सिटी मोन्टेसरी स्कूल, अशर्फाबाद द्वारा सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित तीन दिवसीय ‘‘इण्टरनेशनल इन्टरफेथ कान्फ्रेन्स’’ धार्मिक एकता को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ आज सायं सम्पन्न हो गई। इस अनूठे अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के भव्य समापन समारोह में विश्व के 9 देशों यू.के., कनाडा, ब्राजील, इजिप्ट, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, मलेशिया तथा भारत से पधारे विचारकों, दार्शनिकों, धर्माचार्यों, शिक्षाविद्ों व न्यायविद्ों ने एक स्वर से संकल्प व्यक्त किया कि धार्मिक एकता की स्थापना हेतु सतत् प्रयासरत रहेंगे तथापि सारे विश्व में खासकर भावी पीढ़ी को धर्म के मर्म से अवगत करायेंगे। इससे पहले रंगारंग समापन समारोह में सी.एम.एस. छात्रों ने ‘सर्व-धर्म प्रार्थना’ प्रस्तुत कर ईश्वरीय एकता व आध्यात्मिक आलोक की अनूठी आभा से देश-विदेश से पधारे विद्वान मेहमानों को सराबोर कर दिया। एक से बढ़कर एक शानदार शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला ने विदेशी मेहमानों को देश की विविधता से परिपूर्ण सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत के अनुपम सौन्दर्य से रूबरू कराया तथापि विभिन्नता में एकता की छटा बिखेर कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इससे पहले सम्मेलन के अन्तिम दिन आज विभिन्न प्लेनरी सेशन्स के अन्तर्गत देश-विदेश से पधारे विद्वजनों ने अपने सारगर्भित उद्बोधनों से धर्म के विभिन्न आयामों पर विशेष चर्चा की एवं विभिन्न धर्मों के बीच समन्वय पर शिक्षा की भूमिका को रेखांकित किया। प्रातःकालीन सत्र में ‘रोल आॅफ स्कूल इन प्रमोटिंग इन्टरफेथ डायलाॅग’ विषय पर चर्चा की शुरुआत करते हुए सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि भारत की धरती पूरे विश्व को एकता व भाईचारे का संदेश देती है। विभिन्नता में एकता की संस्कृति यहां की विशेषता है और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की इसी भावना को आज सारे विश्व में प्रवाहित करने की आवश्यकता है। डा. गाँधी ने आगे कहा कि विविधताओं से परिपूर्ण विश्व समाज में धर्म के मर्म को सही परिप्रेक्ष्य में समझना प्रत्येक विश्व नागरिक के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि धार्मिक एकता से ही मानवता का उत्थान संभव है और यही विश्व एकता व विश्व शान्ति की धुरी है।
डा. गाँधी के विचार प्रवाह को आगे बढ़ाते हुए प्रो. मोहम्मद अख्तर सिद्दीकी, चेयरपरसन, एन.सी.टी.ई., नई दिल्ली ने ‘रोल आॅफ एजुकेशन इन प्रमोटिंग इन्टरफेथ डायलाॅग’ पर विशेष व्याख्यान दिया। अपने सम्बोधन में प्रो. सिद्दीकी ने कहा कि धार्मिक समन्वय व धार्मिक एकता को बढ़ावा देने में शिक्षा का विशेष महत्व है। स्कूल एक ऐसा स्थान है जहाँ सभी धर्म, जाति के बच्चे एक साथ बैठते हैं, एक साथ अध्ययन करते हैं एवं साथ ही खाते व खेलते हैं, ऐसे में यदि प्रारम्भ से ही बच्चों को सही अर्थों में धर्म की महत्ता व भावना से अवगत कराया जाए तो यही बच्चे आगे चलकर एकता व शान्ति से परिपूर्ण खुशहाल समाज की आधारशिला रखेंगे। मलेशिया से पधारे श्री सरन श्रीनिवास, प्रोग्राम मैनेजर, राइट लिवलीहुड कालेज, ने कहा कि जब तक आप अन्य धर्मों की भावना को नहीं समझेंगे तब तक आप भी स्वयं अपनी पहचान नहीं बना सकते। धर्म मनुष्य के लिए अत्यावश्यक