- श्री सिद्दीकी ने विपक्षी नेताओं द्वारा इस फैसले का स्वागत करने के बजाय इसे सरकार द्वारा दबाव में आकर लिया गया फैसला बताये जाने को राजनीति से प्रेरित बताया
- न्यायिक जांच पूरी किये जाने से पहले अन्य किसी जांच का आदेश दिया जाना औचित्यपूर्ण नहीं था
- न्यायिक जांच पूरी होते ही माननीया मुख्यमंत्री जी ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए ैप्ज् आदि से जांच कराने को दरकिनार करके डाॅ0 सचान के परिवार की इच्छा के मुताबिक इस प्रकरण की तुरन्त सी0बी0आई0 से जांच कराने के आदेश दिये-राष्ट्रीय महासचिव बी0एस0पी0
बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पार्टी की ओर से बी0एस0पी0 की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी के उस निर्णय का स्वागत किया है, जिसके अन्तर्गत उन्होंने डाॅ0 वाई0एस0 सचान की मृत्यु के प्रकरण की जांच ैप्ज् आदि से कराने को दरकिनार करके 13 जुलाई, 2011 को सी0बी0आई0 को संदर्भित किये जाने के निर्देश, डाॅ0 सचान के परिवार की इच्छा को सर्वोपरि रखते हुए दिये थे।
श्री सिद्दीकी ने उन सभी विपक्षी नेताओं को आड़े हाथ लिया, जिन्होंने इस फैसले का स्वागत करने के बजाय इसे सरकार द्वारा दबाव में आकर लिया गया फैसला बताते हुए यह भी कहा था कि यदि यही करना था तो बहुत पहले कर लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में बी0एस0पी0 की स्थिति शुरू से ही स्पष्ट थी कि दिनांक 22 जून, 2011 को घटित घटना की रात्रि में ही राज्य सरकार ने न्यायिक जांच का आदेश देते हुए इस सम्बन्ध में माननीय जनपद न्यायधीश से आवश्यक अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि न्यायिक अधिकारी द्वारा दिनांक 23 जून को प्रकरण की न्यायिक जांच प्रारम्भ किए जाने के पश्चात जब तक उनकी आख्या प्राप्त नहीं हो जाती, तब तक अन्य किसी प्रकार की जांच कराना औचित्यपूर्ण नहीं था। ऐसे में विपक्षियों द्वारा यह आरोप लगाया जाना कि डाॅ0 सचान के मामले में न्यायिक जांच पूरी हो जाने के पहले सी0बी0आई0 जांच का आदेश दिया जा सकता था, पूरी तरह से तथ्यहीन, बेबुनियाद एवं राजनीति से प्रेरित है।
इसके साथ ही राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि बी0एस0पी0 की सरकार ने आरोपियों के प्रति कभी भी कोई रियायत नहीं दिखायी और कानून को अपने हाथ में लेने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शा, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न रहा हो। उन्होंने कहा माननीया मुख्यमंत्री जी और उनकी सरकार की हमेशा यह प्रतिबद्धता रही है कि अपराधियों को कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
राष्ट्रीय महासचिव ने यह भी बताया कि माननीया मुख्यमंत्री जी ने डा0 वाई0एस0 सचान की मृत्यु की घटना के सम्बन्ध में शुरू से ही स्पष्ट निर्देश दिए थे कि इस प्रकरण की गहनता से छानबीन करायी जाए और जो दोषी पाया जाए, उसके खिलाफ कानून सम्मत सख्त कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा कि दिनांक 12 जुलाई, 2011 को जब न्यायिक जांच की आख्या मा0 इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में प्रस्तुत हुई तो सबसे पहले अपर महाधिवक्ता ने मा0 उच्च न्यायलय से इस प्रकरण की जांच किसी स्वतंत्र एजेन्सी से कराने के राज्य सरकार के अनुरोध को मा0 न्यायालय के समक्ष रखा। इससे यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया कि राज्य सरकार शुरू से ही इस घटना की तह में जाकर दोषियों को सामने लाकर उन्हें सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध थी। न्यायिक जांच की आख्या के परिप्रेक्ष्य में स्वतंत्र एजेन्सी से जांच कराने के सुझाव को मा0 उच्च न्यायालय के समक्ष रखे जाने से राज्य सरकार की पारदर्शिता स्पष्ट थी।
लेकिन उक्त तिथि को ही डाॅ0 सचान के परिवार के सदस्यों द्वारा इस मामले की सी0बी0आई0 से जांच कराये जाने की मांग की गयी। उन्होंने कहा कि इसके अगले दिन दिनांक 13 जुलाई, 2011 को जब माननीया मुख्यमंत्री जी ने इस प्रकरण की जानकारी ली, तो उन्हें यह बताया गया कि डाॅ0 सचान के परिवार वाले एस0आई0टी0 के स्थान पर सी0बी0आई0 से जांच कराना चाहते हैं। इस पर माननीया मुख्यमंत्री जी ने पुलिस व प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को फटकार लगायी और उन्हें डाॅ0 सचान के परिवार की इच्छा का समादर करते हुए यह सख्त निर्देश दिए कि डाॅ0 सचान के प्रकरण की विवेचना सी0बी0आई0 को आज ही तुरन्त संदर्भित कर दी जाए, जिसे फिर उसी ही दिन सी0बी0आई0 को संदर्भित कर दिया गया और खुशी की यह बात है कि माननीया मुख्यमंत्री जी के इस फैसले पर अगले ही दिन मा0 उच्च न्यायालय ने भी अपनी मोहर लगा दी, जिसका हमारी पार्टी ने स्वागत किया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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