उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में आज सम्पन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में उत्तर प्रदेश निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियमावली, 2011 को अनुमोदित किया गया।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा 6-14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 दिनांक 01 अप्रैल, 2010 से लागू किया गया है। इस अधिनियम के तहत प्रत्येक बच्चे के लिए उसके निकट के पड़ोसी विद्यालय में निःशुल्क प्रारम्भिक शिक्षा की व्यवस्था की गयी है। इस अधिनियम में यह भी व्यवस्था है कि बच्चे से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा।
इस अधिनियम में 07 अध्याय एवं 38 धारायें हैं। अधिनियम की धारा-38 में नियम बनाने के शक्ति राज्य सरकार को प्रदान की गयी है। इस अधिनियम में निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार/केन्द्र, राज्य, स्थानीय सरकारों और अभिभावकों के दायित्व/स्कूल और शिक्षकों के दायित्व/पाठ्यचर्चा और प्रारम्भिक शिक्षा का पूरा होना तथा बाल अधिकारों का संरक्षण आदि मुख्य प्राविधान हैं।
भारत सरकार द्वारा निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा-38(1) में निहित प्राविधानों के तहत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नियमावली बनाये जाने का निर्णय लिया गया है। इस नियमावली में कुल 08 भाग तथा 26 नियम है। राज्य सरकार द्वारा तैयार की गयी नियमावली में मुख्य बिन्दु निम्नवत् हैः-
1- पास-पड़ोस का क्षेत्र या सीमा जिसके अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत समिति द्वारा विद्यालय की स्थापना निम्नवत होगी-
(क) कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के संबंध में ऐसी बस्ती में विद्यालय स्थापित किया जायेगा जिसके 01 किमी0 की दूरी के अन्तर्गत कोई विद्यालय नहीं है तथा न्यूनतम आबादी 300 है।
(ख) कक्षा छः से आठ तक के बच्चों के संबंध में ऐसी बस्ती में विद्यालय स्थापित किया जायेगा, जिसके बाद 3 किमी0 की दूरी के अन्तर्गत कोई विद्यालय नहीं है तथा न्यूनतम आबादी 800 है।
2- पड़ोसी विद्यालय की सुलभता एवं स्थापना के उद्देश्य से, स्थानीय प्राधिकारी द्वारा विद्यालय मानचित्रण कर दूरवर्ती क्षेत्रों के बच्चों, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों, अपवंचित वर्ग के बच्चों, कमजोर वर्ग के बच्चों तथा धारा-4 में संदर्भित श्रेणी के बच्चों का चिन्हांकन अधिनियम के प्रवृत्त होने की एक वर्ष की अवधि में अथवा दिनांक 31 मार्च तक और तत्पश्चात प्रत्येक वर्ष करेगा।
3- राज्य सरकार अथवा स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, स्वामित्व प्राप्त या नियंत्रित समस्त विद्यालयों हेतु प्रारम्भिक शिक्षा पर राज्य सरकार पर स्वयं अपनी निधियों से एवं केन्द्र सरकार तथा किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी निधियों से उपगत कुल वार्षिक आवर्ती व्यय ऐसे सभी विद्यालयों में 30 सितम्बर को नामांकित बालाकों की कुल संख्या से विभाजित किये जाने पर राज्य सरकार द्वारा प्रति बालक उपगत किया गया व्यय माना जायेगा।
4- राज्य सरकार के निर्णय के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी विद्यालय को प्रदत्त मान्यता रदद् करने का आदेश निर्णय प्राप्ति के 07 दिन के अन्दर जारी करेगा। मान्यता रदद् होने का आदेश तत्काल अनुवर्ती शैक्षिक सत्र से लागू होगा तथा इस आदेश में ही उन पड़ोसी विद्यालयों के नाम भी इंगित किये जायेंगे जहां मान्यता प्रत्याहरित विद्यालय के बच्चों को नामांकित कराया जायेगा।
5- राज्य सलाहकार परिषद में 14 सदस्य एवं एक अध्यक्ष सम्मिलित होंगे।
6- राज्य में बेसिक शिक्षा विभाग के मंत्री परिषद के पदेन अध्यक्ष होंगे।
7- राज्य सलाहकार परिषद अधिनियम के प्राविधानों का प्रभावशाली रूप में अनुपालन के संबंध में राज्य सरकार को सलाह देगी।
8- यह नियमावली तुरन्त प्रवृत्त होगी।
वर्ष 2010-11 में राज्य सरकार द्वारा राज्यंाश के रूप में 1845 करोड़ रूपये की धनराशि अवमुक्त की गयी है। राज्यंाश के रूप में वर्ष 2011-12 में 3056 करोड़ रूपये की आवश्यकता होगी। जिसके सापेक्ष 1603 करोड़ रूपये का बजट प्राविधान किया गया है, राज्यांश के रूप में वर्ष 2012-13 में 4472 करोड़, वर्ष 2013-2014 में 4274 करोड़ तथा वर्ष 2014-15 में 4512 करोड़ रूपये की आवश्यकता अनुमानित है।
वर्ष 2104-15 के बाद वित्त आयोग से अनुदान एवं सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रमों के वित्तीय पोषण हेतु भारत सरकार द्वारा वर्तमान में कोई प्रतिबद्धता नहीं दी गयी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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