शासनादेशों की उड़ रही है धज्जियां, मनचाहे स्थानों पर कर दी जाती है नियुक्ति
राजस्व विभाग प्रदेश के विकास की महत्वपूर्ण धुरी है। इसीलिये प्रदेश शासन ने इसकी देखरेख और नियन्त्रण का जिम्मा उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद को सौंपकर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को भी इस विभाग पर पैनी नजर रखने के निर्देश दिये हैं। जिसके लिये बकायदा प्रत्येक जिले में एक अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) की तैनाती और उसके साथ प्रत्येक तहसील के काम काज में सीधा दखल रखने के लिये उप जिलाधिकारी भी तैनात किये हैं परन्तु यह हमारी प्रशासनिक व्यवस्था का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि जितनी चाक चैबन्द व्यवस्था राजस्व विभाग की शासन ने कर रखी है उसमें उतना ही भ्रष्टाचार बढ़ा है। आम आदमी तहसीलों में पनपे भ्रष्टाचार से कराह रहा है। किसी स्तर पर भी पीड़ित और प्रताड़ित पक्ष की सुनवायी नहीं हो रही है।
जनपद शाहजहांपुर में पुवायां, तिलहर, जलालाबाद एवं सदर चार तहसीलें हैं। इन तहसीलों में आज कल सर्वाधिक भीड़ आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र बनवाने वालों की हैं। क्योंकि सभी अभिभावकों को स्कूलों में छात्रवृत्ति पाने के लिये आय, जाति प्रमाणपत्रजमा करना आवश्यक है। इसके अलावा हैसियत प्रमाण पत्र, वृद्धावस्था, विकलांग पेंशन व कांशीराम आवास आवंटन के आवेदनों का काम भी लगातार चलता ही रहता है। जिन लोगों को तहसील में काम पड़ जाये उन्हें दिन में तारे दिखाई पड़ने लगते हैं। क्योंकि तहसीलों में बिना पैसे के कोई काम नहीं होता। राजस्व कर्मी तो आम आदमी से वसूली करते ही रहते हैं। लेकिन तहसीलों में वकीलों से ज्यादा संख्या में तो काबिज दलाल और मुंशी आवेदकों को ठग रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी आम आदमी को हो रही इस असुविधा पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
यू ंतो प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने जनहित गारन्टी कानून लागू कर हर काम की समय सीमा और उसका शुल्क तय कर दिया है परन्तु तहसीलों में कार्यरत राजस्व कर्मी प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की महत्वाकांक्षी योजना जनहित गारन्टी कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र जारी करने की समय सीमा 20 दिन निर्धारित कर रखी है। परन्तु शायद ही किसी आवेदक को समय सीमा से प्रमाण पत्र मिल पाता हो।
तहसील कर्मचारियों द्वारा आवेदन पत्रों के साथ डाक से प्रमाण पत्र भेजने के लिये 25/- मूल्य का स्पीड पोस्ट लिफाफा लगवाया जा रहा है। जबकि स्थानीय स्पीड पोस्ट 12/- मूल्य के डाक टिकट पर स्वीकार्य है। इसके अलावा एकल खिड़की पर प्रत्येक आवेदन पत्र के साथ बीस रूपये का शुल्क लिया जा रहा है। साथ ही यदि किसी अभिभावक को अपने दो या तीन बच्चों के लिये आय, जाति या निवास प्रमाण पत्र बनवाना हो तो प्रत्येक में अलग-अलग शपथ पत्र लगवाया जा रहा है। जबकि एक आवेदन पत्र में मूल शपथ पत्र तथा शेष में शपथ पत्र की छायाप्रति लगवायी जा सकती है। लेकिन आम आदमी को हो रही इस असुविधा की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जबकि जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक को लिखित शिकायत की जा चुकी है।
इस सबके साथ ही तहसील में कार्यरत लेखपालों के कारिन्दे भी जांच के नाम पर आवेदकों से धन उगाही कर रहे हैं। तहसील सदर में वकीलों से ज्यादा अपंजीकृत मुंशियों व दलालों की भरमार है जो आवेदकों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। जिला स्तर पर शिकायत करने के बाद भी तहसील परिसर में दलाल और अपंजीकृत मुंशी आज तक नहीं हटाये गये हैं। इन सब बातों को यदि छोड़ भी दिया जाये तो उसके बाद भी तहसील सदर में गदर मचा हुआ है। जहां प्रत्येक सीट पर बैठा अधिकारी और कर्मचारी केवल धन उगाही में व्यस्त है। आम आदमी की सुविधासे उसे कोई सरोकार नहीं है।
