तीन दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण नदियां उफान पर तो दूसरी ओर जलभराव ने भी तबाही का ताण्डव शुरू कर दिया है। कालागढ़ बांध से दस हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। मिर्जापुर क्षेत्र में एक बार फिर से गंगा-रामगंगा तबाही मचाने को तैयार हैं हालांकि प्रशासन अभी भी स्थिति सामान्य होने का दावा कर रहा है।
भादौं की बारिश ने लोगों को गर्मी से निजात भले ही दिलायी हो लेकिन नदी के किनारे बसे लोगों के लिए तबाही का मंच तैयार कर दिया है। गर्रा, खन्नौत में जलस्तर तेजी से बढ़ा है। तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्थिति विकराल होती जा रही है। हालांकि प्रशासन अभी भी स्थिति सामान्य होने का दावा कर रहा है।
कस्बा मिर्जापुर में गंगा-रामगंगा उफान पर होने के कारण नदी किनारे बसे गांवों के अस्तित्व को एक बार फिर से खतरा उत्पन्न हो गया है। कालागढ़ बांध से दस हजार क्यूसेक पानी रिलीज किए जाने के कारण रामगंगा का जलस्तर और ज्यादा बढ़ने की संभावना है।
रामगंगा के किनारे बसे गांव कुनियांशाह, नजीरपुर, मौजमपुर, पाहरुआ, कुंडरी, कीलापुर जबकि गंगा किनारे बसे गांव पंखिया नगला, चैरा सहित दर्जनों गांवों में पानी घुसने के कारण बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। बावजूद इसके प्रशासन पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं। पिछले साल भी अधिकारियों की लापरवाही के कारण क्षेत्र के दर्जनों गांव रामगंगा में समा गए थे। बारिश का पानी कानपुर-मुरादाबाद राज्यमार्ग पर भरने के कारण आवागमन बाधित हो रहा है। मिर्जापुर के कुतुलुपुर निवासी चंद्रपाल तथा नरेश भोजवाल के मकान बारिश में धराशायी हो गए। माना जा रहा है कि कालागढ़ से छोड़ा गया दस हजार क्यूसेक पानी पहुंचते ही रामगंगा का जलस्तर और ज्यादा बढ़ जाएगा हालांकि एसडीएम जलालाबाद शिव रतन वर्मा की माने तो तहसील क्षेत्र में कहीं भी बाढ़ की स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि गंगा-रामगंगा खतरे के निशान से काफी नीचे बह रही हैं। कालागढ़ बांध से जो पानी छोड़ा जा रहा है उसका खास असर नहीं पड़ेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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