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सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना प्रदेश के मान्यता प्राप्त मदरसों में लागू

Posted on 27 July 2011 by admin

मुस्लिम समाज की बी0पी0एल0 श्रेणी की छात्राओं को कक्षा-11 में प्रवेश लेने पर 15 हजार रूपये, साइकिल तथा कक्षा-12 में 10 हजार रूपये की धनराशि दिये जाने का निर्णय

उत्तर प्रदेश सरकार ने अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज की बालिकाओं को शिक्षा हेतु प्रोत्साहित करने के लिए सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना को प्रदेश के मान्यता प्राप्त मदरसों में भी लागू करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार के इस दूरगामी फैसले से मुस्लिम समाज की हजारों छात्राएं लाभान्वित होंगी।

इस आशय के प्रस्ताव को आज माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में अनुमोदित किया गया। राज्य सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय से गरीब मुस्लिम परिवार की छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने की ओर प्रेरित होंगी तथा मुस्लिम परिवार भी समाज की मुख्य धारा में सम्मिलित हो सकेंगे।
मंत्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद से मौलवी/मंुशी (हाई स्कूल परीक्षा के समकक्ष) परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् आलिम प्रथम वर्ष (कक्षा-11 के समकक्ष) में प्रवेश लेने वाली छात्राओं को प्रोत्साहन धनराशि दिये जाने का निर्णय लिया गया है। इस योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली बी0पी0एल0 श्रेणी की छात्राओं को कक्षा-11 में 15 हजार रूपये एवं मदरसें से आने-जाने हेतु एक साइकिल तथा कक्षा-12 में 10 हजार रूपये की धनराशि दिये जाने का निर्णय लिया गया है।

इस योजना के लिए कुछ मानक तथा शर्तें भी निर्धारित की गयी हैं:-
1-    जिसके तहत छात्रा द्वारा वर्ष 2011 की मंुशी/मौलवी परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसे में आलिम प्रथम वर्ष में प्रवेश प्राप्त कर लिया हो।
2-    छात्रा के अविवाहित होने की दशा में छात्रा के माता-पिता/अभिभावक, बी0पी0एल0 कार्ड/अन्त्योदय श्रेणी के कार्ड धारक हो।
3-    छात्रा के विवाहित होने की दशा में उसका पति /परिवार बी0पी0एल0 कार्ड धारक/अन्त्योदय श्रेणी का कार्ड धारक हो। विवाहित पात्र छात्राओं के लिए आयु सीमा 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए अर्थात विवाह के समय छात्रा की आयु 18 वर्ष से कम न रही हो।
4-    ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना के लिए संबंधित ग्राम के प्रधान अथवा ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा जारी किया गया विवाहित होने का प्रमाण-पत्र मान्य होगा।
5-    शहरी क्षेत्रों में इस योजना हेतु संबंधित नगर निगम से क्षेत्रीय सभासद/नायब तहसीलदार/सहायक नगर आयुक्त द्वारा निर्गत विवाहित होने संबंधी प्रमाण-पत्र मान्य होगा। नगर पालिका परिषद में क्षेत्रीय सभासद/नायब तहसीलदार/अधिशासी अधिकारी द्वारा निर्गत विवाहित होने संबंधी प्रमाण-पत्र मान्य होगा। नगर पंचायत में क्षेत्रीय सभासद/नायब तहसीलदार/अधिशासी अधिकारी द्वारा निर्गत विवाहित होने संबंधी प्रमाण-पत्र मान्य होगा।
6-    अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के विशिष्ट संदर्भ में ग्रामीण क्षेत्र एवं शहरी क्षेत्र दोनों में काजी द्वारा हस्ताक्षरित एवं दो गवाहों की उपस्थिति में एवं उनके हस्ताक्षर सहित प्रस्तुत किये गये निकाहनामें अथवा किसी अन्य सक्षम अधिकारी द्वारा निर्गत विवाह प्रमाण-पत्र के आधार पर विवाहित होने संबंधी प्रमाण-पत्र उपरोक्त बिन्दु संख्या 4 व 5 में अंतिम विवरण के अनुसार सक्षम अधिकारी द्वारा निर्गत किया जायेगा।
7-    छात्राओं को वित्तीय वर्ष में उस वर्ष के सितम्बर माह तक आवेदन करना होगा। पात्र छात्राओं को धनराशि का वितरण उसी वित्तीय वर्ष में कर दिया जायेगा।
8-    योजना के तहत चयनित छात्रा को दी जाने वाली धनराशि का भुगतान जनपदीय समिति के माध्यम से उसके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया जायेगा।
9-    छात्राओं को वितरित की जाने वाली साइकिल का क्रय जनपदीय समिति द्वारा शिक्षा विभाग में लागू प्रक्रिया के अनुसार नियमों के अन्तर्गत किया जायेगा।
10- जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी द्वारा वर्ष 2011 में मंुशी/मौलवी परीक्षा उत्तीर्ण छात्रा जिसने आलिम प्रथम वर्ष में प्रवेश ले लिया है, के मदरसें के प्रधानाचार्य के माध्यम से आवेदन पत्र आमंत्रित किये जायेंगे, जिसके साथ मुंशी/मौलवी परीक्षा वर्ष 2011 की प्रमाणित अंकतालिका, आलिम प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने का प्रमाण-पत्र, तहसीलदार/सक्षम अधिकारी द्वारा निर्गत बी0पी0एल0 कार्ड/अन्त्योदय कार्ड की प्रमाणित प्रतिलिपि संलग्न करना अनिवार्य होगा। योजना से संबंधित अभिलेखों का रख-रखाव जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय द्वारा किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों की आबादी प्रदेश की कुल आबादी का 19.33 प्रतिशत है, जिसको दृष्टिगत रखते हुए अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक और आर्थिक विकास का सम्पूर्ण प्रदेश के समग्र विकास में विशेष महत्व है। प्रदेश के अल्पसंख्यक समुदायों में सर्वाधिक जनसंख्या मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय की है।
मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय शैक्षणिक एवं आर्थिक दृष्टि से अधिक पिछड़ा हुआ है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव न केवल प्रदेश के मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय पर वरन् पूरे प्रदेश के विकास पर पड़ना स्वाभाविक है। प्रदेश के मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षणिक विकास में मदरसों का भी विशेष योगदान रहा है। वर्तमान में आलिया स्तर के स्थायी मान्यता प्राप्त 1571 मदरसें हैं, जिनमें 459 मदरसे अनुदानित हैं तथा 1112 मदरसें गैर-अनुदानित हैं।

अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम समुदाय में साक्षरता की दर अत्यधिक कम है। मुस्लिम समाज में भी शिक्षा के प्रति धीरे-धीरे जागरुकता आ रही है। मदरसा शिक्षा परिषद से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अरबी, फारसी परीक्षा वर्ष 2007 में कुल पंजीकृत छात्र-छात्राओं की संख्या 73693 थी, जिसमें से छात्राओं की संख्या 27464 थी। वर्ष 2008 में छात्राओं की संख्या 44344, वर्ष 2009 में छात्राओं की संख्या 48840 तथा वर्ष 2010 में 58449 हो गयी । इस तरह छात्राओं की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। राज्य सरकार की इस पहल से मुस्लिम समाज के गरीब छात्राओं को शिक्षा के प्रति और झुकाव पैदा होगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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