राज्य सरकार ने सभी मामलों को सी0बी0आई0 को सुपुर्द किया, ताकि सच्चाई सामने आ सके
प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री श्री लालजी वर्मा ने आज मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों द्वारा विधान सभा में हंगामा करके सदन की कार्यवाही को बाधित करने तथा राज्य सरकार पर लगाये गये विभिन्न आरोपों को आधारहीन एवं बेबुनियाद तथा दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों के मा0 सदस्यों के इस आचरण से एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यह लोग सस्ती लोकप्रियता अर्जित करने व राजनीतिक लाभ उठाने की नीयत से सदन के बहुमूल्य समय को बर्बाद करते हैं, जबकि इसका सदुपयोग गम्भीर विधायी कार्यांे तथा जन समस्याओं के निस्तारण के लिए ही किया जाना चाहिए।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को लेकर विरोधी दलों ने प्रदेश सरकार पर जो आरोप लगाये, वे पूरी तरह राजनीति से प्रेरित, तथ्यहीन हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में सच तो यह है कि राज्य सरकार शुरू से ही एन0आर0एच0एम0 से जुड़े सभी पहलुओं की सच्चाई सामने लाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध रही है और इस सम्बन्ध में उसके स्तर पर समय-समय पर जो भी कार्यवाही की गयी, अथवा फैसले लिए गए उससे प्रदेश की जनता भली-भांति अवगत है।
श्री वर्मा ने कहा कि लखनऊ के तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी (परिवार कल्याण) डाॅ0 विनोद कुमार आर्या तथा डाॅ0 बी0पी0 सिंह की हत्या के प्रकरणों की विवेचना पुलिस द्वारा की जा रही थी। इसके अलावा डिप्टी सी0एम0ओ0 डाॅ0 वाई0एस0 सचान की मृत्यु का मामला भी विवेचनाधीन था। इसी के साथ लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय (परिवार कल्याण) में बरती गयी वित्तीय अनियमितताओं की जांच का कार्य भी प्रगति पर था। इस सम्बन्ध में डाॅ0 सचान के परिवार के सदस्यों द्वारा मामले की सी0बी0आई0 जांच कराये जाने की इच्छा का समादर करते हुए राज्य सरकार ने डा. सचान की हिरासत में संदिग्ध परिस्थितयों में हुई मृत्यु के प्रकरण को विवेचना हेतु सी.बी.आई. को संदर्भित कर दिया था।
संसदीय मंत्री ने अपने वक्तव्य में यह भी कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि डा. सचान की मृत्यु के प्रकरण की विवेचना राज्य सरकार द्वारा पारदर्शिता के साथ किये जाने के बावजूद, विभिन्न स्तरों पर राज्य सरकार की छवि को खराब किये जाने के प्रयास किये जा रहे थे। इसी के साथ राज्य सरकार यह भी चाह रही थी कि डा. सचान के परिवार के सदस्य आश्वस्त भी हों सकें तथा पूरे समाज एवं देश में यह संदेश भी प्रसारित हो सके कि उत्तर प्रदेश की बी0एस0पी0 सरकार आपराधिक मामलों में किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं करती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की यह सर्वोच्च प्राथमिकता एवं प्रतिबद्धता है कि किसी भी अपराध के दोषियों को, पीड़ितों की भावना तथा सन्तोष के मुताबिक सजा मिले।
श्री वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने डाॅ0 विनोद कुमार आर्या तथा डाॅ0 बी0पी0 सिंह की हत्या के मामलों की भी अग्रेतर जांच सी0बी0आई0 को सौंपने का फैसला लिया, ताकि सी0बी0आई0 डाॅ0 वाई0एस0 सचान की हत्या के मामले की तह में जा सके और यदि डाॅ0 आर्या व डाॅ0 सिंह की हत्या का डाॅ0 सचान की हत्या से कोई सम्बन्ध है तो यह सच भी उजागर हो सके। इसी के साथ लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (परिवार कल्याण) के कार्यालय में बरती गयी वित्तीय अनियमितताओं के क्रम में दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट के मामलों की अग्रेतर जांच भी सी0बी0आई0 को सौंपने का फैसला भी लिया।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि 05 अप्रैल, 2011 तथा 07 अप्रैल, 2011 को दर्ज हुई एफ0आई0आर0 के मामलों को अग्रेतर जांच सी0बी0आई0 को इस आशय से सौंपी गयी, ताकि यह सच भी सामने आ सके कि क्या डाॅ0 सचान की हत्या का इन वित्तीय अनियमितताओं से कोई सम्बन्ध है। उन्होंने कहा कि यद्यपि पुलिस द्वारा इन चारों मामलों में विवेचना करके आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिये गये थे, परन्तु फिर भी इन मामलों की अग्रेतर (थ्नतजीमत) विवेचना इस आशय से सी0बी0आई0 को सौंपी गयी जिससे कि यदि डा0 सचान की हत्या के मकसद का सम्बन्ध इन मामलों से हो तो वह सच्चाई सामने आ सके, तथा डा0 सचान की हत्या में संलिप्त सभी दोषियों के नाम उजागर हो सके।
