जनलोकपाल बिल अन्ना के अंादोलन का दायरा काफी बढ़ चुका हैं अन्ना की आवाज को बाबा रामदेव की तरह दबाने की कोशिश में आग में घी का काम किया। अब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आपात काल भुगत चुके लोग। जनपद के गली कूचों ग्रामीण क्षेत्रों के वाशिंदे अपने घरों से निकलकर आजादी का दूसरा उन्माद बताकर अपनी उपस्थिति का एहसास करवा रहे है। हमारें संवाददाता को आपात काल में भेजे गए जेल के शिकंचों में रहे भुक्त पूर्व विधायक विद्याराम वर्मा ने कहा कि आज के हालात अघोषित इमरजेंसी जैसे बन रहे है। कामरेठ आशुतोष अग्निहोत्री कह रहे है कि नागरिक के मौलिक अधिकार विचारों की अभिव्यक्ति की स्तंत्रता छीनी जा रही है। पूर्व मंत्री डा. अशोक बाजपेई ने कहा कि आपात हमनें भुकता है सवैधानिक व्यवस्था चरमरा गई तानाशाही जैसे हालात बन रहे हैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वयोवृद्ध बुजुर्ग भोला पाण्डेय, महादेव प्रसाद शुक्ला, रमाभरोसे आर्य, अफसोस जताकर कहते है कि हमारा शरीर साथ नहीं देता नही ंतो सरकार को हम यह बात देतें कि हमारी आवाज दबाने का परिणाम क्या होता है। सभी कहते है जनतंत्र में जन की ही आवाज चलेगी। या फिर सरकार की मनमानी। इसी प्रकार पूरा जनपद धीरे धीरे अन्नामय हो रहा हैं। मैं अन्ना हो रहा हूं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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