षायद टीजेडपी, उड़ान, आरडीबी जैसी कुछ फिल्में मनोरंजक सिनेमा के जरिए आंदोलन खड़ा करने के लिए बनती हैं। दर्षकों और नामचीन लोगों की तारीफ के साथ फिल्म ‘आई एम कलाम’ भी कुछ उसी दिषा में बढ़ रही है।
आई एम कलाम देख चुके फिल्म फेडरेषन के कुछ सदस्यों के अनुसार, अपनी गुणवत्ता और विष्व सिनेमा के कुछ मानकों पर खरा होने में सक्षम होने के कारण यह फिल्म आॅस्कर में भारत की एंट्री के लिए सबसे मजबूत दावेदारों में पहले ही षुमार हो गई है।
आई एम कलाम फिल्म की समीक्षा बेहद सकारात्मक और उत्साहवर्धक रही है। यह इस साल की अभी तक की सबसे बेहतरीन समीक्षित फिल्म है। समीक्षक इस बात पर एकमत हैं कि ‘‘आई एम कलाम सिनेमाई कला के दृश्टिकोण से एक बेहतरीन फिल्म है जो लोगों तक अपने सामाजिक संदेष पहुंचाने और हमारे समाज में रोल माॅडल के महत्व के पुनर्मूल्यांकन की जरूरत को जोरदार तरीके से उठाने में सफल रही है। यह एक बेहद मनोरंजन फिल्म होने के अलावा आषावादिता को भी प्रतिबिंबित करती है। आई एम कलाम बच्चों की अन्य फिल्मों की तुलना में अधिक सजीव और बेहतर है। यह फिल्म वास्तव में बच्चों के लिए एक तरह से सम्पूर्ण फिल्म है जिसकी अपील युवाओं में समान रूप से है।’’
बाॅलीवुड में फिल्म के व्यापार से जुड़े लोग भी यह कहते थकते नहीं कि जिस फिल्म की षुरुआत पहले दिन औसत कलेक्षन के साथ हुई थी, वह अपनी विशयवस्तु और सकारात्मक संदेष के कारण सप्ताहांत में बड़ी संख्या में दर्षकों को आकर्शित करने में सफल रही। यहां तक कि कुछ मल्टीप्लेक्स में हाउसफुल भी देखा गया। आई एम कलाम ने पहले ही अपनी लागत वसूल ली है और बाॅक्स आॅफिस पर यह ठीक ठाक हिट फिल्मों में षुमार होने की राह पर अग्रसर है। आई एम कलाम मुनाफा कमाने के मामले में चलो मुसड्डी आॅफिस आॅफिस से बेहतर प्रदर्षन कर रही है, जबकि फिल्म का निर्माण कम बजट में हुआ और देषभर में इसे सिर्फ 125 स्क्रीनों पर ही रिलीज किया गया। फिर भी यह समीक्षा के मामले में पिछले सप्ताह रिलीज होने वाली फिल्मों में सबसे आगे रही। कमाई के मामले में यह फिल्म भविश्य में भी बेहद अहम साबित होगी।
फिल्म की सफलता यह साबित करती है कि अच्छे कंटेंट वाली छोटी फिल्में भी काफी लोकप्रिय हो सकती हैं और स्माइल फाउंडेषन ने बाॅलीवुड को यह दिखा दिया है कि बड़े कलाकारों के बगैर और कम प्रचार के बावजूद एक छोटी फिल्म किस तरह से सफल हो सकती है।
जैसा कि आई एम कलाम की लोकप्रियता से जाहिर होता है कि एक बच्चे के रूप में आप अपने सपनों को हासिल करने में कभी भी असफल नहीं होते, फिर अभी इसे क्यों बदला जाए? स्माइल फाउंडेषन की नीला माधब पांडा द्वारा निर्देषित आई एम कलाम जिसकी समीक्षकों ने काफी तारीफ की है और जो स्वस्थ मनोरंजन करने वाली पुरस्कृत फिल्म साबित हुई है, आखिरकार स्वतंत्र सिनेमा की जीत साबित हो रही है।
आई एम कलाम का थीम इसकी पुकार है जो दर्षकों को अपनी ओर खींचता है। आई एम कलाम एक फिल्म के रूप में हंसने, हंसाने और प्रेरित करने वाली अहम फिल्म है। आप इसे देखिए और हंसते हुए घर आइए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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