- विश्व मानवता को एकता के सूत्र में पिरोने का सशक्त माध्यम है धर्म
- देश-विदेश से पधारे विभिन्न धर्मावलम्बियों का मत
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, अशर्फाबाद कैम्पस के तत्वावधान में सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय ‘इण्टरनेशनल इण्टरफेथ कान्फ्रेन्स’ के दूसरे दिन 9 देशों से पधारे विचारकों, दार्शनिकों, धर्माचार्यों, शिक्षाविद्ों व न्यायविद्ों ने अपने सारगर्भित विचारों से आध्यात्मिकता व ईश्वरीय एकता का अनूठा आलोक बिखेरा। इस अवसर पर विदेशी मेहमानों के साथ ही सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में बड़ी संख्या में उपस्थित विभिन्न धर्मावलम्बियों ने धार्मिक एकता पर अपने विचार व्यक्त किए। देश-विदेश से पधारे इन विद्वजनों ने अपने सारगर्भित विचारों द्वारा यह संदेश दिया कि विश्व के सभी धर्मों का उद्देश्य विश्व एकता व मानव मात्र में प्रेम का संचार करना है, साथ ही मानवता का धर्म ही शाश्वत सत्य है और इस सत्य से बच्चों को बचपन से ही अवगत कराना चाहिए।
इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में दूसरे दिन की चर्चा का शुभारम्भ इजिप्ट के सुप्रीम कान्स्टीट्यूशनल कोर्ट के डेप्यूटी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति आदेल ओमर शेरिफ के की-नोट एड्रेस से हुआ। अपने सम्बोधन में न्यायमूर्ति शेरिफ ने कहा कि बिना धार्मिक एकता के विश्व एकता की कल्पना नहीं की जा सकती, ऐसे में विभिन्न धर्मावलम्बियों के मिलजुल कर विचारों के आदान-प्रदान की आवश्यकता बहुत बढ़ जाती है और इसका महत्व भी बढ़ जाता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आज भावी पीढ़ी को यह समझाने की आवश्यकता है कि सभी धर्मों का उद्देश्य एक ही है ‘मानव धर्म’ और सभी धर्म हमें एक ही परमपिता परमात्मा की ओर ले जाते हैं।
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए श्री माइकल डी सालाबेरी, भूतपूर्व राजदूत, मिनिस्ट्री आॅफ फाॅरेन अफेयर्स, कनाडा ने कहा कि इस आयोजन के द्वारा सी.एम.एस. पूरी दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि सभी धर्मावलंबी एक ही परमपिता की संतान हैं जिन्हें आपस में मिलजुलकर रहना चाहिए। प्रो0 दिलीप लोउनडो, प्रोफेसर आॅफ रिलीजन्स स्टेडीज्स, फेडरल यूनिवर्सिटी, ब्राजील ने कहा कि आदर्श समाज का आधार धार्मिक प्रेम एवं सद्भाव के प्रदर्शन से होता है। विभिन्न धर्मों का जो स्वरूप आज हमें दिखाई देता है उसका आधार अलग-अलग संस्कृतियाँ व भौगोलिक परिस्थितियां आदि हैं परन्तु आध्यात्मिक शिक्षा तो सभी धर्मों की एक ही है। इजिप्ट से पधारे प्रोफेसर डा. मोहम्मद अल-सहात अल-जेनडी, सैक्रेटरी जनरल आॅफ दि सुप्रीम काउन्सिल फाॅर इस्लामिक अफेयर्स एण्ड मेम्बर आॅफ इस्लामिक रिसर्च एकेडमी आॅफ अल-अजहर, इजिप्ट ने कहा कि जाति, धर्म, रंग तथा मजहब के आधार पर विरोध एवं लड़ाई-झगड़े नहीं होने चाहिए। मुझे भारत और खासकर लखनऊ में अभूतपूर्व धार्मिक एकता देखने को मिली। इस अवसर पर नोएडा से पधारे श्री विजय नारायण राय, शिक्षाविद् ने कहा कि मनुष्य की प्रकृति स्वभावतः प्रेम एवं सद्भाव से रहने की है। प्रत्येक मनुष्य एक-दूसरे से अलग होते हुए भी आध्यात्मिक तौर पर जुड़ा है जैसे आम के पेड़ पर कटहल नहीं लगते परन्तु उनमें कभी लड़ाई नहीं होती। इसी तरह मानव जीवन का उद्देश्य अलग-अलग धर्मों पर चलते हुए भी परमपिता की प्राप्ति ही है।
