आखिरकार विनाशकारी बाढ़ का तांडव जनपद में शुरू हो गया। चार लाख 72 हजार क्यूसेक पानी छोडे़ जाने से जनपद में बाढ़ की आशंका निर्मूल नहीं थी अब तो शुरूआत हो चुकी है शासन का पूरा प्रयास धरा का धरा रहा गया। और वह बौना साबित हो रहा है पिछले साल की बरबादी अस्सी सालों की गृहस्थी को लोग बना भी नहीं पाए थे कि दूसरी बार आपदा को ईश्वरीय लीला कहकर कोस रहे हैं। ग्रामीण कह रहे है कि ईश्वर हम यहां पर पैदा ही क्यों हुए जहां आफत से छुटकारा नहीं मिल रहा। कटियारी क्षेत्र हरपालपुर, सांडी, बिलग्राम, सवायजपुर के सैकड़ों गांवों का अस्तित्व पहले ही मिट गया था। और अब फिर मिटने जा रहा हैं वह भी पहाड़ो पर हुई बारिश का नतीजा भुगत रहे है यहां के ग्रामीण कहते है सरकार क्यों नही सोचती है प्रशासन गांव गांव खाली करने का आदेश दे रहा है चालीस नावों की व्यवस्था कर दी है महिलाओं और बच्चों को निकालने का काम शुरू हो चुका है। पर मवेशी बेमौत मारे जाएगें। नेताओं की आमद राहत शिविर द्वारा मामूली राहत बाढ़ से ग्रसित इलाकों में रामगंगा का जलस्तर 137.70 मीटर दर्ज है जो खतरें के निशान से 80 सेमी ऊपर है गंगा खतरें के निशान से 10 सेमी ऊपर है गर्रा नदीं खतरे के निशान से केवल 60 सेमी नीचे बह रही हैं दो दिनों के अंदर पानी का स्तर बढ़ने की सूचना पर प्रशासन और निवासियों के होश ठिकानें पर नहीं हैं क्षेत्र के चंद्रमपरु, गोरिया, नंदना, अरवल, सुदनीपुर, अर्जुनपुर, आदि गांवों का अस्तित्व पहले भी मिट गया था। फिर अस्तित्व मंे आया अब फिर वहीं तबाही शुरू। आबाद और बरबाद होने का मंजर हमारें जीवन की कार्यशैली बन चुका हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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