पूर्व प्रधान के कार्य की समीक्षा, जिला विकास अधिकारी की जांच मंे हुआ खुलासा
पर्यावरण को हरा भरा रखने के लिये विभाग ग्राम पंचायतों में लगभग डेढ हजार पौधे जरूर लगवाये लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से सही देख रेख न होने से सब नष्ट हो गये है। सरकार की ट्रीगार्ड योजना को सफल बनाने के लिये ईट का घेरा बनाकर सुरक्षित रखने के लिये कई जतन किये गये थे, बावजूद एक भी पौधा जीवित नही रहा। पौध रोपड़ के नाम पर सरकारी धनों के सही क्रियान्वयन का खुलासा विभागीय जांच के दौरान हुआ।
दूबेपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत बैजापुर की पूर्व प्रधान सुमन (सोभा यादव) 2008-09 मंे काली मन्दिर के तालाब के भीटे और गांव को मुख्य मार्ग से जोडने वाला सम्पर्क मार्ग के किनारे लगभग डेढ़ हजार पौधे लगवाये थे, पौधों की सुरक्षा के लिये एक माली रखा जिसकी देख रेख में पौधे सुरक्षित रहें, इसके बचाव के लिये ट्री गार्ड की व्यवस्था बनाकर घेरा गया था। जिसका धरातल पर न तो पौधे दिखाई दिये और न ही टीगार्ड का घेरा, इसके लिये प्रधान और गाव पंचायत के अधिकारी ने इस कार्य को पूरा करने के लिये सरकार द्वारा चलाये जाने वाले योजना से डेढ लाख रूपये खर्च किये। बताते चले कि माली पौधों को सूखने से बचाने के लिये लगातार सिर्फ कागजों पर सिचाई कर प्रतिमाह की दर से विभाग से भुगतान लेता रहा और विभाग भी अपना कार्य विना जाचंे परखे बडी तन्मयता से कर दिया। पूर्व मंे हुई शिकायत के दौरान जिला विकास अधिकारी शिवनरायण विकास के कार्य का कुशल आड़िट करने पहुंचे तो रिकार्ड में जिन स्थानों पर प्रधान ने पौध रोपड कर दर्शाया गया था वहां पर समतल भूमि देखकर अधिकारी का माथा ठनक सा गया। न तो वहां पर पौधे ही मिले और न ही यह कोई बताने वाला कि यहा कोई पौधा लगाया गया था।
इन्सेट- गावं जाकर पता चला कि न तो पौधे लगे और न पौधे की सुखी लकडिया। ट्री गार्ड के घेरों का भी पता नही, मान भी लिया जाय तो पौध रोपड हुआ भी था, लेकिन सोचने की बात यह है कि ढेड हजार में 25 प्रतिशत भी बृक्ष नही दिखे, तो सवाल यह है माली को बेतन किस लिये दिया गया, जिसका काम पौधो की देख रेख करना ही था। जिला विकास अधिकारी शिवनरायण ने आखिर माना कि कार्य न होने की पुष्टि पायी गयी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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