अपरान्हः सत्र में उपस्थित दर्शकों ने देश-विदेश से पधारे विभिन्न धर्मावलम्बियों, विचारकों व न्यायविदों आदि से धार्मिक सहिष्णुता, सद्भाव एवं प्रेम से रहने तथा मतभेद दूर करने से सम्बन्धित अनेक प्रश्न किए तथापि इन महान हस्तियों ने उनकी जिज्ञासाओं को शांत कर उनकी श्ंाका का समाधान किया। इस अवसर पर स्वामी पररूपानन्द जी ने कहा कि सभी मनुष्य एक दूसरे से देखने में भिन्न होते हैं पर उनमें एक ही परमपिता की आत्मा निवास करती है। प्रकृति के सुचारु रूप से संचालन हेतु मनुष्य एवं धर्म की विभिन्नता बनाई गई है। अपनी नासमझी से हम धर्म में मतभेद समझते हैं। इस्लाम धर्मावलम्बी मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि कल्पना करें कि राम, कृष्ण, नानक, ईसा एवं मुहम्मद अभी जिन्दा होते तो वे एक-दूसरे से गले मिलते हुए ही नजर आते क्योंकि उन्हें मालूम था कि वे एक हैं। उन्होंने हममें कोई भेद नहीं बताया बल्कि उनके अनुयाइयों ने विभेद उत्पन्न किया है। इसी प्रकार मौलाना राशिद खलीद फिरंगीमहली ने कहा कि इस्लाम शब्द का अर्थ ही शान्ति है। शान्ति सिर्फ मुस्लिम समुदाय हेतु नहीं अपितु पूरी मनुष्यजाति एवं दुनिया के लिए है। सिख धर्मावलम्बी राजेन्द्र सिंह बग्गा ने शायरी में समझाया कि ‘हमें क्या बनाया था, हम क्या बन बैठे, परिंदों में फिरकापरस्ती क्यों नहीं होती, कभी मंदिर कभी मस्जिद पे जा बैठे’। प्रोफेसर गीता गाँधी किंगडन ने कहा कि आधुनिक युग में अनेक धार्मिक बदलाव देखने को मिला है। इतिहास छः लाख यहूदियों का संप्रदाय के नाम पर कत्ल का गवाह है। अब हमने गोरे काले का भेद मिटा दिया है। धर्म मनुष्यों में गहराई से बसा होता है, अतः इसके अनुपालन में कोई मतदेद नहीं होना चाहिए।
अपरान्हः सत्र में आयोजित एक प्रेसवार्ता में देश-विदेश से पधारे विचारकों, दार्शनिकों, धर्माचार्यों, शिक्षाविद्ों व न्यायविद्ों ने अपने विचार रखे एवं सम्मेलन के उद्देश्य व उपयोगिता पर खुलकर अपने विचार व्यक्त किये। पत्रकारों से बातचीत करते हुए विभिन्न देशों से पधारे विद्वजनों ने एक स्वर से कहा कि मानवता का धर्म ही शाश्वत सत्य है और इस शाश्वत सत्य से जन-जन को अवगत कराना वर्तमान समय की पुरजोर माँग है। जब तक विश्व के विभिन्न धर्मावलिम्बयों में आपसी संवाद, वार्तालाप, तालमेल व समन्वय नहीं होगा, तब तक समय की माँग पूरी नहीं हो सकती है।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विश्व के 9 देशों यू.के., कनाडा, ब्राजील, इजिप्ट, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, मलेशिया तथा भारत से पधारे विद्वान, विचारक, दार्शनिक, धर्मावलम्बी व न्यायविद् आदि प्रतिभाग कर रहे हैं। यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन कल 16 जुलाई को अपरान्हः 2.30 बजे समापन समारोह के साथ सम्पन्न हो रहा है। इस अवसर पर सी.एम.एस. छात्र रंगारंग शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे तथापि देश-विदेश से पधारे विद्वजन सम्मेलन के अनुभवों व सम्मेलन के सार्थकता पर प्रकाश डालेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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