कोड के आधार पर उप संभागीय परिवहन विभाग में धनउगाही व भ्रष्टाचार किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। जिससे ओवर लोडिंग गाड़ियों को कोड बॅांटकर दलाल व विभागीय अधिकारी मालामाल हो रहे हैं। विस्वश्त सूत्रों द्वारा जानकारी मिली है कि कोड सुविधा प्राप्त करने के लिए हर ट्रक मालिकों को विभाग द्वारा निर्धारित कोड खरीदना जरूरी होता है। बिना कोड के चल रहे ओवर लोडिंग गाड़ियों को पकड़ कर अधिकारी अपना गुडवर्क दिखा देते हंै। इस गोरखधन्धें में राजस्व हानि तो हो रही है साथ ही अरबांे रूपये की लागत से बनी सड़क मानक से कई गुना अधिक लदे माल की ट्रक के आवागमन होने से गड्ढों में तब्दील हो जाती हैं। उप संभागीय परिवहन विभाग के अधिकारियों का जिम्मा है कि ओवर लोड ट्रक कत्तई न चलने पाये, ओवर लोडिंग पाये जाने पर ट्रकों के खिलाफ कार्यवाही की जाय, लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। ओवर लोड ट्रकों का संचालन धडल्ले से किया जा रहा है, ट्रकें वही पकड़ी जाती है जो परिवहन विभाग द्वारा जारी गोपनीय कोड नहीं खरीदता। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ओवर लोड ट्रकों के पांसिग का कोड बन्धुआ स्थित मस्जिद के सामने उमर के होटल से लेकर जिले में हर जगह होटलों, ढाबांे पर आसानी से मिल जाता है। लखनऊ वाराणसी राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर तो कई ऐेसे होटल हंै, जहां पूरे उत्तर प्रदेश का कोड पल भर में मिल जाता है। करना यह होता है कि ट्रक चालक कोड बेचने वालांे के पास पहुंचता है तेा वह उसे रूपया देकर अपना गाड़ी नम्बर उसे लिखवा देता है। उसके बाद कोड बेचने वाला व्यक्ति ट्रक चालक को विजटिंग कार्ड पर कोड लिखकर थमा देता है,यह फिर यही कोड गाड़ी के कागजात पर लिख देता है। तयशुदा तिथि पर दलाल अपनी लिस्ट विभागीय अधिकारियों कोे पहुंॅचा देते हैं। चेकिंग के दौरान जब गाड़ियाॅ रोकी जाती हैं, तो वाहन चालक कोड का जिक्र कर देते हैं। इतने पर भी बात नही बनती दलाल द्वारा भेजी गयी लिस्ट से मिलान किया जाता है।,
यदि उक्त गाड़ी नम्बर लिस्ट मे ंपायी जाती है तो माल कितना भी अधिक लदा हो केाई कार्यवाही नहीं होगी, लेकिन कोड न मिलने की स्थिति में लम्बा जुर्माना तय है। सूत्रों से पता चला है कि इस गोरखधन्धे में हर महीने लाखों रूपये की कमाई आसानी से हो जाती है। बेचे गये कोड का कुछ पैसा दलाल भी पा जाते हंै। अकूत कमाई के चलते कोड बेचने वालो की लम्बी लाइन है। इस अकूत कमाई का हिस्सा ऊपर तक पहंुचता है। जिसकी वजह से अधिकारियों व कर्मचारियों के विरूद्व कोई कार्यवाही नहीं होती। इस गोरखघन्धें में परिवहन विभाग के कर्मचारियों के सगे सम्बन्धी ही इस गोरख धन्धे में चार चांद लगा रहे हंै। यह गोरखधन्धा जिला ही नही बल्कि सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश मे धडल्ले से चल रहा है। सेटिंग-गेटिंग कर हर जिले की कोड की मोनोपोली दलाल हासिल कर लेते हैं। सूत्रांे का तो यह भी कहना है कि यदि पुलिस विभाग के अधिकारी कागजातों की जांच व ओवरलोडिंग ट्रक चालकों से पूछ ताछ की जाय तो इस गोरखधन्धे का खुलाशा आसानी से हो जायेगा, क्योंकि ट्रक चालक तो यह कोड मुफ्त में न लेकर हजारों रूपये देकर खरीदते हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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