Categorized | विचार

आजादी

Posted on 05 August 2011 by admin

न खाना खाने की आजादी,
न पानी पीने की आजादी।
न सड़क पर चलने की आजादी,
तोे फिर कैसी है यह आजादी।।

प्रतिवर्ष आता 15 अगस्त, 26 जनवरी,
खुशियाँ मनाती है जनता बेचारी।
नेता करते हैं भाषण, अभिभाषण,
जनता रहती है मूक बेचारी।।

न बहन सुरक्षित, न बेटी,
नहीं मिलती दो वक्त की रोटी।
बूँद-बूँद पानी को जनता तरसती,
आश्वासनों से क्या प्यास है बुझती।।

अत्याचार कर रही है मंहगाई,
नेता कर रहे हैं बेवफाई।
अपनी आवाज उठाये जनता प्यारी,
चलते लाठी डंडे और होती है पिटाई।।

चहुँदिश फैला भ्रष्टाचार,
हो रहा व्यभिचार, अनाचार, अत्याचार।
देश का धन जा रहा विदेशों म,ें
क्या इसी का नाम है आजादी।।
क्या इसी का ……..

– पं0 हरि ओम शर्मा ‘हरि’
12, स्टेशन रोड, लखनऊ
फोनः 0522-2638324, मो0: 9415015045

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