सरकार की भाॅति ही 7.50 प्रतिषत निर्धारित कर दिया जाय।
4- भारत सरकार के समान ही उत्तर प्रदेष राज्य में अलग से जनजाति मंत्रालय एवं अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन करके इस मंत्रालय का मंत्री एवं आयोग का अध्यक्ष जनजाति समाज से ही बनाया जाय।
5- अनुसूचित जनजाति हेतु जाति प्रमाण-पत्र बनाने की एक सरल तथा उपयोगी नियमावली जारी किया जाय, जिससे कि किसी भी जनजाति के व्यक्ति को प्रमाण-पत्र के लिए कठिनाईं का सामना न करना पड़े तथा नियुक्तियों में आरक्षण प्रतिषत पूर्ण हो सके।
6- निदेषालय जनजाति विकास, उ0प्र0 लखनऊ द्वारा प्राप्त आर्थिक विकास कार्यक्रम सूची के अनुसार वर्ष 2009-10 एवं 2010-11 में जनजातियों के जनपद में किसी भी प्रकार का कोई धनराषि आवंटित नहीं किया गया है। कृपया भेदभाव छोड़कर आर्थिक विकास कार्यक्रम के तहत जनजाति वाले जनपदों को भी धन आवंटित किया जाय, जिससे जनजाति के व्यक्ति लाभान्वित हो सके।
7- जनजाति कार्य मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली के पत्र संख्या 12016/26/2001 टीए(आरएल) दिनांक 15.12.2003 एवं उ0प्र0 सरकार के समाज कल्याण अनुभाग के आदेष संख्या-3483/26-3-2003 -3(7)/03 दिनांक 30 सितम्बर, 2003 से स्पष्ट है कि गोंड जाति की उपजातियां धुरिया, नायक, ओझा, पठारी व राजगोंड हैं तथा भारत सरकार जनजाति कार्य मंत्रालय के पत्रांक 11036/31/2006 दिनांक 26.10.2009 द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि उत्तर प्रदेष में केवल धुरिया जाति ही पायी जाती है, जो गोंड जाति की उपजाति है। उ0प्र0 में गलत ढंग से पिछड़ी/सामान्य जाति के नायक, जो ब्राम्हण जाति के हैं, जनजाति का प्रमाण-पत्र जारी करा लिए हैं, जिससे वास्तविक जनजातियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। अतः नायकों के बने प्रमाण-पत्रों की जांच कर आवष्यक कार्यवाही की जाय।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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