सहारा-सेबी मामला आज माननीय सु प्रीम कोर्ट के सम्मुख लाया गया। उसमें यह भी निर्देशित किया गया कि सेबी के 23 जून 2011 के आदेश को प्रभावी नहीं होने दिया जाए। कोर्ट ने कहा वह कंसेप्ट समझ गयी है और उसके विचार में मामला कानून के महत्वपूर्ण प्रश्नों से सम्बन्धित है, जिस पर फैसला दिये जाने की आवश्यकता है।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यह भी इंगित किया कि यद्यपि सेबी का आदेश व्थ्ब्क् का कंसेप्ट स्पष्ट करता है, इसके बावजूद वह अपने अधिदेश से बाहर जा रहा है। इस प्रकार के फैसले के लिए क्योंकि दो मार्ग उपलब्ध हैं एक हाईकोर्ट के सम्मुख जाने का और दूसरा ै।ज् के सम्मुख जाने का। कोर्ट ने आदेश दिया कि सहारा ै।ज् के सम्मुख याचिका दाखिल करे।
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि क्योंकि इस मामले का कम्पनीज़ एक्ट, 1956 के अन्तर्ग त आने वाले महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्नों से सम्बन्ध है। अतः डब्। जिसने सहारा को व्थ्ब्क् जारी करने के लिए अधिकृ त किया था, उसे इस याचिका में आवश्यक रूप से एक पक्षकार बनाया जाना चाहिए।
इस आदेश के द्वारा यह भी निर्देशित किया गया है कि ै।ज् इस मामले में पूर्व में किये गये किन्ही भी आदेशों से प्रभावित न हो।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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