सिटी मोन्टेसरी स्कूल के प्रतिनिधि श्री संदीप श्रीवास्तव अन्तर्राष्ट्रीय न्यायाधीश सम्मेलन में प्रतिभाग हेतु अर्जेन्टीना रवाना हो गये। श्री श्रीवास्तव के अर्जेन्टीना रवाना होने से पूर्व सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी के नेतृत्व में सी.एम.एस. शिक्षकों व कार्यकर्ताओं ने फूल-मालाएं पहनाकर विदाई दी एवं विदेश में देश का गौरव बढ़ाकर लौटने हेतु अपनी शुभकामनाएं दी। यह जानकारी सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने दी है। श्री शर्मा ने बताया कि इण्टरनेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी के वाइस-प्रेसीडेन्ट एवं कोर्ट आॅफ अपील, अर्जेन्टीना के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रिकार्डो रोसी ने इस अन्तर्राष्ट्रीय न्यायाधीश सम्मेलन में प्रतिभाग हेतु श्री संदीप श्रीवास्तव को विशेष रूप से आमन्त्रित किया था, जिसमें लैटिन अमेरिकी देशों के न्यायाधीश भाग कर रहे हैं। यह सम्मेलन ब्यूनस आयर्स, अर्जेन्टीना में आयोजित हो रहा है। श्री शर्मा ने बताया कि विश्व न्यायिक व्यवस्था को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट करने एवं विश्व के दो अरब बच्चांे के सुरक्षित भविष्य के लिए सिटी मोन्टेसरी स्कूल के अभूतपूर्व योगदान के लिए अर्जेन्टीना में आयोजित न्यायाधीशों के इस सम्मेलन में सी.एम.एस. को विशेष रूप से आमन्त्रित किया गया है।
श्री शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. प्रतिनिधि श्री संदीप श्रीवास्तव इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में ‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51’ में निहित ‘न्याय आधारित एक विश्व व्यवस्था’ पर अपने विचार रखेंगे तथापि सी.एम.एस. द्वारा विगत ग्यारह वर्षों से लगातार आयोजित किए जा रहे ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के अनुभवों से भी न्यायिक बिरादरी को अवगत करायेंगे। श्री श्रीवास्तव सी.एम.एस. द्वारा आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के प्रोजक्ट लीडर हैं। श्री शर्मा ने बताया कि इस कान्फ्रेंस के द्वारा उन समस्याओं की पहचान की जायेगी जो कि विश्व न्यायिक व्यवस्था में निष्पक्ष ढंग से कानूनों को लागू करने में रूकावटें पैदा करती हैं। साथ ही आज की परिस्थितियों के अनुरूप संवैधानिक बदलाव के बारे में भी गहन विचार-विमर्श किया जायेगा।
श्री शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. का मानना है कि आज सारा विश्व अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, तृतीय विश्व युद्ध की आशंका, ग्लोबल वार्मिंग, विश्वमंदी तथा 36,000 परमाणु बमों का जखीरा जैसे विश्वव्यापी समस्याओं से घिरा है, ऐसे में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने तथा विश्व में एक प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था को लागू करने की अनिवार्य आवश्यकता है, जिसके बगैर ‘विश्व एकता’ व ‘विश्व शान्ति’ का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता है। सम्पूर्ण विश्व के देशों को आज यह समझने की आवश्यकता है कि विश्व मात्र पाँच शक्तिशाली देशों के वीटो पावर की मनमानी से उपजी अराजकता से नहीं वरन् न्याय आधारित एक प्रजातंात्रिक विश्व व्यवस्था द्वारा चलाया जा सकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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