श्री वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया ताकि डा0 सचान की हत्या के तार कहां-कहां से जुड़े हुए हैं इसका पता लग सके। इसके साथ ही राज्य सरकार के निर्णय का एक यह भी उद्देश्य है कि सी0बी0आई0 पूरे मामले की तह में जा सके ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। उन्हांेने यह भी कहा कि राज्य सरकार के इस फैसले से मा0 उच्च न्यायालय द्वारा मोहर लगा दी गयी। राज्य सरकार द्वारा जांच के सम्बन्ध में सी0बी0आई0 का पूरा सहयोग प्रदान किया जा रहा है और इन समस्त प्रकरणों से सम्बन्धित सभी अभिलेख सी0बी0आई0 को उपलब्ध करा दिए गए हैं, ताकि विवेचना में उसे कोई असुविधा न हो।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के बारे में सभी जानते हैं कि यह भारत सरकार की एक योजना है। जिसका संचालन केन्द्र सरकार द्वारा जारी गयी गाइड लाइन्स के आधार पर किया जाता है। इसके तहत सभी कार्ययोजनाओं की वित्तीय स्वीकृतियां भारत सरकार द्वारा परियोजनावार प्रदान की जाती हैं, जिसके कार्यान्वयन का नियमित रूप से अनुश्रवण भी भारत सरकार द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री जी को समीक्षा के दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में कतिपय खामियां नजर आयीं थी। अतः इस योजना के कार्यान्वयन में हर स्तर पर पारदर्शिता बरतने के उददेश्य से उन्होंने कुछ सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश दिये थे।
श्री वर्मा ने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री जी के आदेशों के अनुपालन में राज्य सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यों के नियमित अनुश्रवण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रबन्धकीय ढांचा को प्रभावी बनाने, समस्त वित्तीय प्रस्तावों का परीक्षण करने तथा वित्तीय व्यवस्थाओं का पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने की व्यवस्था लागू की है। इसके अलावा जनपदों में बेहतर वित्तीय प्रबन्धन एवं नियंत्रण हेतु मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालयों में वित्त एवं लेखाधिकारी के 72 पदों का सृजन किया गया है, जिस पर अधिकारियों की तैनाती भी कर दी गयी है। साथ ही साथ एन0आर0एच0एम0 में वित्तीय अनुशासन को बेहतर बनाने के लिए फाइनेन्शियल मैनुअल तैयार करके लागू करने के निर्देश भी दिए गए, ताकि प्रत्येक स्तर पर वित्तीय अनुशासन कायम रखा जा सके।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री जी ने वित्तीय वर्ष 2010-11 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत सभी जनपदों में उपयोग की गयी धनराशि का विशेष आॅडिट नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सी0ए0जी0) से कराने का निर्णय भी लिया। इसके अलावा मिशन को प्रदेश में और अधिक प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा योजना के अन्तर्गत वर्ष 2010-2011 में आपूर्ति की गयी सामग्री एवं निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच उच्च स्तरीय समिति से करायी जा रही है। मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण द्वारा प्रदेश स्तर पर राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी की नियमित बैठकें की जा रहीं हैं। मुख्य सचिव ने सभी जिलों में जिला स्वास्थ्य सोसाइटी की बैंठकें नियमित रूप से किये जाने के साथ-साथ जिलाधिकारियों को इन कार्यक्रमों की गहन समीक्षा के भी निर्देश दिये हैं।
श्री वर्मा ने कहा कि जननी सुरक्षा योजना के लिए एक वेबसाइट विकसित की जा रही है, जिस पर जिलों से इस योजना की प्रगति के सम्बन्ध में नियमित सूचना दी जायेगी एवं योजना के लाभार्थियों का विवरण उपलब्ध रहेगा, जिससे योजना के प्रगति की गहन समीक्षा की जा सके। उन्हांेने कहा कि राज्य स्तर पर एक काॅल सेन्टर भी खोला जा रहा है, जिसमें आम जनता द्वारा योजना के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की शिकायत, फीडबैक तथा सुधारात्मक सुझाव भेजे जा सकेंगे। काॅल सेन्टर पर आम जन बात कर अपनी समस्याओं का निराकरण भी करा सकेंगे। उन्होंने कहा कि 5 मई, 2010 के पूर्व लागू व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक जनपद में मुख्य चिकित्साधिकारी को चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की सभी योजनाओं का नोडल अधिकारी नामित किया जा चुका है।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि डा0 बी0पी0 सिंह की हत्या के प्रकरण में परिवार कल्याण विभाग तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों की संलिप्तता पाए जाने के कारण श्री बाबू सिंह कुशवाहा एवं श्री अनन्त कुमार मिश्र ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए स्वेच्छा से मंत्री पद से त्याग-पत्र दे दिया था और इस प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने तत्कालीन प्रमुख सचिव, परिवार कल्याण को उनके पद से हटा दिया था। इस प्रकार की गयी समस्त कार्यवाही से यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि राज्य सरकार शुरू से ही एन0आर0एच0एम0 से जुड़े सभी पहलुओं की सच्चाई को सामने लाने के लिए कटिबद्ध रही है और इस सम्बन्ध में वह न तो कुछ छिपाना चाहती है और न ही उसकी किसी को बचाने की मंशा है।
श्री वर्मा ने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री जी की हमेशा यह प्रतिबद्धता रही है कि अपराधियों को कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिये तथा जो भी दोषी हो उनके विरूद्ध कानून के मुताबिक सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में सच पर पर्दा डालने और दोषियों को बचाने की पूरी-पूरी कोशिश की जाती थी। इसलिए एन0आर0एच0एम0 को लेकर राज्य सरकार पर झूठे आरोप लगाने वाले लोगों को अपनी-अपनी पार्टियों की सरकार के रिकार्ड को जरूर ध्यान में रखना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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