बिना पंजीकरण चल रहे हैं सैकड़ों कोचिंग सेन्टर
शहर में गली-गली कोचिंग सेन्टरों का फैला जाल छात्रों और अभिभावकों की जेब पर करोड़ों रूपये का डाका डाल कर प्रतिवर्ष राजस्व विभाग को लाखों का चूना लगा रहे हैं। शिक्षा विभाग के अफसर इन अवैध कोचिंग संचालकों से माहवारी वसूल कर उन्हें राजस्व चोरी करने व अभिभावकों व छात्रों को दोनों हाथों से लूटने की खुली छूट दिये हुये हैं।
प्रतिवर्ष करोड़ों के कोचिंग कारोबार को व्यवस्थित कर उसे कर के दायरे में लाने के लिये प्रदेश सरकार ने नीति निर्धारित कर कोचिंग सेन्टरों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया और छात्र/छात्राओं की संख्या के आधार पर उसकी फीस तय कर दी लेकिन इसका अनुपालन नहीं हुआ। नाम मात्र की छात्र संख्या दर्शाकर कुछेक कोचिंग संचालकों ने पंजीकरण कराया। आज भी शहर में 99 फीसदी कोचिंग सेन्टर अवैध रूप से अपंजीकृत चल रहे हैं। जिनमें छात्रों की बेशुमार संख्या है। कोचिंग में पढ़ना आज का स्टेटस सिम्बल बन गया है और यही कोचिंग सेन्टर अश्लीलता के अड्डे बन गये। छात्र-छात्रायें कोचिंग के बाहर निकलते ही मौज मस्ती के वातावरण में डूब जाते हैं।
कोचिंग संचालकों का नजरिया पूरी तरह से व्यवसायिक हो चुका है। शिक्षा की गुणवत्ता से उन्हें कोई सरोकार नहीं है। अपरिपक्व शिक्षक और सरकारी स्कूलों में सेवारत शिक्षक इन कोचिंग सेन्टरों में पढ़ा कर अकूत धन जमा कर रहे हैं। कोचिंग सेन्टरों का कारोबार अब करोड़ों का व्यापार बन गया है। जहां केवल धन उगाही और मौज मस्ती का साधन है। अभिभावक भी इस लूट खसोट से परेशान हैं लेकिन प्रशासन और शिक्षा विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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