है क्योंकि यही वह कड़ी है जो मनुष्य को मानवता के रास्ते पर चलने को प्रेरित करता है। इसी प्रकार ‘टाॅलरेन्स एण्ड हिपोक्रेसी’ पर बोलते हुए श्री नसरी मारको, पीएचडी, प्रेसीडेन्ट एवं संस्थापक, शर्म अल शेख इण्टरनेशनल आर्बिट्रेशन सेन्टर, इजिप्ट ने कहा कि वर्तमान समय में धार्मिक अज्ञानता की स्थिति ने पूरे विश्व को अराजकता की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है जिससे भावी पीढ़ी के सुखद व सुन्दर भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं। अतः धार्मिक एकता की स्थापना हेतु विभिन्न धर्मावलम्बियों के मिलजुल कर विचारों के आदान-प्रदान की नितान्त आवश्यकता है। इस अवसर पर डा. नबील अबदेल फतह मोहम्मद, असिस्टेन्ट टू दि डायरेक्टर आॅफ दि अल-अहराम सेन्टर फाॅर पोलिटिकल एण्ड स्ट्रेटजिक स्टेडीज, इजिप्ट, प्रो. मोहम्मद हसन एल-बाना, एडीटिंग मैनेजर, अल-अख्बर दैनिक समाचार पत्र, इजिप्ट, सुश्री जेना सोराबजी, वाइस चेयरपरसन, नेशनल स्पिरिचुअल असेम्बली आॅफ बहाई आॅफ इण्डिया समेत कई विद्वानों ने अपने सारगर्भित उद्बोधन से जन-जागरण किया।
आज अपरान्हः सत्र में आयोजित ‘इन्टरएक्टिव सेशन’ के अन्तर्गत देश-विदेश से पधारे विद्वजनों ने ‘रोल आॅफ टीचर्स/एजुकेशन’ के विभिन्न आयामों पर विस्तृत चर्चा की तथापि सम्मेलन के प्रतिभागी शिक्षकों व विभिन्न धर्मावलम्बियों द्वारा प्रस्तुत मल्टीमीडिया प्रजेन्टेशन ने गूढ़ विषयों पर भी अत्यन्त सरल तरीके से प्रकाश डाला। अपरान्हः सत्र की अध्यक्षता श्री माइकल डी सालाबेरी, भूतपूर्व राजदूत, मिनिस्ट्री आॅफ फाॅरेन अफेयर्स, कनाडा ने की। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में श्री सालाबेरी ने कहा कि हमें समस्याओं से भागना नहीं अपितु उन्हें मिलजुलकर सुलझाना है और अपनी आध्यात्मिक शक्ति का विकास करना है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि बच्चों के पाठ्यक्रमों एवं स्कूल प्रोजेक्ट में जीवन मूल्यों को शामिल करना चाहिए तथापि स्वयं भी हमें अपने दैनिक जीवन में सार्वभौमिक मूल्यों को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन मूल्यों से ओतप्रोत ‘विश्व धर्म’ की नींव अब पड़ चुकी है, अब इसे सम्पूर्ण विश्व में जन-जन तक पहंुचाना समय की मांग है।
सम्मेलन के समापन समारोह में ‘इण्टरनेशनल इन्टरफेथ कान्फ्रेन्स’ की संयोजिका व सी.एम.एस. अशर्फाबाद कैम्पस की प्रधानाचार्या सुश्री अर्चना पाण्डे ने देश-विदेश से पधारे सभी विद्वजनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इतने महान धर्मावलम्बियों व शिक्षाविदों ने सी.एम.एस. में पधारकर अपने सारगर्भित विचारों से जन-जागरण किया एवं विद्यालय को सही मायने में तीरथ-धाम बनाया। इसका प्रकाश सर्वत्र फैलेगा व भावी पीढ़ी के मन-मस्तिष्क को ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित करेगा। उन्होंने कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के माध्यम से सभी धर्मावलम्बियों के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर विचार-विमर्श से जो मित्रता व सद्भावना का वातावरण निर्मित हुआ है, वह इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है और यही भावना भावी पीढ़ी में सौहार्द व भाईचारे के लिए प्रेरणास्रोत साबित होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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