लगातार हो रही बारिश के कारण जहां नदियों में पानी बढ़ रहा है वहीं नरौरा बांध, ड्यूनी डैम व बनबसा बांध से अब तक 9427.922 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से जनपद की नदियां खतरे से निशान तक पहुंचने लगी हैं। वहीं उसके आसपास बसे ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ आने की सम्भावना से लोगों में दहशत पनप रही है तथा अधिकांश ग्रामीण पलायन करने को मजबूर हैं। उधर प्रशासन द्वारा इस पर कड़ी नजर रखी जा रही है तथा ऐसी किसी विभीषिका होने के भय से वहां चैाकियां व कन्ट्रोल रूम स्थापित कर दिये गये हैं जो प्रशासन को पल-पल की खबर दे रहे है। अगर कटरी क्षेत्र की बात की जाये तो क्षेत्र में सोत नदी, अरिल नदी, रामगंगा व भैंसार बांध में लगातार जल स्तर बढ़ता नजर आ रहा है। वहीं विगत दिन नरौरा बांध पर बढ़े जल स्तर के कारण उस पर बनी ठोकरें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गयी है। ग्रामीणों को आंशका सता रही है कि अगर पानी ढेड़ फुट और बढ़ गया तो शायद बीते वर्ष की तरह फिर तबाही का मंजर आ सकता है। जिस कारण ग्रामीण सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने में जुट गये हैं।
भैंसार बांध पर पानी का जल स्तर तेज होने के कारण उसकी ठोकरें क्षतिग्रस्त हो गयीं। वहीं लोगों को आवागमन करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा बांध के करीब गांव खमरिया, चरनोक, लक्ष्मणपुर, खालसा, सरफरा, रोहन नगला, डमरू नगला, चकरेली, गोलागंज सहित ढाई दर्जन गांव खतरे में नजर आ रही है। जिस कारण ग्रामीणों ने गांव से पलायन करना शुरू कर दिया है।
जनपद की रामगंगा, अरिल, खन्नौद, गर्रा, बहगुल नदी व भैंसार बांध में लगातार जल स्तर बढऩे के कारण नदियों के किनारे रहने वालों में दहशत व्याप्त है वहीं अधिकारी इसके प्रति गम्भीर होते नजर नहीं आ रहे हैं और यही कारण है कि अभी तक अधिकारियों ने कटरी के तमात ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा नहीं किया वहीं जैतीपुर व गढिय़ा रंगीन में बहगुल नदी के किनारे बसे गांव भी अछूते हैं। जहां एक ओर मुसीबत मुंह खोले खड़ी है और ग्रामीणों के दिलों के अन्दर भय व्याप्त है वहीं अधिकारी उन गांवों का दौरा करने में देरी कर रहे हैं। अगर स्थिति यही रही तो यहां की व्यवस्था कैसे दुरूस्त होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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