77 के सापेक्ष 30 कर्मचारी कर रहे हैं काम, 4 वाणिज्य कर अधिकारी समेत 47 पद रिक्त
शाहजहांपुर (संवाददाता)। उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक राजस्व देने वाले वाणिज्य कर विभाग का शाहजहांपुर कार्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। जहां न तो समय से स्टेशनरी उपलब्ध हो पा रही है और न ही पत्रावलियों के समुचित रख रखाव की कोई व्यवस्था है। इतना ही नहीं सात हजार से ज्यादा पंजीकृत व्यापारियों की पत्रावलियां रखने के लिये रिकार्ड रूम तक नहीं है।
वाणिज्य कर विभाग चार खण्डों में विभक्त है और प्रत्येक खण्ड के लिये एक-एक वाणिज्य कर अधिकारी का पद सृजित है और मजे की बात यह है कि यह चारों पद रिक्त हैं। कर्मचारियों की स्थिति पर यदि हम नजर डालें तो यहां वरिष्ठ सहायक, वरिष्ठ एवं कनिष्ठ लिपिक, आशुलिपिक व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के कुल 77 पद रिक्त हैं। जिनके सापेक्ष मात्र 30 कर्मचारी कार्यरत हैं। कुल 47 पद रिक्त हैं। आधे से ज्यादा पद रिक्त होने के कारण कर्मचारियों पर काम का दबाव है और उनकी कार्य क्षमता प्रभावित हो रही है।
एक-एक कर्मचारी को चार-चार पटलों का काम सौंप कर उनसे समय से सभी कार्य पूरे किए जाने की अपेक्षा की जाती है। काम पूरा न करने वाले कर्मचारियों पर निलम्बन की तलवार लटकी रहती है। गत दिवस शाहजहांपुर वाणिज्य कर कार्यालय का निरीक्षण करने आये विभागीय उच्चाधिकारियों ने कर्मचारियों की जम कर लताड़ लगाई और समय से काम पूरा न करने वाले कर्मचारियों को निलम्बन तक की धमकी दे डाली। विभागीय अनुशासन की डोर से बंधे डरे सहमे कर्मचारी अधिकारियों के सामने अपना दुखड़ा तक नहीं सुना पाये। या यूं कहें कि स्टाफ की कमी से भली भांति परिचित होते हुये भी अधिकारियों ने कर्मचारियों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं बरती।
विदित हो कि वाणिज्य कर कार्यालय में खुले व्यापारी सुविधा केन्द्र/पंजीयन प्रकोष्ठ में व्यापारियों की सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। बावजूद इसके इन दोनों विभागों में कोई पूर्ण कालिक कर्मचारी तैनात नहीं है। वरिष्ठ लिपिक राकेश कुमार कंचन ओर विमलेश कुमार को अतिरिक्त प्रभार सौंप कर काम चलाया जा रहा है। इसी तरह वरिष्ठ सहायक राजेन्द्र द्विवेदी को लेखाकार, स्थापना, खाता पालक एवं खण्ड दो के डिप्टी एवं असिस्टेंट कमिश्नर के टंकक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वरिष्ठ लिपिक दिनेश कुमार सिंह खण्ड-2 के दो पटलों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसी तरह मनोज द्विवेदी, रमेश चन्द्र गुप्ता, अरूण श्रीवास्तव, अशोक कुमार राना व वेदप्रकाश गुप्ता को भी अतिरिक्त प्रभार सौंप कर काम चलाया जा रहा है। एक-एक कर्मचारी से चार-चार पटलों का कार्य लेकर उससे समय से कार्य पूरा करने की अपेक्षा की जाती है और समय से काम पूरा न करने पर हमेशा निलम्बन की तलवार लटकी रहती है। स्थानीय अधिकारी स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिये शासन को डी0ओ0 लेटर लिखने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।
व्यापार कर कार्यालय का कम्प्यूटरीकरण तो कर दिया गया परन्तु इसके रख-रखाव की कोई चिन्ता नहीं की गई। अधिकांश कम्प्यूटर खराब होकर धूल चाट रहे हैं। विभाग का जनरेटर जब से लगा है तभी से आये दिन खराब रहता है। उसकी समुचित देखभाल नहीं होती। इतना ही नहीं जनरेटर चलाने के लिये डीजल तक का बजट विभाग के पास नहीं है।
उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर मिनिस्ट्रयल एसोसियेशन के जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार सिंह ने कार्यालय में स्टाफ की कमी और उसके कारण कर्मचारियों पर बढ़ रहे काम के दबाव से कर्मचारियों में डिप्रेशन का मुद्दा कई बार कर्मचारी संगठन की मीटिंगों में उठाया तथा इस स्थिति से अधिकारियों को अवगत कराया परन्तु अधिकारियों के कानों पर जँू तक नहीं रेंगी। वाणिज्य कर कार्यालय शाहजहांपुर के कर्मचारी विभागीय अधिकारियों की तानाशाही और तुगलकी आदेशों से परेशान हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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