ऽ मामला एसडीएम सदर के कार्यालय से सटा सुलभ शौंचालय का
एसडीएम सदर कार्यालय से सटकर बना सुलभ शौचालय कूडों की ढे़र में तब्दील हो गया है। प्रतिदिन सैकड़ों की तादात में आने वाले अधिवक्ता व बादकारियों को असुविधाओं को सामना करना पडता है। जिसकी सुध लेने वाला कोई नही है।
गौरतलब हो कि बर्षा ऋतु मे संक्रामक बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। शासन प्रशासन से लेकर स्थानीय लोग उक्त बीमारियों से निजात पाने के लिये हर सम्भव प्रयास करते रहते हंै। सूत्रों की माने तो सफाई के नाम पर लाखों रूपये पानी की तरह बहाये जा चुके हंै, परन्तु एसडीएम सदर कार्यालय उपहास बन कर रह गया है। जहां एसडीएम सदर कार्यालय से सटकर बना सुलभ शौचांलय अपनी यथा स्थित कुछ और ही बंया कर रहा है। स्वच्छता का प्रतीक सुलभ शौंचालय के सामने लगा कूडों का ढ़ेर तथा उसमें लटक रहे ताले आवागमन करने वाले लोगों का ध्यान बरबस अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं, वहीं प्रतिदिन सैकडो की तादात में उपस्थित अधिवक्ता व वादकारियेां को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है,तथा गन्दगी के लगे अम्बार से संक्रामक बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो गया है, ऐसे में न तो कोई सफाई कर्मी अपनी जिम्मेदारी समझ रहा और न ही केाई अधिकारी व कर्मचारी उक्त समस्याओं पर ध्यान दिया। जानकारो की माने तो वहीं एसडीएम संक्रामक बीमारियो पर अकुंश लगाने के लिये अपने मातहतां को हिदायत देते रहते हैं लेकिन यहाॅ तो वही है कि चिराग तले अधेरें वाली कहावत चरित्रार्थ करते हुए एसडीएम सदर आंख मूॅद लिए हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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