सर्वशिक्षा अभियान-कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को हर हाल में शिक्षा दिलाये जाने की सरकारी कवायद। पूरी सरकारी मशीनरी इस मिशन को सफल बनाने के लिए सिर के बल खड़ी हुई है, लेकिन शिक्षकों के अभाव में जमीनी हकीकत अलहदा और बदतर है।
‘सब पढ़े, सब बढ़े’ नारे की वास्तविकता बताने और जिले की परिषदीय शिक्षा का हाल बयां करने के लिए शहर के बीचों बीच स्थित कटिया टोला के अपर रोटी गोदाम परिषदीय विद्यालय की स्थिति पर्याप्त है। इस विद्यालय की एकमात्र प्रधानाध्यापिका के पास कटिया टोला प्राथमिक विद्यालय का भी प्रभार है। इसके अलावा रोशनी गोदाम स्थानांतरित कर दिए गए बाडूजई विद्यालय के कार्य, जैसे टीसी देना आदि का बोझ भी उन्हीं पर है। एक जुलाई से शुरू हुए दोनों विद्यालय को मिलाकर बच्चों की संख्या 281 है। कटिया टोला विद्यालय में 129 और अपर रोटी गोदाम में 152 बच्चे हैं। इसके सापेक्ष दोनों ज्वाइंट विद्यालय में एक प्रधानाध्यापिका, एक सहायक अध्यापिका और एक शिक्षामित्र है। सहायक शिक्षिका सुमन सक्सेना ने बताया कि स्कूल की प्रधानाध्यापिका तीस जून को रिटायर हो गई हैं। अभी उनका कोई विकल्प नहीं भेजा गया है। स्कूल में बच्चों की भारी भीड़ सिर्फ मिड डे मील बंटने के समय ही उमड़ती है। बाकी का समय बच्चे सड़क पर घूमकर और कक्षा में हो-हल्ला करके बिताते हैं। स्थिति यह है कि यदि पूरे रजिस्टर्ड बच्चे आने लगे तो उन्हें बैठाने की समुचित व्यवस्था भी नहीं है।
वहीं प्रधान अध्यापिका ज्ञानवती सक्सेना ने कहा,कि वह काफी अर्से से बीमार चल रही हैंूं। डायबिटीज की मरीज हूं और पूरे बदन में दर्द रहता, ढंग से बैठा भी नहीं जाता। ऊपर से तीन-तीन विद्यालयों का काम। बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दूं या अपने शरीर पर। उन्होंने बताया कि वह स्वयं बीमारी के चलते छुट्टी लेना चाहती हैं, लेकिन कोई विकल्प न होने के चलते मजबूर हैं।
उधर बेसिक शिक्षा अधिकारी, जीएल वर्मा ने कहा कि यह बात मेरी जानकारी में नहीं है। मैं अभी बाहर हूं, आकर देखूंगा। वैसे मानक तो 35 बच्चों में एक शिक्षक का है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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