तहसील सदर में नायब तहसीलदार के चार पद सृजित हैं परन्तु केवल दो नायब तहसीलदार कार्यरत है। जिन के पास एक-एक क्षेत्र का अतिरिक्त प्रभार भी है। कानूनगो राजस्व निरीक्षक के छह पद हैं लेकिन मात्र दो राजस्व निरीक्षक कार्यरत हैं। चार पदों पर लेखपालों को अतिरिक्त प्रभार देकर उन्हें राजस्व निरीक्षक बना दिया गया है। जिसमें तहसीलदार और उप जिलाधिकारी ने बड़ा खेल खेला है। जमौर क्षेत्र में एक ऐसे लेखपाल को प्रभारी राजस्व निरीक्षक के पद पर तैनाती दी गई है जिसकी सर्विस बुक में पांच एडवर्स इन्ट्री हैं। इसके अलावा अभी तक एक वर्ष पूर्व घुसगवां गांव में फर्जी पट्टे का मामला प्रकाश में आने पर इन महाशय को निलम्बित भी किया जा चुका है। सुरेन्द्र सिंह नामक इस लेखपाल द्वारा अपने राजस्व निरीक्षक प्रभारी कार्यकाल में जो फर्जी पट्टा किया गया उसमें लेखपाल महरम सिंह सिंह के साथ-साथ तत्कालीन तहसीलदार राजमणि के साथ राजस्व निरीक्षक सुरेन्द्र पाल सिंह को भी निलम्बित किया गया। लेकिन इन महाशय की घुसपैठ और कलाकारी के परिणामस्वरूप बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के इन्हें जमौर का प्रभारी राजस्व निरीक्षक बना दिया गया।
इससे भी बड़ा यदि कमाल देखना है तो ददरौल क्षेत्र के प्रभारी राजस्व निरीक्षक हरी सिंह पर नजर डालें तो यह महाशय अजीजगंज क्षेत्र क ेलेखपाल हैं और ग्राम बबौरी इलाका मरेना मजरा बनकटा के निवासी हैं। इनके सगे भाई अमौरा गांव के प्रधान हैं और यह जनबा अपने मूल निवास क्षेत्र के गांव के प्रभारी राजस्व निरीक्षक हैं जबकि शासनादेश यह है कि कोई भी लेखपाल अपने ब्लाक में नियुक्ति नहीं पा सकता परन्तु यहां शासनादेश की खुली धज्जियां सड़ाई जा रही हैं।
तहसीलदार सदर मधुसूदन आर्य ने अभी हाल ही में एक दर्जन लेखपालों का इधर से उधर किया है जिसमें मात्र एक लेखपाल कृपाशंकर सक्सेना को तो प्रशासनिक आधार पर तथा दो को 12 वर्ष का कार्यकाल एक ही क्षेत्र में होने के कारण हटाया। जबकि आठ लेखपालों को स्वयं की मांग पर उन्हें मनचाहे क्षेत्रों में तैनाती दी गई। स्वयं की मांग पर नियुक्ति दिये जाने का आधार क्या है ? इस अर्थ प्रधान युग में सहज ही समझा जा सकता है। स्वयं की मांग पर लेखपाल अवधेश सक्सेना को शहर क्षेत्र में चैथी बार नियुक्ति दी गई। इससे पूर्व वह दो बार शहर खास दक्षिणी और एक बार शहर खास उत्तरी क ेलेखपाल रह चुके हैं। शहर में लेखपालों को मोटी कमाई होती है इसीलिये वह तहसीलदार को चढ़ावा चढ़ाकर मनमाही जगहों पर नियुक्तियां पा रहे हैं। इसमें शासनादेशों की अनदेखी की जाती है। रमन लाल मिश्र विकलांग लेखपाल है। एक वर्ष का अवकाश काटने के बाद स्वंय की मांग पर चैढ़ेरा गांव के लेखपाल पद पर नियुक्ति पाये हैं। इन्हें नजदीकी क्षेत्र में तैनात किया जाना चाहिये था परन्तु आर्थिक दृष्टि से कमाऊ क्षेत्र का चार्ज इन्हें स्वयं की मांग पर दिया गया।
तहसील सदर में सारा खेल रजिस्ट्रार कानूनगो राजेन्द्र कुमार मिश्र द्वारा खेला जा रहा है जो दुबारा इस तहसील में इसी पद पर नियुक्ति पाये हैं और सदर क्षेत्र के ही रहने वाले हैं। रजिस्ट्रार कानूनगो के साथ साथ सहायक भूलेख अधिकारी के मलाईदार पद का अतिरिक्त प्रभार भी इन्हीं के पास ही है। मालबाबू के पद पर दुबारा आसीन हुये अशोक मिश्रा भी सबसे ज्यादा माल काट रहे हैं। डाक से भेजे जाने वाले प्रमाण पत्रों का सुविधा शुक्ल लेकर एकल खिड़की से ही दे दिये जाने से इन्हें दोहरी कमाई हो रही है। एक तो नकद सुविधा शुल्क मिल रहा है। दूजे 25/- मूल्य के डाक टिकट का लिफाफा भी इन्हीं की जेब में जाता है जो पुनः बिक्री हो रहा है। तहसील सदर में मचे इस गदर को देखने वाला कोई नहीं है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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